देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। आज शाम 5:30 बजे आजाद मैदान में वो शपथ लेंगे। उन्होंने बुधवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया।
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बचपन में इंदिरा से ऐसी नफरत हुई कि उनके नाम वाले स्कूल में जाना छोड़ दिया, वाजपेयी जिन्हें मॉडल विधायक बुलाते थे।
ढाई साल पहले बड़ी मुश्किल से शिंदे के डिप्टी बने और आज तीसरी बार सीएम बनने जा रहे फडणवीस के सुने-अनसुने किस्से…
इमरजेंसी में पिता जेल गए तो इंदिरा कॉन्वेंट में पढ़ना छोड़ दिया 22 जुलाई 1970 को देवेंद्र फडणवीस का जन्म नागपुर के मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता गंगाधर राव RSS प्रचारक और BJP नेता थे। वह कुछ समय के लिए महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे।
कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी गंगाधर राव को अपना ‘राजनीतिक गुरु’ मानते हैं। देवेंद्र फडणवीस ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि 1975 में जब देशभर में इमरजेंसी लगी तो उनके पिता गंगाधर राव को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इससे देवेंद्र को इंदिरा गांधी से नफरत हो गई।
बचपन के दिनों में देवेंद्र फडणवीस अपने पिता के साथ अटल बिहारी वाजपेयी के दिल्ली स्थित आवास पर गए थे। यहां पूर्व PM से उनकी पहली मुलाकात हुई थी। (Photo Source: @Dev_Fadnavis)
वह जिस स्कूल में पढ़ते थे, उसका नाम इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल था। इंदिरा के नाम पर स्कूल का नाम होने की वजह से उन्होंने 6 साल की उम्र में स्कूल जाना ही छोड़ दिया। देवेंद्र की मां सरिता फडणवीस ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे बचपन से ही जिद्दी थे।
सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद देवेंद्र ने धर्मपीठ जूनियर कॉलेज से 12वीं की। 1992 में उन्होंने लॉ की डिग्री ली, लेकिन वकील नहीं बने। इसके बाद जर्मनी के बर्लिन शहर स्थित जर्मन फाउंडेशन फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट से उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
नागपुर के भारतीय जनता युवा मोर्चा अध्यक्ष बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस।
RSS प्रचारक, कॉर्पोरेटर, मेयर और फिर नागपुर से विधायक बने पिता की वजह से स्कूल के दिनों से ही देवेंद्र का रुझान राजनीति में होने लगा था। 1987 में देवेंद्र फडणवीस जब 17 साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। 1989 में जब वो कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब वो RSS की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी ABVP में शामिल हुए।
पिता के निधन के बाद देवेंद्र के बड़े भाई आशीष फडणवीस ने अपना राजनीतिक करियर छोड़ दिया। उन्होंने घर-परिवार की जिम्मेदारी संभाली और छोटे भाई को राजनीति में आगे बढ़ाया। नागपुर में RSS की शाखाओं में जाने वाले देवेंद्र जल्द ही प्रचारक बन गए। देवेंद्र को राजनीतिक विरासत अपने पिता से मिली थी। इसलिए बड़े नेताओं से पहचान और अच्छे संबंधों की वजह से आगे बढ़ने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
1992 में नागपुर नगर पालिका से वो कॉर्पोरेटर चुने गए। इसके बाद 1997 में 27 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के रामनगर वार्ड से नगरपालिका चुनाव में जीतकर वो इतिहास के सबसे युवा मेयर बने।
मेयर बनने के दो साल बाद ही 1999 में नागपुर वेस्ट सीट से चुनाव जीतकर देवेंद्र फडणवीस पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2004 में दोबारा इसी सीट से विधायक बने। 2009 से 2019 तक लगातार 3 बार नागपुर साउथ वेस्ट से विधायक बने।
रामनगर वार्ड से पार्षद बनने वाले देवेंद्र फडणवीस नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सबसे युवा मेयर बने थे।
दोस्त के घर अमृता से मिले देवेंद्र, बाद में अरेंज मैरिज हुई नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट नागपुर के CEO शैलेश जोगलेकर एक इंटरव्यू में बताते हैं कि 2005 से वह अमृता और देवेंद्र दोनों के एक कॉमन फ्रेंड हैं।
2005 में एक रोज उनके घर पर ही अमृता और देवेंद्र की पहली मुलाकात हुई थी। तब देवेंद्र फडणवीस दूसरी बार विधायक बने थे। अमृता अपने घर से बोलकर आई थीं कि वह आधे घंटे में आ जाएंगी। हालांकि देवेंद्र से मिलने के बाद उनकी मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली थी। पहली ही मुलाकात में दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे।
इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू में अमृता ने कहा, ‘देवेंद्र के साथ मुलाकात से पहले मैं घबराई हुई थी। मुझे टेंशन और प्रेशर महसूस हो रहा था। मैं सोच रही थी कि देवेंद्र किस टाइप के इंसान होंगे। नेताओं को लेकर मेरे दिमाग में नकारात्मक छवि थी, लेकिन उनसे मिलकर मुझे लगा कि वह इंसान सच्चे और डाउन टु अर्थ हैं।’
कुछ समय बाद देवेंद्र और अमृता की मां ने मिलकर शादी तय की, जिसके बाद 17 नवंबर 2005 को दोनों की अरेंज मैरिज हुई। अमृता ने बताया कि उन्हें देवेंद्र से गाना सुनना पसंद है। अक्सर फ्री होने पर वो पति से गाना सुनती हैं। दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम दिविजा फडणवीस है। अमृता रानाडे फडणवीस पेशे से बैंकर, एक्ट्रेस और सिंगर हैं। उनके माता-पिता नागपुर में डॉक्टर हैं।
2005 में देवेंद्र फडणवीस की शादी अमृता से हुई।
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा- ‘आओ मॉडल विधायक’ साल 2006 की बात है। देवेंद्र फडणवीस को विधायक बने 7 साल हो गए थे। नागपुर शहर के चौक-चौराहे पर एक गारमेंट शॉप के प्रचार में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे थे। इन होर्डिंग्स में जिस मॉडल की तस्वीर लगी थी, वो देवेंद्र फडणवीस थे। फोटोग्राफर विवेक रानाडे ने इस होर्डिंग्स के लिए फोटो क्लिक की थी।
देवेंद्र फडणवीस के दोस्त शैलेश जोगलेकर बताते हैं, ‘यह खबर अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंच गई। कुछ दिनों बाद उन्होंने देवेंद्र को मिलने के लिए दिल्ली आने को कहा। मैं उनके साथ दिल्ली गया था। मुझे याद है कि वाजपेयी ने उनका स्वागत करते हुए कहा था, ‘आइए, आइए मॉडल विधायक जी।’
नागपुर के एक गारमेंट शॉप के प्रचार के लिए पोज देते हुए देवेंद्र फडणवीस।
गडकरी के विरोधी गोपीनाथ से हाथ मिलाकर कामयाब हुए सीनियर जर्नलिस्ट श्रीपाद अपराजित के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस जब पहली बार विधायक बने, तब गडकरी नागपुर क्षेत्र में BJP के अकेले बड़े नेता थे। कहा जाता है कि फडणवीस के पिता की छत्रछाया में पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले नितिन गडकरी ने ही देवेंद्र को विधानसभा का टिकट दिलवाया था।
देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी एक-दूसरे के बेहद करीब थे। तब विदर्भ और नागपुर क्षेत्र में होने वाले BJP के कार्यक्रमों में नितिन गडकरी के साथ मंच पर अक्सर देवेंद्र फडणवीस नजर आते थे। आगे चलकर नितिन गडकरी को BJP के अंदर गोपीनाथ मुंडे से चुनौती मिलने लगी।
राजनीतिक समीकरण बदलते देख देवेंद्र फडणवीस ने गडकरी से खुद को दूर कर लिया और पार्टी में उनके विरोधी माने जाने वाले गोपीनाथ का हाथ थाम लिया। जल्द ही फडणवीस का ये फैसला सही साबित हुआ और कभी मंत्री तक नहीं बनने वाले फडणवीस BJP प्रमुख बनने में कामयाब हुए।
2014 में केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। अब महाराष्ट्र में गैर-मराठी नेता को BJP ने आगे करने का फैसला लिया। इस स्ट्रैटजी में फडणवीस का नाम सबसे पहले आया। बाद में पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले अलग-अलग समय पर बिहार, गोवा और केरल जैसे राज्यों में चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा। सफलताओं की वजह से पार्टी में उनका कद बढ़ा।
कभी गडकरी की छत्रछाया में पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले देवेंद्र फडणवीस जल्द ही गोपीनाथ के करीब आ गए।
महाराष्ट्र में BJP के पहले मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस शिवसेना के साथ गठबंधन से अलग होने के बावजूद 2014 विधानसभा चुनाव में BJP ने 288 सदस्यीय सदन में 122 सीटें जीतीं। 2009 में उसे केवल 46 सीटों पर जीत मिली थी। इस जीत के बाद BJP ने देवेंद्र फडणवीस को 44 साल की उम्र में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। वो शरद पवार के बाद महाराष्ट्र के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।
इतना ही नहीं, करीब 49 साल बाद प्रदेश में किसी CM ने अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था। उनसे पहले वसंतराव नाईक ने अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था। नाईक 1963 और 1975 के बीच कुल 11 साल मुख्यमंत्री रहे थे।
महाराष्ट्र के 27वें और प्रदेश के पहले BJP मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेते हुए देवेंद्र फडणवीस।
