रेप विक्टिम बच्ची की कंडीशन बेहद क्रिटिकल थी। प्राइवेट पार्ट बुरी तरह डैमेज हो चुका था। जख्म इतने गहरे थे कि वो ‘थर्ड डिग्री इंजरी’ कंडिशन में थी। डॉक्टर्स मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को ‘वर्स्ट केस’ कहते हैं। उसके साथ इस कदर बर्बरता हुई थी कि यूरिन
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इस सर्जरी में मेरे अलावा विभाग के 5 और डॉक्टर थे। साथ में गायनी और एनेस्थीसिया के एक्सपर्ट्स भी मौजूद रहे। आम तौर पर ऐसे ऑपरेशन जटिल होते हैं। ये उनमें भी थोड़ा अलग हटकर केस था। बच्ची की क्रिटिकल कंडीशन देख डॉक्टरों की टीम के कुछ सदस्य भी परेशान हो गए।
हालांकि, बेहद सहजता से करीब दर्जन भर मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी में करीब 3 घंटे तक सर्जरी हुई। इस दौरान उसे एनेस्थीसिया देकर कंट्रोल किया गया था। यह कहना है KGMU के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ.जेडी रावत का।
डॉ. रावत की निगरानी में 4 और 5 जून की रात में आलमबाग मेट्रो स्टेशन के नीचे रेप का शिकार हुई ढाई साल की बच्ची का इलाज चल रहा है। बच्ची की हालत ऐसी थी कि डॉक्टर्स भी सदमे में आ गए।
दैनिक भास्कर टीम KGMU के पीडियाट्रिक सर्जरी वॉर्ड में भर्ती बच्ची का हाल जानने पहुंची। यहां सर्जरी करने वाले डॉक्टर से बात करके उसकी कंडीशन और ट्रीटमेंट के बारे में जाना। पढ़िए रिपोर्ट..।
लखनऊ में ढाई साल की बच्ची के साथ 4 और 5 जून को रेप हुआ था। पीड़िता का KGMU के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में इलाज चल रहा है।
दोपहर करीब 1 बजे लोकबंधु से रेफर होकर आई थी बच्ची
डॉ. जेडी रावत ने बताया- KGMU में 5 जून को दोपहर करीब एक बजे ढाई साल की बच्ची को बेहद गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। बच्ची के प्राइवेट पार्ट में कई गहरे जख्म थे। जहां से भारी मात्रा में खून बह चुका था। ऐसे में शरीर में खून की कमी थी।
उन्होंने बताया- भर्ती करने के साथ ही तत्काल उसे ICU में शिफ्ट किया गया। शुरुआती ड्रेसिंग और अहम जांचें हुईं। थोड़ा स्टेबल होते ही उसे खून चढ़ाया गया। सर्जरी से पहले प्राइवेट पार्ट की क्लीनिंग की गई। जख्म ऐसे थे कि उनकी सटीक गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था।
KGMU का पीडियाट्रिक सर्जरी वॉर्ड जहां बच्ची का इलाज चल रहा है।
जीवन बचाने के लिए पहली सर्जरी
डॉ. जेडी रावत ने बताया- गहरे घाव के कारण इन्फेक्शन, गंदगी और पस बन चुका था। सबसे पहले सर्जरी करके मासूम के स्टूल पास होने का रास्ता बनाया गया। ये बेहद जटिल सर्जरी थी, इसका मकसद उसके जीवन को बचाना था। सिर्फ एक सर्जरी से काम नहीं चलना था। कई और सर्जरी की जरूरत थी। पर सबसे पहले जब तक घाव भर नहीं जाते तब तक ये बदलाव किया गया।
डर के साए में थी मासूम, डॉक्टरों को देखकर रोने लगती
उन्होंने बताया-शुरुआत में बच्ची जिस कंडीशन में लाया गया था। वो बेहद डरी और सहमी कंडीशन में थी। यहां तक जब कई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ एक साथ उसे देखने चले जाते तो वो रोने लगती थी।
डॉ.जेडी रावत ने बताया- ऐसे में वॉर्ड में सख्त हिदायत दी गई थी कि बच्ची के पास एक समय में बहुत ज्यादा लोग एक साथ नहीं जाएंगे। यहां तक कि नर्स ड्रेसिंग या किसी अन्य काम के लिए भी जाती है तो हमेशा उसके साथ उसकी मां या पिता की मौजूदगी होनी जरूरी थी। पुलिस इनवेस्टीगेशन के लिए पहुंचने वाले पुलिस के लोगों को भी वर्दी में उसके वॉर्ड में न जाने से रोका गया था।
यह तस्वीर रेप पीड़िता की मां की है। नर्स की विजिट के दौरान भी मां की मौजूदगी रहती है।
फिलहाल कंडीशन स्टेबल
उन्होंने बताया- पहली सर्जरी के बाद से बच्ची की तबीयत में सुधार हो रहा है। फिलहाल कंडीशन स्टेबल है। धीरे-धीरे उसे डाइट देना शुरू किया है। अभी उसे कुछ दिन और डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। इस दौरान उसके साथ उसकी मां लगातार मौजूद है। उसके निगरानी के लिए डेडिकेटेड टीम लगाई गई है। नर्स के विजिट के दौरान भी मां की मौजूदगी रहती है।
एक सर्जरी से जख्म भरना संभव नहीं
डॉ. जेडी रावत ने बताया- बच्ची की कंडीशन देखकर ये कह सकते है कि अभी 2 और सर्जरी करनी पड़ेगी। इसके लिए कम से कम 5 से 6 महीने का समय लग सकता है। अगले एक से दो दिन में उसे छुट्टी देकर डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। फिर उसे एक महीने बाद दोबारा बुलाया जाएगा। तब उसकी कंडीशन देखकर आगे का फैसला होगा।
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