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पहला डबल ट्रांसप्लांट: बेटे ने लिवर व भतीजी ने किडनी देकर बचाई जान – Indore News



श्रीमती नंदा सिसौदिया की पुत्री नीता सिसौदिया की रिपोर्ट

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उज्जैन के 48 वर्षीय कॉन्ट्रेक्टर विनोद जगर के लिए बीते तीन साल किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे। पहले लिवर खराब हुआ। इलाज चलता रहा लेकिन इसी बीच पिछले साल किडनी ने भी जवाब दे दिया। डॉक्टरों ने जब कहा कि अब ट्रांसप्लांट ही आखिरी रास्ता है। तब बेटे लिवर तो भतीजी किडनी देने के लिए आगे आई। प्रदेश में पहली बार एक ही दिन लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट की गई।

मरीज के तीनों ही बेटे लिवर देने के लिए तैयार थे। दो बेटों का ब्लड ग्रुप मैच कर गया। 24 साल के मझले बेटे यश ने बिना सोचे लिवर डोनेट करने का फैसला किया। दूसरी ओर किडनी देने के लिए तीनों बुआ भी तैयार थीं, पर फिट नहीं पाई गईं। आखिरकार भतीजी सीमा यादव (विवाहित) ने नई उम्मीद दी। जब सीमा ने यह फैसला लिया तो उनके पति और ससुराल वालों ने भी सहमति दे दी। मार्च 2025 से शुरू हुई मेडिकल प्रक्रिया करीब तीन से चार हफ्ते चली। दो महीने बाद 6 मई को ऑपरेशन हुआ।

स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) से अनुमति लेने के बाद विशेष जूपिटर अस्पताल में ऑपरेशन हुआ। एक ही ऑपरेशन थिएटर में पहले ट्रांसप्लांट सर्जंस की टीम डॉ. अभिषेक यादव, डॉ. सुरेश शारडा, डॉ. अभिषेक लड्‌ढा, ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. अमित सिंह बरफा ने लिवर ट्रांसप्लांट किया। यह प्रक्रिया 10 घंटे चली। इसके बाद डॉ. सनी मोदी और उनकी टीम तुरंत तैयार थी। जिन्होंने तत्काल ही किडनी ट्रांसप्लांट की।

2024 में इंदौर में इतने ट्रांसप्लांट हुए

299 लाइव किडनी ट्रांसप्लांट

19 कैडेबर किडनी ट्रांसप्लांट (कुल 99)

26 लाइव लिवर ट्रांसप्लांट (अब तक कुल 83)

07कैडेबर लिवर ट्रांसप्लांट (अब तक कुल 50) इसलिए परिवार ने किया अंगदान

बड़े बेटे विनी जगर बताते हैं कि वर्ष 2021 में पेट में पानी भरा तब पता लगा कि पिता का लिवर खराब हो रहा है। दिसंबर 2024 में किडनी की खराबी का पता लगा। जनवरी 2025 में डायलिसिस शुरू करना पड़ा। हमने सोटो की साइट पर भी रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन ज्यादा समय तक इंतजार नहीं कर सकते थे। इसलिए परिवार ने ही अंगदान का फैसला लिया।

50 लोगों की टीम ने की सर्जरी ^एक ही मरीज में समानांतर रूप से एक साथ दो अंगों का प्रत्यारोपण जटिल होता है। ओटी में 50 लोगों की टीम सबकुछ मैनेज करती है। संभवत: एक-दो दिन में हम मरीज को सामान्य वार्ड में भी शिफ्ट कर देंगे। – डॉ. अमित सिंह बरफा, ट्रांसप्लांट फिजिशियन



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