पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नशा तस्करी से जुड़े एक मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी पूर्व राहत देना अब दुर्लभ हो गया है। हाईकोर्ट ने पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में ड्रग्स की वजह से खराब होती स्थिति पर च
.
याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने कहा कि संविधान में जमानत के साथ स्वतंत्रता का अधिकार है। इस अधिकार के लिए कुछ नियम भी हैं, लेकिन मौजूदा मामले में अग्रिम जमानत पर कोर्ट का मानना है कि समाज हित में अधिकार और नियम में समानता लानी है। ड्रग्स तस्करी जैसे मामलों में हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
हाईकोर्ट इस साल अगस्त में पंजाब के धूरी पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। पुलिस ने 54 किलो भुक्की बरामद की थी। जिस वाहन में भुक्की की तस्करी की जा रही थी, उसके मालिक ने गिरफ्तारी से पूर्व राहत के लिए याचिका दायर की थी।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
इसके अलावा हाईकोर्ट ने एससी/एसटी अधिनियम के तहत दर्ज मामले में एक नाबालिग को गिरफ्तारी पूर्व दी गई जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट में हिसार कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट में कहा गया था कि जिला अदालत ने अधिनियम के प्रावधान को अनदेखा कर जमानत दे दी थी। एफआईआर अगस्त में दर्ज हुई थी।
आरोप है कि कुछ लोगों ने घर में घुसकर मारपीट की थी और जातिसूचक शब्द कहे थे। हाईकोर्ट ने कहा कि जिला अदालत ने जिन प्रावधान के तहत जमानत दी थी उनमें कोई खामी नहीं है। पीड़ित को किसी सार्वजनिक क्षेत्र में जातिसूचक शब्द नहीं कहे गए थे और इसलिए एससी/एसटी. अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते। हाईकोर्ट ने जमानत के विरोध में दायर की गई अपील को खारिज कर दिया।