2019 में दूसरी बार CM बने, लेकिन 80 घंटे बाद ही इस्तीफा 21 अक्टूबर 2019 को महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ। 61.4% मतों के साथ शिवसेना और BJP गठबंधन वाली NDA ने बहुमत हासिल किया। 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आते ही मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना और BJP दोनों ने दावा ठोंक दिया। 19 दिनों तक सरकार नहीं बनने के बाद महाराष्ट्र में संवैधानिक संकट पैदा हो गया।
12 नवंबर को राज्यपाल की सिफारिश पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। 10 दिन बाद 22 नवंबर को कांग्रेस और NCP ने शिवसेना की मदद से सरकार बनाने का फैसला किया।
पत्रकार जितेंद्र दीक्षित अपनी किताब ‘35 डेज’ में लिखते हैं, ‘आधी रात में BJP नेता देवेंद्र फडणवीस और NCP के अजित पवार राज्यपाल भवन पहुंच गए। उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सुबह करीब 5:47 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया। देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि 2 दिन बाद ही अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ NCP में लौट गए। देवेंद्र फडणवीस विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए।’
23 नवंबर को सुबह 8 बजे देवेंद्र फडणवीस ने CM पद की और अजित पवार ने डिप्टी CM पद की शपथ ली।
28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और NCP के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 1 दिसंबर को उद्धव सरकार बनने के बाद पहली बार देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में भाषण दिया।
उन्होंने शेर पढ़ते हुए कहा,
मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना… मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा।
20 जून 2022 की आधी रात अचानक से देवेंद्र फडणवीस अपने घर से निकले। सुबह होते-होते पता चला कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर दी है। 29 जून को उद्धव ठाकरे ने CM पद से इस्तीफा दे दिया। इस बार एकनाथ शिंदे CM बने, जबकि देवेंद्र फडणवीस को उनका डिप्टी-CM बनाया गया।
क्या नाराज देवेंद्र फडणवीस को PM मोदी ने डिप्टी CM बनने के लिए मनाया? तारीख- 28 जून 2022। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत से उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई। BJP नेता देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिले। देवेंद्र ने राज्यपाल को उद्धव सरकार के अल्पमत में होने की बात कही। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट पास करने का आदेश दिया। उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यहां से महाराष्ट्र की सियासत में असली खेल शुरू हुआ।
29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंपा। BJP के पास अपने 106 विधायकों के अलावा शिवसेना से बागी एकनाथ शिंदे समेत 39 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते BJP की ओर से देवेंद्र का CM बनना तय माना जा रहा था। उद्धव के इस्तीफा देते ही देवेंद्र फडणवीस को बधाई संदेश मिलने लगे। सबको लग रहा था कि देवेंद्र ही अगले CM बनने वाले हैं।
जितेंद्र दीक्षित अपनी किताब ’35 डेज- हाऊ पॉलिटिक्स ऑफ महाराष्ट्र चेंज्ड’ में लिखते हैं कि 30 जून 2022 को शाम 4 बजे देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबको हैरान कर दिया। देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे। इस ऐलान से सभी चौंक गए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने ये भी बताया कि वो सरकार से बाहर रहेंगे।
कुछ देर बाद महाराष्ट्र राजभवन के हॉल में नए CM की शपथ होनी थी। राजभवन लोगों से खचाखच भरा हुआ था। हॉल में देश और राज्य के बड़े नेताओं से लेकर अधिकारी तक सभी मौजूद थे। मंच पूरी तरह से सज चुका था। मंच पर लाल रंग की दो कुर्सियां रखी हुई थीं। एक महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए और दूसरी मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले व्यक्ति के लिए।
शपथ कार्यक्रम से ठीक कुछ देर पहले मंच पर अचानक हलचल हुई। मंच पर अब दो कुर्सियों की जगह तीन कुर्सियां रखी हुई थीं। सब जानना चाह रहे थे कि तीसरी कुर्सी किसके लिए है?
कुछ देर बाद सभी को पता चल गया कि राज्य में एक उपमुख्यमंत्री भी होगा। थोड़ी देर बाद एकनाथ शिंदे ने CM और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी CM पद की शपथ ली। कुछ घंटे पहले सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात करने वाले देवेंद्र के डिप्टी CM बनने से हर कोई हैरान था। लोग जानना चाहते थे कि कुछ घंटों में ऐसा क्या हो गया कि देवेंद्र को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की शपथ लेनी पड़ी?
