अहमदाबाद3 मिनट पहलेलेखक: उर्वी ब्रह्मभट्ट
- कॉपी लिंक

पाकिस्तान में कई दशकों से अलग बलूचिस्तान राज्य की मांग उठती रही है। दुनिया के अन्य देशों को शायद ही कभी पता हो कि पाकिस्तान बलूचिस्तान में क्या अत्याचार कर रहा है। बलूचिस्तानी लोग पाकिस्तान से इस हद तक नफरत करते हैं कि वे पाकिस्तान में रहते हुए भी खुद को पाकिस्तानी कहलाने को तैयार नहीं हैं। आखिर बलूचिस्तान के अंदर क्या हो रहा है, यह जानने के लिए दिव्य भास्कर ने बलूचिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बलूच नेशनल मूवमेंट के संयुक्त सचिव कमल बलूच से खास बातचीत की है।
बलूचिस्तान में हर पार्टी अलग देश की मांग करती है कमाल बलूच अपनी राजनीतिक पार्टी बलूच नेशनल मूवमेंट के बारे में बात शुरू करते हुए कहते हैं- हमारी पार्टी बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाली एक बहुत बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है। गुलाम मोहम्मद बलूच ने 2004 में इस पार्टी की स्थापना की थी। तबसे ही हम पूरी दुनिया में बलूचिस्तान की आजादी के लिए समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से पूरी दुनिया में बलूचिस्तान की आजादी की बात करती है। बलूचिस्तान में विभिन्न पार्टियां हैं और बलूच लिबरेशन आर्मी समेत सभी पार्टियां बलूचिस्तान की आजादी के लिए प्रयास कर रही हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
बलूचों ने हमेशा प्रतिरोध किया है बलूचिस्तान के इतिहास में जब भी बड़े और शक्तिशाली लोगों ने कब्जा करने की कोशिश की ,तो बलूचों ने इसका प्रतिरोध किया है। बलूच कभी नहीं देखते कि दुश्मन कितना शक्तिशाली है। बलूच केवल यह देखते हैं कि यदि कोई हमारी जमीन पर आता है, तो हमें एकजुट होकर उनके खिलाफ लड़ना होगा। पाकिस्तान के खिलाफ इस लड़ाई में भले ही हमारी ताकत थोड़ी कम रही हो, लेकिन हम पूरी ताकत से लड़ रहे हैं। 13 नवंबर 1939 को जब अंग्रेज बलूचिस्तान में आए तो मीर मेहराब खान बहादुरी से लड़े और शहीद हो गए।
इतिहास गवाह है कि हम अपनी पहचान नहीं खोना चाहते। दुनिया में सबसे बड़ी चीज है पहचान। हम इस समय पहचान के संकट से गुजर रहे हैं। जिन्ना और उनके पाकिस्तानियों ने हम पर कब्जे की साजिश रची थी, लेकिन बलूच खुद ही इसका प्रतिरोध करेंगे और आजादी मिलने तक चुप नहीं बैठेंगे। किसी भी तरह से बलूचिस्तान को आजाद कराने से ही बलूच सुकून की सांस लेंगे।
पाकिस्तान सालों से बलूचों की हत्याएं कर रहा है कमल बलोच कहते हैं- 1970 के दशक में जब बलूचों ने विरोध करना शुरू किया तो पाकिस्तान ने एक-एक करके बलूचों को गायब करना शुरू कर दिया था। मेरे पास रहने वाले अहमद शाह शहीद, असद मेंगल को पहले गायब कर दिया गया और फिर उन्हें शहीद कर दिया गया। कराची में रहने वाले हिंदू दिलीप दास ने फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट का समर्थन किया था और 70 के दशक में उन्हें गायब कर दिया गया था।
आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है कि वे जिंदा भी हैं या नहीं। पाकिस्तान अब तक हजारों बलूचिस्तानियों को गायब कर चुका है। ये लोग लापता नहीं हैं, बल्कि पाकिस्तानी सेना ने इन्हें कैद कर रखा है या फिर उनकी हत्या कर दी है। इसके लिए पूरी तरह से पाकिस्तानी सेना जिम्मेदार है।
सिर्फ एक महीने में एक हजार बलूच लोग गायब हो गए बलूचिस्तान के मानवाधिकार विभाग ‘पांक’ (Paank) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक महीने में एक हजार लोग गायब हो चुके हैं। हमारे घर के आसपास कई लोगों की लाशें पड़ी मिलती हैं। बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों को शब्दों में नहीं बताया जा सकता। पाकिस्तानी सेना का दावा है कि ये लोग लापता हुए हैं। लेकिन, दुनिया जानती है कि हमें कौन उठा रहा है, कौन हमें गिरफ्तार कर रहा है और जेलों में डाल रहा है और यह सब केवल पाकिस्तानी सेना कर रही है।
