काशी विश्वनाथ मंदिर की पेंटिंग के नीचे गंदगी का अंबार
धर्म, कला और संस्कृति की राजधानी काशी में चल रहे सुंदरीकरण एक तरफ लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हैं तो दूसरी तरफ वीडीए, नगर निगम ने कई ऐसे स्थानों पर धार्मिक पेंटिंग बनाई है जिसके चलते लोगों में क्षोभ है। शहर में कई ऐसे स्थानों पर मंदिर, साधु, संत की
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ऐसे स्थान पर इस तरह की पेंटिंग के औचित्य पर सवाल
अब तो भय भी नहीं रहा गया
प्रमुख बाजारों, गलियों और अन्य ऐसे सार्वजनिक स्थान जहां लोग खुले में मूत्र त्याग करते, उन स्थानों पर आसपास के लोग देवी देवताओं की कलाकृति बना देते ताकि उस स्थान पर लोग शौच, मूत्र त्याग न करें। अब भी बहुत सारे लोग इस तरह की कलाकृति देखकर उस स्थान पर शौच नहीं करते हैं लेकिन बहुतेरे शौच, मूत्र त्याग करने से नहीं हिचकते हैं।
यहां करते लोग मूत्र त्याग, थूकते पान, गुटखा की पीक
रेलवे लाइन के किनारे बनाई कलाकृतियां, बहती नाली
कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर चौकाघाट होते हुए राजघाट तक रेलवे लाइन के किनारे दीवारों पर जगह – जगह पेंटिंग बनाई गई है। सड़क किनारे बनी इन कलाकृतियों के नीचे नाली बहती है। इन्हीं नलियों पर में लोग बेहिचक खुले मूत्र त्याग करते हैं। दीवारों पर देवी – देवताओं, साधु संत की पेंटिंग और उसी जगह मूत्र त्याग, शौच के चलते बदबू।
खुले में सार्वजनिक स्थान पर मूत्र त्याग करता यात्री
पान की पीक बदरंग कर रही बदरंग
अपने शहर को स्वच्छ साफ सुथरा बनाए रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की होती है। कुछ लोग अपनी हरकत से शहर की बदलती तस्वीर को बदरंग करने से बाज नहीं आ रहे। धार्मिक पेंटिंग को पान, गुटखा की पीक से बदरंग कर दे रहे।
किन्नर समाज भी जता चुका विरोध
किन्नर समाज जता चुका है विरोध
शौचालय के आसपास, अन्य ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर देवी देवताओं के चित्र जहां उनका अपमान हो रहा है, किन्नर महासभा की अध्यक्ष सलमा भी रेलवे लाइन के आसपास व अन्य ऐसे स्थानों पर बनाई जाने वाली पेंटिंग को लेकर अपने साथियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर चुकी है। सलमा ने बताया कि इसके लिए उन्होंने पीएम और सीएम को पत्र भी लिखा है कि सार्वजनिक स्थानों पर भगवान की पेंटिंग का अपमान हो रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर ऐसी पेंटिंग बंद हो।
वीडीए की तरफ से बनाई गई पेंटिंग
शहर की दीवारों को कलाकृतियां से सजाया जा रहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के बाद से काशी की धार्मिक नगरी की पहचान को लेकर तमाम कवायद हो रही है। इसी क्रम में विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने शहर की सार्वजनिक दीवारों को अलग अलग थीम पर तैयार करना शुरू किया। स्कल्पचर से लेकर पेंटिंग कराई जा रही। कहीं शहर की विभूतियों के स्कल्पचर बनाए हैं तो काशी की नृत्य, कला और संस्कृति को दर्शाती कलाकृतियां। काशी की बात महादेव, मंदिर, घाट, घंटा घड़ियाल के बिना अधूरी है। सरकारी महकमों ने आर्ट के जुड़े छात्रों और एजेंसियों के माध्यम से शहर में प्रवेश करने वालों प्रमुख मार्गों से लेकर रेलवे, बस स्टेशन, एयरपोर्ट, रिंग रोड, फ्लाईओवर से लेकर अन्य स्थानों पर दीवारों पर काशी से जुडी पेंटिंग दीवारों पर हो रही।