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आज का एक्सप्लेनर: राहुल से दूर हुए अखिलेश, क्या इसके पीछे कांग्रेस; लोकसभा में नए सीटिंग अरेंजमेंट पर वो सब कुछ जो जानना जरूरी


3 दिसंबर को लोकसभा में शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल शुरू हुआ। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के वरिष्ठ सांसद मंगुटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने नई सीटिंग व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘मैं 5वीं बार सांसद बना हूं और पिछली लोकसभा में मुझे दूसरी पंक्ति में बैठ

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी लोकसभा में दाखिल होते ही नाराजगी में बोले- ‘धन्यवाद कांग्रेस।’ पहले उनकी सीट 8वें ब्लॉक में राहुल गांधी के करीब थी। अब छठे ब्लॉक में आवंटित की गई है। कांग्रेस के वेणुगोपाल अखिलेश के पास गए और उन्हें राहुल गांधी के पास बैठने का इशारा किया, लेकिन अखिलेश ने मना कर दिया।

लोकसभा के नए सीटिंग अरेंजमेंट से सत्ता के सहयोगी और विपक्ष दोनों खेमों के कई सांसदों में नाराजगी है। कौन तय करता है सांसद सदन में कहां बैठेंगे, कांग्रेस पर क्यों उठ रहे सवाल; इसी टॉपिक पर है आज का एक्सप्लेनर…

सवाल 1: लोकसभा में नई सीटिंग व्यवस्था के तहत प्रमुख नेता अब कहां बैठेंगे? जवाब: इस सवाल का जवाब जानने के लिए पहले जानिए लोकसभा में सांसदों के बैठने की व्यवस्था दिखती कैसी है…

संसद में सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन के सांसद स्पीकर के राइट साइड में बैठते हैं। विपक्ष के सांसद स्पीकर के लेफ्ट की ओर बैठते हैं। नए सीटिंग अरेंजमेंट के मुताबिक…

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्लॉक-1 की सीट नम्बर 1 वैसी ही बरकरार रखी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को 2 और गृह मंत्री अमित शाह को 3 नम्बर की सीट दी गई है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को 58 नम्बर की सीट से 4 नम्बर सीट पर ट्रांसफर किया गया है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने 8वें ब्लॉक की पहली रो में राहुल गांधी की 498 नम्बर की सीट बरकरार है। सदन में 8वां ब्लॉक सबसे अहम होता है क्योंकि यह ब्लॉक लोकसभा स्पीकर और प्रधानमंत्री के ठीक सामने होता है।
  • राहुल के पास कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और DMK नेता टीआर बालू को जगह मिली है।
  • नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी अपने भाई से 4 रो पीछे बैठेंगी। उन्हें 8वें ब्लॉक के चौथी रो में सीट नम्बर 517 आवंटित हुई है।
  • सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले राहुल गांधी के साथ बैठते थे, लेकिन अब उन्हें छठे ब्लॉक में 355 नम्बर की सीट दी गई है। डिंपल यादव को 358 नम्बर की सीट मिली। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय को सीट नम्बर 354 आवंटित हुई।
  • फेरबदल में सपा सांसद अवधेश प्रसाद को भी छठे ब्लॉक की सीट नम्बर 357 दी गई है। इससे पहले अवधेश 8वें ब्लॉक में राहुल और अखिलेश के साथ बैठते थे।

सवाल 2: नई सीटिंग व्यवस्था पर किन नेताओं ने नाराजगी जताई है? जवाबः बीजेपी की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के वरिष्ठ सांसद मंगुटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने नई सीटिंग व्यवस्था पर नाराजगी जताई क्योंकि TDP के नेता लावु श्री कृष्ण देवरायलु को YSRCP के मिधुन रेड्डी के पास बैठाया गया है। देवरायलु ने लोकसभा चुनाव में YSRCP को छोड़ दिया था। अब उन्हें इसी पार्टी के सांसदों के साथ बैठना पड़ेगा।

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उन्हें चुप कराते हुए कहा,

‘कोई भी सदस्य सदन में संसद की कार्य व्यवस्था पर सवाल नहीं उठाएगा। अगर आपको कोई समस्या है तो संसदीय कार्य मंत्रालय में आएं। इस परम्परा का नियम की तरह पालन किया जाना चाहिए।’

रेड्डी के साथ कई वरिष्ठ सांसद लोकसभा में नई सीटिंग व्यवस्था से नाखुश नजर आए क्योंकि नई व्यवस्था के तहत एक दल के सदस्य अब एक ही जगह पर साथ नहीं बैठ पाएंगे। सांसदों को अपनी पार्टी के अन्य सांसदों से दूर बैठना होगा।

अखिलेश यादव भी नई सीटिंग व्यवस्था से खुश नहीं दिखे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंडिया गठबंधन के सांसद सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस को दोषी मानते हैं।

सवाल 3: INDIA ब्लॉक की पार्टियां कांग्रेस को क्यों ब्लेम कर रही हैं? जवाबः इंडिया गठबंधन के सांसदों का सीट अलॉटमेंट कांग्रेस के पास था क्योंकि विपक्षी नेताओं के बैठने की जिम्मेदारी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के पास ही होती है। इस पर लोकसभा स्पीकर के कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि, ‘हम विपक्ष के लिए ब्लॉक आंवटित करते हैं। विपक्ष के नेता पार्टी सीट आवंटन के लिए सुझाव देते हैं।’

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस पर लग रहे आरोपों की एक वजह कैमरे भी हैं। संसद में लगे कैमरों का फोकस 8वें ब्लॉक पर होता है। सांसद सदन की कार्यवाही के लाइव टेलिकास्ट को ज्यादा तवज्जो देते हैं क्योंकि इससे उन्हें टेलीविजन पर दिखने का मौका मिल जाता है। इससे जनता और निर्वाचन क्षेत्रों में कद बढ़ जाता है। ऐसे में पिछली रो की सीटें मिलना सांसदों को रास नहीं आ रहा।

इंडियन एक्सप्रेस ने इंडिया गठबंधन के एक वरिष्ठ सांसद के हवाले से लिखा, ‘अब कांग्रेस ने अपने सहयोगी नेताओं को प्राइम ब्लॉक में कुछ ही सीटें दी हैं और ज्यादातर सीटें अपने पास रखी हैं। यह गठबंधन के विचार के हिसाब से ठीक नहीं है। कांग्रेस चाहती है कि हर छोटी पार्टी उसका साथ दे, लेकिन वे सत्ता का बंटवारा नहीं करना चाहते हैं।’

मानसून सत्र के दौरान 8वें ब्लॉक की पहली रो में राहुल गांधी और अखिलेश यादव।

सवाल 4: नई सीटिंग व्यवस्था की जरूरत क्यों पड़ी और किन्हें माना जाता है प्राइम सीट्स?​​​​​​ ​जवाबः एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नई बिल्डिंग और पॉलिटिकल समीकरणों की वजह से शीतकालीन सत्र में नई सीटिंग व्यवस्था की जरूरत पड़ी है।

नई सीटिंग व्यवस्था नए संसद भवन के डिजाइन और सीटिंग कैपेसिटी को देखते हुए बनाई गई है। हर 24 या 28 सीटों के ग्रुप पर पार्टियों को एक फ्रंट रो की सीटें दी गईं है, ताकि सभी पार्टियों को ठीक तरीकों से सीट मिल सके। लोकसभा में नई सीटिंग व्यवस्था के हिसाब से इंडिया गठबंधन को फ्रंट रो में 7 सीटें दी गई हैं।

हालांकि इस पर इंडिया गठबंधन का कहना है कि विपक्षी पार्टियों के एक साथ आवाज उठाने से डरकर सरकार ने सीटों में बदलाव किया है। विपक्षी दलों को बांटकर सरकार विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोकसभा में प्राइम सीट्स पहले और 8वें ब्लॉक्स की फ्रंट 4 रो की सीट्स होती हैं। इन्हीं सीट्स पर कैमरे का ज्यादा फोकस होता है। वहीं, संसद में 420 नम्बर की सीट नहीं होती है क्योंकि 420 नम्बर फर्जी और धोखेबाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह भारतीय दंड संहिता की एक धारा भी है, जो धोखाधड़ी, बेईमानी और झांसे से संपत्ति हड़पने वालों के ऊपर लगाई जाती है। इसी के चलते अब इस सीट का नंबर 419-A कर दिया गया है।

लोकसभा में विशेष सत्र के अलावा हर साल तीन सत्र होते है। इसमें बजट सत्र (फरवरी-मार्च), मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त) और शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर) शामिल है। इस दौरान हर बार नई सीटिंग व्यवस्था हो सकती है। सीनियर सांसदों, मंत्री और स्पीकर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीटें बदली जाती हैं। अब लोकसभा हॉल में 888 सदस्यों के बैठने की जगह है।

सवाल 5: कौन-सा सांसद कहां बैठेगा, ये कैसे तय किया जाता है? जवाब: सांसदों की बैठक व्यवस्था तय करने के लिए संसद का एक तय नियम है। लोकसभा के ‘रूल्स ऑफ प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस’ के रूल 4 के मुताबिक सांसदों का सीटिंग अरेजमेंट तय किया जाता है। ये क्रम रूलबुक के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ही तय करते हैं।

स्पीकर भी रूल से अलग जाकर सीटिंग अरेंजमेंट चेंज नहीं कर सकते। रूल बुक के चैप्टर 9 के डायरेक्शन 122(ए) में सीटिंग अरेजमेंट के लिए एक फॉर्मूला बताया गया है। पार्टी के सांसदों की संख्या और सीटिंग कैपेसिटी के आधार पर सीट अलॉट की जाती है।