पाकिस्तान ने बलूचों को परेशान करने के लिए टॉर्चर सेल बनाए हैं पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के बारे में बात करते हुए कमाल बलूच ने अपने खुद के दर्दनाक अनुभव सुनाए और कहा- मैं भी पाकिस्तान में टॉर्चर सेल में रहा हूं। 9 नवंबर 2009 को जब मैं बलूचिस्तान की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था, तो मुझे और मेरे दोस्त को कॉलेज से बाजार जाते समय अगवा कर लिया गया था। मेरे दोस्त को तो रिहा कर दिया गया था, लेकिन मुझे दो महीने और 22 दिनों तक पाकिस्तानी सेना के अत्याचार सहने पड़े। पाकिस्तानी सेना ने जगह-जगह टॉर्चर सेल बना रखे हैं और बलूचों को उनमें डाल रही है। यह मानवता के विरुद्ध अपराध है। यह एक तरह का युद्ध है और पाकिस्तानी सेना इसमें सीधे तौर पर शामिल है।
यातना सेल में हम मौत की प्रार्थना करते हैं कमाल बलूच यातना सेल की बर्बरता के बारे में बताते हैं- सेना हमें जिंदा रखने के लिए दो निवाले ही देती है- हम पर दया करने के लिए नहीं, बल्कि हमें यातनाएं सहने के लिए। पाकिस्तानी यातना कक्षों में रहने वाले बलूच लोग अल्लाह की इबादत केवल एक ही बात को ध्यान में रखकर करते हैं कि उन्हें मौत आ जाए। पाकिस्तान में यातना कक्ष में मरना सबसे आसान है। वहां हर किसी की एक ही इच्छा होती है कि ये दिन देखने से तो अच्छा है कि वे मर जाएं।
बिजली के झटके देने से लेकर अकल्पनीय यातना देने तक पाकिस्तानी सेना बिजली के झटके देने से लेकर बेरहमी से पीटने तक। शारीरिक और मानसिक यातना देने में कोई कसर नहीं छोड़ती। मैं भारत और दुनिया को बताना चाहता हूं कि पाकिस्तानी सेना अपने यातना कक्षों में बलूचों को ऐसे-ऐसे तरीकों से प्रताड़ित करती है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यदि आपको पता चले कि वे किस प्रकार के अत्याचार करते हैं तो आप निश्चित रूप से अपना दिमागी संतुलन खो देंगे। यातना कक्षों में बलूचों पर दी जाने वाली यातना असहनीय है। पूरी दुनिया को पता चलना चाहिए कि यही पाकिस्तान की असली हकीकत है।
मैं टॉर्चर सेल में अकेला नहीं था, मेरे साथ कई बलूच थे पाकिस्तान के टॉर्चर सेल में अकेला नहीं था, मेरे साथ कई बलूच भी थे। मैं तो वापस आ गया हूं, लेकिन मेरे कई दोस्त अभी भी वहीं हैं। मेरे साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले समीर मेंगन को भी यातना कक्ष में बंद कर दिया गया था। दोस्त सफर खान आज भी लापता है। सैफ सोराब और मैं यातना कक्ष में आमने-सामने थे और एक-दूसरे पर हो रहे अत्याचारों को देख रहे थे। ऐसे हजारों लोग हैं। मैं अभी भी उन दिनों को नहीं भूला हूं।
बलूच होना ही हमारा एकमात्र अपराध है पाकिस्तानी सेना की यातनाओं के बारे में कमल ने कहा- पाकिस्तानी सेना के लिए केवल एक मुद्दा महत्वपूर्ण है और वह यह है कि अगर सामने वाला व्यक्ति बलूचिस्तान से है, तो उसे यातना दो। फिर चाहे वह आदमी हो बच्चा हो या औरत। मैं समाजशास्त्र का छात्र था। वह समाज को समझने की कोशिश कर रहा था। मेरा एकमात्र अपराध यह था कि मैं बलूच इतिहास जानता था। मैं बलूच छात्र संगठन का सदस्य भी था और पाकिस्तान में बलूच होना बहुत बड़ा अपराध है।
वे महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार करते हैं, उनकी निर्मम हत्या करते हैं पाकिस्तान का कोई धर्म या आस्था नहीं है। उनका एक ही कानून है और वह है बलूचों पर अत्याचार करना, उन्हें डरा कर रखना, उन्हें गायब कर देना और अपमानित करना। यह बात पाकिस्तान जानता है। पाकिस्तान के बारे में मैं और क्या कहूं? आज पूरी दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान ने हमारे खिलाफ कितने अत्याचार कर रहा है।
वे किसी भी समय महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर उनके साथ बलात्कार करते हैं। उनकी निर्मम हत्या करते हैं। घर जलाना, घर लूटना ये सब तो आम बात है। पाकिस्तान हमेशा बलूचों को मानसिक यातना में रखकर खुश रहना चाहता है। पाकिस्तान का उद्देश्य बलूच समुदाय को परेशान करना है। यही पाकिस्तानी सेना का काला चेहरा है।
पाकिस्तान दुष्प्रचार के जरिए हमें बदनाम कर रहा है कमल बलोच से पूछा गया कि पाकिस्तान अक्सर आरोप लगाता है कि वह बलूचिस्तान की सेना पर हमले करता है, तो इस पर आप क्या कहेंगे? कमाल बलूच ने कहा- हम उन पर हमला करते हैं। बलूचिस्तान केवल यही कहेगा कि उन्होंने गलत तरीके से हम पर अपना प्रभुत्व थोपा है, इसलिए यदि वे बलूचिस्तान छोड़ देंगे तो उन पर हमला नहीं किया जाएगा। हमारा पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं है। पाकिस्तान को हमारी जमीन पर आकर हम पर हावी होने का अधिकार किसने दिया?
