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प्रेमी जोड़े नहीं जा सकते हैं जगन्नाथ मंदिर, किस वजह से लगी है रोक, जानें राधा रानी से क्या है संबंध


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Jagannath Temple In Puri: जगन्नाथ रथ यात्रा भारत की सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है. यह हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुरी (ओडिशा) में भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभ…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू होगी.
  • प्रेमी जोड़े जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते.
  • राधा रानी के शाप के कारण प्रेमी युगल को रोक है.

ओडिशा के पुरी नगर में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भारत के चार प्रमुख धामों (चारधाम) में से एक है. यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के विशेष रूप जगन्नाथ को समर्पित है, जिनके साथ उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा होती है. हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है और इस बार 27 जून दिन शुक्रवार को पवित्र और भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी. जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में केवल विशिष्ट लोग ही प्रवेश कर सकते हैं लेकिन रथ यात्रा के दिन भगवान स्वयं रथ पर विराजमान होकर आम जनता को दर्शन देते हैं. जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए कुछ विशेष नियम हैं. इन नियमों का पालन करने पर ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन होते हैं.

विश्व स्वामी के रूप में पूजे जाते हैं भगवान यहां
भगवान श्रीकृष्ण जगन्नाथ मंदिर में विश्व के स्वामी के रूप में पूजित हैं. भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां दारु के पेड़ की लकड़ी से बनती हैं और इन मूर्तियों को हर 12 से 19 वर्षों में नवकलेवर परंपरा के अंतर्गत बदला जाता है. यह कोई साधारण मूर्तियां नही हैं, माना जाता है भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में भगवान श्रीकृष्ण हृदय धड़क रहा है. मंदिर में रखीं यह मूर्तियां अधूरी प्रतीत होती हैं क्योंकि उनके हाथ-पैर छोटे हैं, जो यह बताता है कि ईश्वर रूप और गुण से परे हैं.
Jagannath rath yatra
कई रहस्यों से जुड़ा है भगवान जगन्नाथ का मंदिर
पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर ना केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसके साथ कई वैज्ञानिक, रहस्यमय और दिव्य तथ्यों का जुड़ाव भी है, जो आज तक विज्ञान के लिए भी पहेली बने हुए हैं. भगवान जगन्नाथ का मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है लेकिन जैसे ही आप मंदिर के मेन गेट ‘सिंहद्वार’ से अंदर जाते हैं, तो समुद्र की गर्जना अचानक शांत हो जाती है. फिर जब आप मंदिर से बाहर आते हैं तो आपको फिर से समुद्र की आवाज सुनाई देना शुरू हो जाता है. इसे आज तक वैज्ञानिक तरीके से स्पष्ट नहीं किया जा सका है.
हमेशा विपरित दिशा में लहराता है ध्वज
भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हर दिन बदला जाता है. मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है, जो किसी भी सामान्य नियम के विपरीत है और यह वायु नियमों की अवहेलना करता है. साथ ही मंदिर के शिखर पर लगे नीलचक्र को किसी भी दिशा से देखने पर यह सामने ही दिखाई देता है. यह एक 360 डिग्री ऑप्टिकल इल्यूजन है, जो दुनिया में अनोखा है.

इसलिए प्रेमी जोड़े नहीं जाते जगन्नाथ मंदिर
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राधा रानी भगवान जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए आई थीं लेकिन पुजारियों ने राधा रानी को मंदिर में घुसने नहीं दिया. पुजारियों ने बताया कि वे भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं और मंदिर की परंपरा के अनुसार, गैर शादीशुदा प्रवेश नहीं मिलता. राधा रानी पुजारी की बात से काफी दुखी हुईं और उन्होंने शाप दिया कि जो भी अविवाहित प्रेम जोड़े मंदिर में एक साथ दर्शन करने के लिए आएंगे तो उनका प्रेम कभी पूरा नहीं होगा. माना जाता है कि मंदिर की यह परंपरा आज भी बनी हुई है और भक्तजन इस परंपरा का सम्मान करते हैं और प्रेमी युगल एक साथ दर्शन के लिए मंदिर में नहीं जाते.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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