गांव घासेड़ा में 33 केवीए ट्रांसफार्मर पर छिड़काव करते बिजली कर्मचारी।
हरियाणा के नूंह में इन दिनों भयंकर गर्मी जहां अपने चरम पर है तो वहीं सूरज की आग से धरती तप रही है। आलम ये है कि पारा 44 डिग्री को भी पार कर गया है। इस भीषण गर्मी में बिजली न होने के चलते इंसानों की जान पर बन आई है। ऐसी भयंकर गर्मी में कूलर, पंखे जवाब
.
ट्रांसफार्मर के चारों तरफ कूलर लगाए
नूंह जिले के गांव घासेड़ा और डोंडल में 33 केवीए ट्रांसफार्मर में ओवरलोड के चलते बिजली कर्मचारी ट्रांसफार्मर को ठंडा करने के लिए कूलर व पानी का छिड़काव कर रहे है। ताकि आमजन को ज्यादा से ज्यादा बिजली आपूर्ति की जा सके। ट्रांसफार्मर पर पानी के छिड़काव का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। इसके साथ ही ट्रांसफार्मरों के चारों तरफ कूलर लगाए भी लगाए गए है।
नूंह में ट्रांसफार्मर पर पानी का छिड़काव करते बिजली कर्मचारी।
बिजली आपूर्ति के लिए किए जा रहे ट्रांसफार्मर ठंडे
बिजली विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि गर्मी के दौरान ट्रांसफार्मरों को दिन में दो से तीन बार पानी डालकर ठंडा किया जा रहा है। ताकि वे अधिक ताप के कारण खराब न हों और बिजली आपूर्ति बनी रहे। ट्रांसफार्मरों के ज्यादा गर्म होने के कारण कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति को बंद भी किया जा रहा है। पिछले 4–5 दिन से जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है। मंगलवार ,बुधवार और गुरुवार को तापमान 43 डिग्री को भी पार कर गया। ऐसे में बिजली कट से भी लोगों को जूझना पड़ रहा है। गांव घासेड़ा के सब स्टेशन में लगे ट्रांसफार्मर के चारों तरफ कलर लगाए गए हैं।
नूंह में हीट वेव (लू) से छोटे बच्चे को बचाता एक युवक।
पशुओं को गर्मी में हीट वेव से बचाव के लिए विभाग की 26 टीमों का गठन
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डा. वीरेंद्र सहरावत नेे बताया कि अप्रैल से जून के दौरान तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है, जिससे हीट स्ट्रोक और लू लगने की स्थिति में पशुओं के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे न केवल पशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि दुग्ध उत्पादन में भी गिरावट आती है। उन्होंने बताया कि पशुओं को गर्मी में हीट वेव से बचाव के लिए विभाग की 26 टीमों का पशु चिकित्सकों के नेतृत्व में गठन किया है।
पशुओं को गर्मी में हीट वेव से बचाव के लिए विभाग की 26 टीमों का गठन
1. पशुओं को छायादार स्थान पर रखें :
पशुओं को सीधी धूप से बचाएं। उन्हें पेड़ों की छांव, टीन या थर्मोकॉल शेड अथवा टाट से ढके स्थान पर रखें। यदि संभव हो, तो शेड के ऊपर घास या पराली बिछाकर गर्मी को कम किया जा सकता है।
2. पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी कराएं उपलब्ध :
पशुओं को साफ और ठंडा पानी दिन में कई बार पिलाएं। कोशिश करें कि पानी मटके या प्लास्टिक के बर्तनों मेंपशुओं को गर्मी में हीट वेव से बचाव के लिए विभाग की 26 टीमों का गठन दिया जाए, ताकि वह गर्म न हो।
3. पशुओं को दें संतुलित आहार :
पशुओं को हरा चारा, खनिज मिश्रण और पर्याप्त मात्रा में सूखा चारा दिया जाए, जिससे उनका शरीर मजबूत बना रहे और लू से मुकाबला कर सके।
4. मेहनत वाले कार्य ठंडे समय में करवाएं :
यदि पशुओं से कोई कार्य करवाना हो, जैसे हल चलाना या ढुलाई, तो यह कार्य सुबह या देर शाम के समय ही करवाएं, जब वातावरण अपेक्षाकृत ठंडा हो।
5. लक्षणों पर दें विशेष ध्यान :
यदि कोई पशु सुस्त हो, बार-बार हांफे, अधिक लार टपकाए या शरीर गर्म महसूस हो, तो यह लू लगने के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें। उप-निदेशक डा. सहरावत ने कहा कि पशुओं के रहने के स्थान को ठंडा बनाए रखने के लिए छतों पर पानी का छिडक़ाव करें तथा खिड़कियों-दरवाजों पर गीले बोरे टांगें। उन्होंने कहा कि यह छोटे-छोटे कदम पशुओं को गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं और उनके स्वास्थ्य व उत्पादकता को बनाए रखने में सहायक होंगे। इसके अतिरिक्त फिर भी कोई पशु को लू लग जाती है तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें।