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दलित के हाथों प्रसाद खाया,20 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार: छतरपुर में सरपंच के फरमान पर नाई से हजामत नहीं बनवाते; पुजारी को यजमान मिलना बंद – Madhya Pradesh News


छतरपुर के अतरार गांव में छुआछूत से जुड़ा मामला सामने आया है। गांव के कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सरपंच के एक फरमान से पूरे गांव ने 20 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। उनकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने एक दलित के हाथों से प्रसाद लेकर खा लिया

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अब हाल ये हैं कि बहिष्कृत ब्राह्मण को यजमान नहीं मिल रहे, नाई से लोग हजामत नहीं बनवा रहे। छतरपुर वही जगह है, जहां से बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने दो महीने पहले सनातन हिंदू एकता यात्रा की शुरुआत की थी। तब नारा दिया गया था- ‘जात पात की करो विदाई, हिंदू-हिंदू भाई भाई।’

दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर लोगों से बातचीत की और ये जानने की कोशिश की कि आखिर पूरा मामला कहां से शुरू हुआ और क्या वाकई 20 परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है। पढ़िए ये रिपोर्ट…

यही वो गांव है जहां जातिवाद का मामला सामने आया है।

मामले में कोई खुद कुछ बोलने को तैयार नहीं करीब 3500 की आबादी वाला अतरार गांव जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूरी पर है। गांव पहुंचने पर पता चला यहां जात-पात वाला मामला यहां चर्चा का विषय बना हुआ है। शुरुआत में जिससे भी पूछा कि मामले की जानकारी कौन देगा? तो लोग जगदीश तिवारी के घर का पता बताते गए, लेकिन कोई खुद कुछ बोलने को तैयार नहीं था।

जगदीश तिवारी के घर पहुंचने पर उनके बेटे नारायण तिवारी से मुलाकात हुई। वो हमें घर के आंगन में ले गए। बोले- बाहर कुछ भी बात नहीं कर सकते, नहीं तो हमारे लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। पड़ोसी हमारा जीना मुश्किल कर देंगे। यही बात उनकी पत्नी ने भी कही।

आंगन में 90 साल के बुजुर्ग जगदीश तिवारी भी खाट डालकर बैठे हुए थे। हमने उनसे पूरा मामला समझना चाहा तो उन्होंने कहा पहले आप उस व्यक्ति से बात कर लीजिए, जिसके हाथ का प्रसाद खाने की वजह से हम समाज से बहिष्कृत हुए हैं। फिर हम अपनी पूरी परेशानी बताएंगे। उन्होंने उस दलित व्यक्ति जगत अहिरवार से मंदिर के पास ले जाकर हमारी बात कराई।

इसी मंदिर में पूजा के बाद प्रसाद वितरण पर सामाजिक बहिष्कार का आरोप है।

सरपंच ने जारी किया बहिष्कार का फरमान गांव के हनुमान मंदिर में प्रसाद बांटने वाले ग्रामीण जगत अहिरवार ने बताया कि मैंने 20 अगस्त 2024 को गांव से 2 किमी दूर मौजूद तलैया वाले हनुमान मंदिर में मनोकामना पूरी होने पर मगज के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया। प्रसाद मंदिर के पुजारी रामकिशोर अग्निहोत्री ने चढ़ाया। इसके बाद मैंने वहां मौजूद 20 से ज्यादा लोगों को प्रसाद बांटा।

प्रसाद खाने वालों में ब्राह्मण से लेकर 3-4 अन्य जातियों के व्यक्ति थे। जब इस बात की जानकारी गांव तक पहुंची तो फिर गांव के सवर्ण सरपंच संतोष कुमार तिवारी ने फरमान जारी किया कि जगत के हाथ से जिसने प्रसाद खाया है, उसे समाज से अलग कर दिया जाए। उन्हें शादी विवाह या किसी भी कार्यक्रम में न बुलाया जाए। उनके किसी कार्यक्रम में कोई भी शामिल न हो।