30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने CM, जबकि देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी CM पद की शपथ ली।
जितेंद्र दीक्षित के मुताबिक 30 जून की शाम करीब साढ़े 6 बजे BJP ने देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने को कहा। देवेंद्र फडणवीस पार्टी के इस फैसले से नाराज थे। हालांकि जब उन्हें BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया कि हाईकमान ने उन्हें डिप्टी CM की शपथ लेने को कहा है।
कुछ देर बाद ही गृह मंत्री अमित शाह का इसको लेकर एक ट्वीट आ गया। ये कन्फर्म हो गया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के डिप्टी CM की शपथ लेंगे। देवेंद्र फडणवीस का डिप्टी CM के तौर पर शपथ लेने का बिल्कुल मन नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कॉल करने के बाद वो शपथ लेने के लिए तैयार हो गए।
CM नहीं बनाकर डिप्टी CM बनाने के मुद्दे पर 14 मई 2024 को ABP न्यूज के कार्यक्रम महाराष्ट्र शिखर सम्मेलन में देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘मैं CM नहीं बनने पर एक मिनट के लिए भी नाराज नहीं था। मैं जिम्मेदारी से कहता हूं कि मेरा ही प्रस्ताव था कि एकनाथ शिंदे बनें, क्योंकि उनके साथ कई लोग आए थे तो उन्हें विश्वास हो। मैंने पार्टी से भी यही बात कही। मुझे पहले से पता था कि मैं CM नहीं बनूंगा।’
जब विवादों में रहे देवेंद्र फडणवीस…
2023: ‘महाराष्ट्र के कुछ जिलों में औरंगजेब की औलादें पैदा हुई हैं’ जून 2023 में महाराष्ट्र में सोशल मीडिया पर औरंगजेब के पोस्टर पर विवाद शुरू हुआ। ये विवाद तब और ज्यादा बढ़ गया, जब महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘महाराष्ट्र के कुछ जिलों में औरंगजेब की औलादें पैदा हुई हैं। वे औरंगजेब की फोटो दिखाते, रखते और स्टेटस लगाते हैं। इस वजह से समाज में दुर्भावना और तनाव पैदा हो रहा है। अचानक औरंगजेब की इतनी औलादें कहां से पैदा हो गई हैं। इसका असली मालिक कौन है, वह हम ढूंढेंगे।’
उन्होंने ये भी कहा कि औरंगजेब की तारीफ करने वालों को महाराष्ट्र में कोई माफी नहीं दी जाएगी। कई राजनीतिक विश्लेषकों और आलोचकों ने फडणवीस के बयान को सांप्रदायिक और मुसलमानों को निशाना बनाए जाने वाला बताया था।
2016: भारत माता की जय नहीं बोलने वाले को पाकिस्तान चले जाना चाहिए अप्रैल 2016 में, देवेंद्र फडणवीस ने नासिक में एक रैली के दौरान कहा, ‘हर भारतीय को ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाना चाहिए। जो लोग यह नारा नहीं लगाते हैं, उन्हें देश में रहने का कोई हक नहीं है और उन्हें पाकिस्तान या चीन चले जाना चाहिए।’
इस बयान ने राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया। आलोचकों ने इस बयान को धर्म के आधार पर भेदभाव की भावना को बढ़ाने वाला बयान बताया। बाद में फडणवीस ने कहा कि उनका बयान किसी धर्म के खिलाफ नहीं था और इसका उद्देश्य सिर्फ देशभक्ति को बढ़ावा देना था।
2014: जब धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में फंसे देवेंद्र फडणवीस 2014 में देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के आरोप लगे। संपत्तियों की सही जानकारी नहीं देने की वजह से उनकी ईमानदारी पर सवाल खड़े हुए। साथ ही वकील सतीश उके ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया और इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
उके के मुताबिक देवेंद्र ने झूठा हलफनामा दायर किया और 1996 और 1998 में दर्ज धोखाधड़ी और जालसाजी के 2 आपराधिक मामलों को छिपाया। उनका कहना था कि इस तरह की जानकारी छिपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है।
अदालत में फडणवीस ने स्वीकार किया कि उन्होंने जानकारी नहीं दी थी, लेकिन ये उनके वकील की गलती है, जो अनजाने में हुई। नागपुर की एक अदालत ने फडणवीस के पक्ष को सुनने के बाद सितंबर 2023 में इस मामले में उन्हें बरी कर दिया।
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रिसर्च सहयोग: स्वाति सुमन
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बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई है। सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी सीएम के लिए एकनाथ शिंदे और अजित पवार का नाम फाइनल हो गया है। 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में महाराष्ट्र के नए सीएम के तौर पर फडणवीस शपथ लेंगे। पढ़िए आखिर बीजेपी को महाराष्ट्र का नया CM तय करने में 10 दिन क्यों लगे। पढ़िए पूरी खबर…