नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में पिछले 126 दिनों से चल रहा बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन खत्म हो गया है।
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सीएम विष्णुदेव साय से मुलाकात के बाद प्रदर्शनकारियों ने ये आंदोलन खत्म किया है।सोमवार को इनके प्रतिनिधिमंडल ने नया रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षकों की बात को गंभीरता से सुना और जल्द समाधान का भरोसा दिया।
मुख्यमंत्री ने दिया भरोसा
बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के प्रतिनिधियों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि शासन इस मांग पर गंभीर है और जल्द ही समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, जिसमें समायोजन की सिफारिश की गई है।
प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने खून से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया था।
समिति की रिपोर्ट पर सहमति
मुख्यमंत्री के साथ बैठक में यह भी तय हुआ कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट को अमल में लाया जाएगा।
रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को ‘सहायक शिक्षक (प्रयोगशाला)’ के पद पर समायोजित किया जाए। सरकार ने इस प्रक्रिया को जल्द शुरू करने का आश्वासन दिया है।
शिक्षकों ने जताया भरोसा
आंदोलन के अगुवा शिक्षकों ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद हमें विश्वास है कि अब शासन सकारात्मक पहल करेगा।
इसलिए हमने आंदोलन को सशर्त स्थगित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि निर्धारित समय में कार्यवाही शुरू नहीं हुई, तो वे फिर से आंदोलन की राह पकड़ेंगे।
प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय का भी घेराव किया था।
अलग-अलग तरीके से कर चुके हैं प्रदर्शन
बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक पिछले 126 दिनों से शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी प्रमुख मांग थी कि उन्हें नियमित सेवाओं में समायोजित किया जाए और भविष्य की नौकरी और वेतन सुरक्षा दी जाए। इस दौरान उन्होंने सरकार को कई बार ज्ञापन सौंपा, लेकिन समाधान नहीं मिलने पर आंदोलन जारी रहा।
शिक्षकों की अपील – जल्द हो अमल
धरना खत्म करने के बाद बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने सरकार से अपील की है कि आश्वासन को सिर्फ कागज तक सीमित न रखें, बल्कि जल्द से जल्द कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि वो शिक्षक हैं, और स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना ही उनका असली काम है। वे शिक्षा व्यवस्था में पूरी निष्ठा से योगदान देना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को भी उनके भविष्य को सुरक्षित करना होगा।
शिक्षकों के परिवारों को भी मिली राहत
चार महीने से चल रहे इस आंदोलन ने कई शिक्षकों और उनके परिवारों को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान किया था।
अब जब आंदोलन स्थगित हुआ है और समाधान की उम्मीद जगी है, तो उनके परिवारों ने भी राहत की सांस ली है।
शिक्षकों ने कहा कि यह सिर्फ एक नौकरी या समायोजन की लड़ाई नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों का जीवन इससे जुड़ा हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस मामले को जल्द निपटाकर, शिक्षा व्यवस्था को और मज़बूत बनाएगी।
लोकतांत्रिक तरीके से रखी बात
शिक्षकों का दावा है कि उन्होंने अपनी मांगों को लोकतांत्रिक तरीके से लगातार सरकार तक पहुंचाया। वे न तो किसी हिंसक प्रदर्शन का हिस्सा बने और न ही किसी राजनीतिक मंच का सहारा लिया। उनका एक ही उद्देश्य था – अपनी बात शांति से सरकार तक पहुंचाना।
सरकार पर अब उम्मीदों का दबाव
अब जबकि आंदोलन खत्म हो गया है, और शिक्षक प्रतीक्षा में हैं, सरकार पर दबाव है कि वह जल्द फैसले ले। वरना असंतोष फिर उभर सकता है। मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया आश्वासन अब सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि हजारों शिक्षकों के भविष्य से जुड़ा वादा है।