‘बहिष्कार के बाद कोई उनका छुआ नहीं खाता’ मेरे हाथ से प्रसाद लेने वालों में जगदीश तिवारी, महेश अवस्थी, रामकिशोर अग्निहोत्री, गणेश तिवारी, विनोद विश्वकर्मा, कुट्टम कुशवाहा, मिहीलाल कुशवाहा, राजू कुशवाहा, उत्तम काछी, नंदी कुशवाहा,लल्लू यादव और कुछ अन्य लोग थे।

जगत ने बताया कि यहां छुआछूत का प्रभाव बहुत ज्यादा है। हम दलित हैं तो उनके साथ उठ-बैठ नहीं सकते, वो हमारे हाथ का छुआ पानी भी नहीं पीते।

एसपी से शिकायत के बाद केस दर्ज हुआ जब मेरी वजह से गांव के अन्य लोगों को कई दिनों तक इस तरह प्रताड़ित किया गया। हालात बदतर होते गए तो मैंने सभी के साथ मिलकर एसपी साहब से इस मामले की शिकायत की थी। इसके बाद सताई थाने में मामला दर्ज किया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। एसडीओपी साहब और टीआई साहब ने 2 दिन पहले दोनों पक्षों को बिठाकर चौपाल लगाया था।

सभी को समझाया है। इसके बाद भी हालत वही बनी हुई है। लोग इस मामले को राजनीतिक मामला बता रहे हैं, ये सब जातिवाद का जहर फैलाने वाले लोग ही हैं जो नहीं चाहते कि इस क्षेत्र से जातिवाद खत्म हो।

हम चाहते हैं कि यहां जात पात खत्म हो, गांव में सब भाई-भाई बन कर रहें। धीरेंद्र शास्त्रीजी ने यहां से जात-पात मिटाने के लिए यात्रा निकाली थी, लेकिन यहां उसका कोई असर नहीं दिख रहा है। सवर्ण वही पुरानी परंपराओं का हवाला देकर छुआछूत फैला रहे हैं।

‘पिता ने खाया प्रसाद, बहिष्कार के चलते डिप्रेशन’ ग्रामीण नारायण तिवारी ने कहा उस दिन मेरे पिता जगदीश तिवारी ने भी मंदिर में जगत अहिरवार का बांटा हुआ प्रसाद खाया था। इसके बाद से हमारे परिवार को समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिया गया। नारायण ने बताया कि अभी हमारे परिवार में भतीजी की शादी हो गई, उसमें हमें नहीं बुलाया गया। ना ही कार्ड में नाम छपवाया गया।

इस घटना के बाद से ही हमारे पिताजी डिप्रेशन में चले गए हैं। हम भी मानसिक तनाव के साथ जिल्लत भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। इसी तरह की परेशानी का सामना गांव के 20 से 25 परिवार कर रहे हैं। गांव में सार्वजनिक जगहों पर बहुत ज्यादा छुआछूत है।

एक कुएं में एक टाइम पर एक ही जाति के व्यक्ति पानी भरते हैं। गांव में पानी की भी दिक्कत है पाइपलाइन डाली हैं, लेकिन किसी भी घर में पानी नहीं आ रहा है, इसलिए लोगों को कुएं से पानी भरना पड़ रहा है।

छतरपुर के आसपास के गांवों में फर्द बनाने की परंपरा नारायण तिवारी ने बताया कि हमारे गांव के साथ ही साथ कई अन्य गांवों में फर्द बनाने की परंपरा है। फर्द यानी एक तरह की लिस्ट। इसका मतलब ये होता है कि जब भी गांव में कोई शादी या कार्यक्रम होता है तो कार्यक्रम करने वाले परिवार के कुछ लोग और अन्य समाजों के मुखिया एक जगह पर बैठते हैं।