सवाल 6: सीट तय होने के बाद क्या सांसद दूसरी सीट पर बैठ सकता है? जवाब: लोकसभा की रूलबुक ‘लोकसभा की प्रक्रिया और कार्यपद्धति’ के मुताबिक लोकसभा में हर सांसद को एक तय सीट आवंटित होती है। आमतौर पर सांसद को उसी सीट पर बैठना होता है। हालांकि ये कोई कठोर नियम नहीं है। परिस्थिति को देखते हुए बहस और चर्चा के दौरान सांसद अपनी जगह बदल सकते हैं। सदन में उपस्थिति कम होने पर भी कार्यवाही को आसान बनाने के लिए सांसद नजदीक आकर बैठ जाते हैं।

सवाल 7: मंत्री बनाए गए सांसदों को लोकसभा में कहां बिठाया जाता है? जवाब: अगर कोई मंत्री लोकसभा का सदस्य नहीं है, तो भी वो चर्चा के दौरान लोकसभा में बैठ सकता है। मंत्रिमंडल का सदस्य होने के नाते उसकी बैठक व्यवस्था ट्रेजरी बेंच में होती है। इसी प्रकार की व्यवस्था राज्यसभा में भी की जाती है।

उदाहरण से समझें- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जैसे मंत्रियों के लिए सीटें खाली रहती हैं। यह मंत्री अपने काम की वजह से सदन में हमेशा मौजूद नहीं रहते।

सवाल 8: ट्रेजरी बेंच और अपोजिशन बेंच क्या होती है और इसे ट्रेजरी बेंच क्यों कहा जाता है? जवाब: ट्रेजरी बेंच संसद के उस सीटिंग एरिया को कहा जाता है, जहां सरकार के मंत्री और सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख सदस्य बैठते हैं। ये नाम ब्रिटिश संसद से लिया गया है। ट्रेजरी का मतलब है खजाना और जिस बेंच से देश के वित्तीय मामलों को कंट्रोल किया जाता है, उसे ट्रेजरी बेंच कहते हैं। देश में वित्तीय मामलों पर मंत्रिमंडल का अधिकार होता है।

देश के नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी इसी बेंच पर होती है। संसद में ट्रेजरी बेंच स्पीकर के दायीं ओर का पहला ब्लॉक होता है। इस ब्लॉक की सबसे आगे की पंक्ति में लेफ्ट की ओर प्रधानमंत्री बैठते हैं। उनके बगल में गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री जैसे मंत्रिमंडल के प्रमुख सदस्य बैठते हैं।

संसद में जहां विपक्षी दल के सदस्य बैठते हैं, उसे ही अपोजिशन बेंच कहते हैं। ये स्पीकर के बायीं ओर होती है। अपोजिशन बेंच के पहले ब्लॉक की पहली रो में अपोजिशन के फ्लोर लीडर्स बैठते हैं। ये ट्रेजरी बेंच के ठीक सामने वाली सीटें होती हैं, जो पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव का सिम्बॉलिज्म होती हैं।

सवाल 9: स्पीकर के ठीक सामने टेबल पर बैठने वाले लोग कौन होते हैं, वो क्या काम करते हैं? जवाब: संसद में स्पीकर के ठीक सामने नीचे टेबल वाले एरिया को ‘वेल ऑफ द हाउस’ कहा जाता है। यहां लोकसभा के महासचिव बैठते हैं। महासचिव के साथ सचिवालय के अन्य सीनियर ऑफिसर भी मौजूद होते हैं। महासचिव और सीनियर ऑफिसर संसदीय कामों और प्रक्रिया में स्पीकर की मदद करते हैं। इसके अलावा सदन में हो रही बहस और कामों का रिकॉर्ड तैयार करते हैं। संसद में आधिकारिक गतिविधियों की जिम्मेदारी इसी बेंच की होती है।

सवाल 10: संसद में राष्ट्रपति की मौजूदगी होने पर स्पीकर और उपराष्ट्रपति कहां बैठते हैं? जवाब: राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पद होता है। इसलिए जब राष्ट्रपति संसद में मौजूद होते हैं तो वो स्पीकर की कुर्सी पर बैठते हैं। सदन के स्पीकर की बैठक व्यवस्था उनके बगल में की जाती है। संसद के जॉइंट सेशन के दौरान राष्ट्रपति के बायीं ओर लोकसभा के स्पीकर और दायीं ओर उपराष्ट्रपति की कुर्सी लगाई जाती है। आमतौर पर राष्ट्रपति केवल संसद सत्र की शुरुआत में अभिभाषण के लिए और जॉइंट सेशन में ही मौजूद होते हैं।

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रिसर्च सहयोग- अनमोल शर्मा

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