बुंदेलखंड अंचल में धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से प्रसिद्ध श्री विजय राघव सरकार मंदिर में रामनवमी पर्व के अवसर पर पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह मंदिर दतिया जिले के भरतगढ़ क्षेत्र में स्थित है और इसकी स्थापना वर्ष
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राजसी स्वरूप में विराजे भगवान राम
मंदिर के पुजारी बबलू सरवरिया के अनुसार, यहां भगवान राम चक्रवर्ती सम्राट के स्वरूप में राजसी वेशभूषा में तीर-धनुष के साथ विराजमान हैं। उनके साथ माता सीता और भाई लक्ष्मण की भी विशाल आदमकद प्रतिमाएं स्थापित हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में भगवान राम-सीता की इतनी विशाल और भव्य मूर्तियां अन्यत्र देखने को नहीं मिलतीं। लक्ष्मण जी मंदिर में चल मुद्रा में विराजे हैं, जो एक दुर्लभ शिल्पकारी का उदाहरण है।
मंदिर परिसर में भजन संध्या और सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया।
राजा की भक्ति और विशेष परंपरा
दतिया के मंदिरों के इतिहासकार पंडित विनोद मिश्रा बताते हैं कि राजा विजय बहादुर सिंह अत्यंत धार्मिक और श्रद्धालु प्रवृत्ति के शासक थे। उन्होंने दतिया में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया। खास बात यह थी कि जब भी राजा नए वस्त्र धारण करते, पहले वे उन्हें विजय राघव सरकार को अर्पित करते और फिर स्वयं पहनते थे। यह परंपरा उनके जीवन में भक्ति की गहराई को दर्शाती थी।
रामनवमी पर आकर्षक आयोजन
रामनवमी के अवसर पर इस मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी भगवान राम की विशेष जन्म आरती का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर में भजन संध्या और सुंदरकांड पाठ का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पूरे मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया गया था। वातावरण में राम नाम के गगनभेदी जयघोष गूंजते रहे।