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चेन्नई16 मिनट पहले
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तमिलनाडु के CM स्टालिन ने बैठक में कहा- हमें एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनानी चाहिए। यह लोगों में जागरूकता पैदा करे और केंद्र तक अपनी बात पहुंचाएगी।
राज्यों में लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर शनिवार को 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी CM की बैठक चेन्नई में हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने ये मीटिंग बुलाई, जिसमें 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए। BJD प्रमुख नवीन पटनायक और TMC भी इसमें शामिल हुई।
तमिलनाडु के CM स्टालिन ने बैठक में कहा- परिसीमन के मुद्दे पर हमें एकजुट रहना होगा। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि हमें एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनानी चाहिए। यह लोगों में जागरूकता पैदा करे और केंद्र तक अपनी बात पहुंचाएगी।
स्टालिन ने कहा- हमें कानूनी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाने की जरूरत है। हमें इस राजनीतिक लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी पहलुओं पर भी विचार करना होगा। इसके लिए सबके सुझाव शामिल होने चाहिए। हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, हम निष्पक्ष परिसीमन के पक्ष में हैं।
केरल के CM पिनाराई विजयन ने मीटिंग में कहा- लोकसभा सीटों का परिसीमन तलवार की तरह लटक रहा है। भाजपा सरकार इस मामले पर बिना किसी परामर्श के आगे बढ़ रही है। दक्षिण के सीटों में कटौती और उत्तर में बढ़ोतरी भाजपा के लिए फायदेमंद होगी। उत्तर में उनका प्रभाव है।
मीटिंग में केरल के सीएम पिनाराई विजयन, कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव शामिल हुए।
4 राज्यों के CM, कर्नाटक के डिप्टी CM शामिल हुए
बैठक में तमिलनाडु के CM एम के स्टालिन, केरल के CM पिनाराई विजयन, तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास और बीजू जनता दल के नेता संजय कुमार दास बर्मा सहित कई नेता शामिल हुए।
आंध्र के पूर्व CM की PM से अपील- सीटें कम न हों
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी। जगन ने PM से अपील करते हुए लिखा- परिसीमन प्रक्रिया को इस तरह से कों कि किसी भी राज्य को लोकसभा या राज्यसभा में प्रतिनिधित्व में कोई कमी न आए, खासकर सदन में कुल सीटों की संख्या के मामले में।
तमिलनाडु भाजपा ने काले झंडे दिखाए
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई और पार्टी के अन्य नेताओं ने परिसीमन को लेकर आयोजित बैठक का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को काले झंडे दिखाए।
अन्नामलाई ने कहा- डीएमके के सत्ता में आने के बाद पिछले 4 सालों में, राजनीतिक फायदे के लिए तमिलनाडु के हितों की लगातार बलि दी गई है। सीएम कभी भी केरल से बात करने और मुद्दों को हल करने के लिए नहीं गए, लेकिन आज उन्होंने केरल के सीएम को एक कृत्रिम मुद्दे पर बात करने के लिए आमंत्रित किया। हम तमिलनाडु के सीएम की निंदा करते हैं।
3 मार्च को स्टालिन ने मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी
एमके स्टालिन ने 3 मार्च परिसीमन मामले में अन्य राज्यों के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने 22 मार्च को होने वाली JAC की पहली बैठक में अपने प्रतिनिधि भेजने का अनुरोध किया था।
स्टालिन ने लिखा- 2026 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन दो तरीकों से हो सकता है। पहले में मौजूदा लोकसभा की 543 सीटों को राज्यों के बीच फिर से बांटा जा सकता है। वहीं, दूसरे में सीटों की संख्या बढ़कर 800 से ज्यादा हो सकती है। दोनों स्थितियों में जनसंख्या कंट्रोल करने वाले राज्यों को नुकसान होगा।
परिसीमन का आधार 1971 की जनगणना हो सर्वदलीय बैठक में स्टालिन ने कहा था कि अगर संसद में सीटें बढ़ती है तो 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाए। उन्होंने भी मांग की- 2026 के बाद अगले 30 साल तक लोकसभा सीटों के बाउंड्री करते समय 1971 की जनगणना को ही मानक माना जाए।
इस बैठक में AIADMK, कांग्रेस, वाम दल (लेफ्ट पार्टी) और एक्टर विजय की पार्टी TVK समेत कई दलों ने हिस्सा लिया था। वहीं, भाजपा, NTK और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन की तमिल माणिला कांग्रेस (मूप्पनार) ने बैठक का बहिष्कार किया। पूरी खबर पढ़ें…
परिसीमन के बारे में सब-कुछ जानिए…
परिसीमन क्या है लोकसभा और विधानसभा सीट की सीमा नए तरह से तय करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं। इसके लिए आयोग बनता है। परिसीमन के लिए 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं। आखिरी बार परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 के तहत साल 2008 में परिसीमन हुआ था।
लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से हो सकती है। इससे 2029 के चुनाव में करीब 78 सीटें बढ़ सकती हैं। दक्षिणी राज्य जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से सरकार समानुपातिक परिसीमन पर विचार कर रही है।
समानुपातिक परिसीमन क्या है उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। वहीं, तमिलनाडु-पुडुचेरी में इसकी आधी यानी 40 सीटें हैं। अगर उत्तर प्रदेश की 14 सीटें बढ़ती हैं तो इसकी आधी यानी 7 सीटें तमिलनाडु-पुडुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है।
आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्टी में बढ़ेंगी, उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। हिंदी पट्टी के किसी राज्य की सीट में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दक्षिणी राज्य में 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा।
अल्पसंख्यक बहुल सीटों का क्या होगा देश की 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20%से 97%तक है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर जनसंख्या संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है।
महिला आरक्षण के बाद क्या होगा 1976 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए इसे डिफ्रीज करना होगा। जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा।
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