वो सब मिलकर तय करते हैं कि कार्यक्रम में किस-किस को बुलाना है। किनको सपरिवार बुलाना और किनको सिंगल। इसके बाद नाई को बुलाकर लिस्ट थमाई हैं। नाई उन्हें निमंत्रण देता है। इस लिस्ट में ऐसे लोगों का नाम शामिल नहीं किया जाता जिन्होंने दूसरी जाति में शादी की हो या किसी तरह की हत्या कर शुद्धता के लिए कोई उपक्रम न किया हो।

‘पिता की श्राद्ध में नहीं आए, लड्डू वाले कहकर चिढ़ाते हैं’ गांव में ही किसानी करने वाले लल्लू यादव ने बताया कि हम गांव के ही कुछ लोगों ने लड्डू प्रसाद खाया था। इसके बाद से ही हम समाज में बहिष्कृत हैं। रक्षाबंधन के पहले अमावस्या को मैंने अपने पिताजी का श्राद्ध किया था। लोगों को निमंत्रण भी दिया, उनके लिए खाना बनवाया, लेकिन सरपंच के मना करने पर 200 लोग श्राद्ध में नहीं आए।

हमें किसी शादी या कार्यक्रम में नहीं बुलाते गांव के ही रतन विश्वकर्मा ने कहा कि मेरे छोटे भाई ने मंदिर में प्रसाद खाया था इसके चलते मुझे भी समाज से अलग कर रखा है। वो हमें किसी शादी या कार्यक्रम में नहीं बुलाते हैं। ना ही हमारे किसी कार्यक्रम में शामिल होते हैं। मन्नू सेन ने कहा मेरा पोता हनुमानजी का प्रसाद खा कर आया था।

इसके बाद से हमें खेती किसानी का काम कराने वाले लोग भी नहीं मिल रहे हैं। बहुत से लोग हमसे हजामत का काम भी नहीं करा रहे हैं। इसी तरह शरद अवस्थी ने बताया कि हाल ही हमारे पिताजी का देहांत हो गया था। इसके बाद हमने लोगों को तेरहवीं का निमंत्रण दिया था लेकिन वो हमारे यहां तेरहवीं खाने नहीं आए। वो इसलिए क्योंकि हमारे चाचा के बेटे महेश अवस्थी ने भी वो प्रसाद खाया था।

पुजारी ने कहा- कोई यजमान नहीं बुलाता गांव के पुजारी रामकिशोर अग्निहोत्री ने कहा कि मैं यहां होश संभालने के बाद से ही पंडिताई कर रहा हूं। इससे पहले मेरे पिता जी यहां पंडिताई करते थे। हम यहां के शिव मंदिर के पुजारी हैं। 20 अगस्त को मेरे पास जगत अहिरवार आया। उसने कहा कि मुझे तलैया वाले हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ना है। मेरी मनोकामना पूरी हुई है। आप चलकर प्रसाद चढ़ा दीजिए। मैं उसका प्रसाद चढ़ाने मंदिर चला गया। प्रसाद चढ़ाने के बाद जगत ने सबको प्रसाद बांटा। मुझे भी दिया तो मैने भी प्रसाद खाया। भगवान के प्रसाद में कैसी जात-पात।

एक दो दिन तक सब सामान्य रहा, तीसरे दिन पता चला कि हमें समाज से अलग कर दिया गया है।

दूसरी जाति में शादी वाले व्यक्ति के घर खाया तो दंड गांव के ही अशोक अवस्थी ने बताया कि ये कोई बड़ा मामला नहीं, हमारी परंपरा है। इसी के चलते मेरी शादी टूट गई थी। कुछ साल पहले की बात है। पास ही के गांव में मेरी शादी तय हुई थी। इसके बाद मेरे एक चचेरे भाई ने एक लड़की के साथ भाग कर शादी कर ली थी।

इसी के चलते गांव वालों ने हमसे किनारा कर लिया था। हमें एक साल तक गांव में खाने नहीं दिया था। इसी के चलते मेरी सगाई भी टूट गई। एक साल बाद जब मैंने गांव वालों से वापस मुख्य धारा में आने की गुजारिश की, तब उन्होंने मुझे कथा पुराण कराने और गांव की सभी जातियों को भोजन कराने के लिए कहा था।

जब मैंने ये सब किया तब वापस मुख्य धारा में जुड़ पाया था। भाग कर शादी करने जैसे अन्य तरह के गुनाहों पर भी पंचायत उनपर जुर्माना लगाती है।

गांव में मेरे बाल नहीं कटने देते, छतरपुर जाना पड़ता है मंदिर में प्रसाद खाने वाले रमेश तिवारी ने कहा, जो लोग कह रहे हैं कि ये राजनीतिक मामला है, मैं कहना चाहता हूं कि वो हमारे हाथ का या किसी दलित के हाथ का सबके सामने प्रसाद खा कर दिखाएं। वो हमारा छुआ पानी तक नहीं पीते।

सरपंच बोले- दंड-जुर्माना परंपरा, मैंने बहिष्कृत नहीं किया सरपंच संतोष तिवारी ने कहा कि मैंने कोई षड्यंत्र नहीं रचा है। गांव में किसी को भी बहिष्कृत नहीं किया है। न ही किसी गांव वाले को ऐसा करने के लिए कहा है। लोग अपने संबंधों के आधार पर ही शादी में निमंत्रण देते हैं। ये जो शिकायतें कर रहे हैं वो झूठी और निराधार हैं। ये सब राजनीतिक षड्यंत्र है।

मेरे गांव के मनोज मिश्रा हैं। वो साल 2022 में मेरे सामने चुनाव लड़े थे। उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने चाचा की हत्या में षड्यंत्र किया था। इसके चलते उन खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया था। चाचा की मौत के बाद हम उनके भाइयों के साथ खेत में उनकी लाश उठाने गए थे। तभी ये से हमारे पीछे पड़े रहते हैं।

ये जो प्रसाद बांटने वाला जगत अहिरवार है, ये 2010 से 2015 तक गांव का सरपंच रहा है। इसने एक सामुदायिक भवन पर 12 साल से कब्जा कर रखा था। सरपंच बनने के बाद मैंने शासन-प्रशासन की मदद से वो भवन खाली करवाया था। इसीलिए उसने मेरे खिलाफ रंजिश पाल रखी है। वो मुझपर दबाव बनाने के लिए इस तरह के षड्यंत्र रच रहा है।

पुलिस बोली- हमने चौपाल लगाकर समझाया है टीआई आर. एन. पटेरिया ने कहा, अतरार गांव में सरपंच संतोष तिवारी और मनोज मिश्रा के बीच गुटबंदी चलती है। जगत अहिरवार मनोज मिश्रा के गुट का व्यक्ति है। 2022 में मनोज का नाम एक मर्डर केस में आ गया था। इसके बाद वो बरी हो गए। इसी खुशी में जगत ने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया था।

सरपंच संतोष पर आरोप है कि जो भी लोग प्रसाद लेने में शामिल थे, उनको समाज से बहिष्कृत किया गया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। दोनों पक्षों के बयान लिए गए हैं। आरोप सत्य पाए जाएंगे तो कार्रवाई की जाएगी। हमने गांव में चौपाल लगा कर लोगों को समझाया भी है।

हमने टीआई से पूछा कि पुजारी ने कहा कि उनसे कोई पूजा नहीं करा रहा है? तो टीआई का कहना था कि पूजापाठ व्यक्तिगत काम होता है। कोई पूजा करवाए या ना करवाए। हम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते। इसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार नहीं है। फिर भी हम पुजारी के बयान लेंगे।

अगर जानकारी में आता है कि किसी की ओर से डरा धमकाकर लोगों से ऐसा कराया जा रहा है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।



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