यह मुमकिन नहीं है कि कोई दूसरा देश हम पर कब्जा कर ले और हमसे कुछ भी न करने की उम्मीद करे। यह निश्चित है कि हम अपनी पहचान के लिए पाकिस्तान को जवाब देंगे। हम पाकिस्तान के खिलाफ लड़ेंगे, बोलेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। दुनिया में जिस किसी ने भी बलूच इतिहास पढ़ा है, वह जानता है कि बलूच समुदाय कभी किसी के प्रभुत्व में नहीं रहा और स्वतंत्रता के लिए कुछ भी कर सकता है।
पाकिस्तानी बलूचिस्तान में नरसंहार कर रहे हैं और ऐसी चीजों को सामने आने से रोकने के लिए वे बलूच समुदाय को बदनाम कर रहे हैं। पाकिस्तान के लिए दुष्प्रचार कोई नई बात नहीं है। यह तो उनके खून में है। 1971 में पाकिस्तान को भारत से हार का सामना करना पड़ा और उसे अपनी जमीन गंवानी पड़ी, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ। इसके बावजूद पाकिस्तानी यही कहते हैं कि 1971 की जंग तो हमने जीती थी।
बलूचिस्तान में 1948 से हो रहा है विरोध सन 1948 में जब पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर कब्जा किया तो आगा अब्दुल करीम खान ने विरोध किया और पाकिस्तान के शासन को खारिज करते हुए कहा कि हम स्वतंत्र हैं। हम 1948 से ही पाकिस्तान का विरोध करते आ रहे हैं और इसके लिए हम अलग-अलग स्तरों पर कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान की आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) ने सोशल मीडिया पर बलूच के नाम से कई फर्जी आईडी बनाई हैं और उन पर अपमानजनक बातें लिख रही है। बलूच नेशनल मूवमेंट ने पहले दिन से ही घोषणा कर दी थी कि हम पाकिस्तान में विश्वास नहीं करते और हम आजादी चाहते हैं।
यदि वियतनाम अमेरिका से मुक्त हो सकता है, तो पाकिस्तान क्या है?’ कमाल बलूच दुनिया को संदेश देते हुए कहते हैं, ‘हम अमेरिका को महाशक्ति मानते हैं।’ छोटे वियतनाम को अमेरिका से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। यदि वियतनाम महाशक्ति अमेरिका से मुक्त हो सकता है तो पाकिस्तान कुछ भी नहीं है। पाकिस्तान अमेरिका के टुकड़ों पर जीने वाला देश नहीं, बल्कि माफिया है। बलूच इस माफिया से आजादी पा सकते हैं और पाएंगे भी।
यह निश्चित है कि वह अपनी शक्ति का प्रयोग करके तथा विश्व में हर जगह अपने विचार व्यक्त करके स्वतंत्रता प्राप्त कर लेगा। आज नहीं तो 100 साल बाद, या फिर जितने भी साल लगें, हम पाकिस्तान से स्वतंत्र ही रहेंगे। “कोई भी समुदाय की शक्ति को पार नहीं कर सकता है और बलूच समुदाय निश्चित रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करेगा।”
भारत हमें वित्तीय सहायता नहीं देता जब कमाल बलूच से पूछा गया कि बलूचिस्तान अपनी आजादी के लिए जो कुछ भी करता है, उसके लिए पैसा कहां से आता है, तो उन्होंने कहा, ‘अगर आप देश चलाना चाहते हैं, तो आपको टैक्स के पैसे की जरूरत होती है। बलूचिस्तान की बात करें तो वह एक अलग देश था और उसके पास पैसा था। इसलिए इस समुदाय के पास भी पैसा है। बलूचिस्तान में पैसा कहां से आता है? यह सवाल अक्सर पूछा जाता है, लेकिन बलूच समुदाय एकजुट होकर धन मुहैया करता है।
पाकिस्तान बार-बार दावा करता है कि भारत बलूचों को आर्थिक मदद दे रहा है, लेकिन अगर ऐसा होता तो बलूच समुदाय बार-बार दुनिया से मदद की गुहार क्यों लगाता? भारत ने जिस तरह से बांग्लादेश का साथ दिया, उसके परिणाम सबके सामने हैं और आज वह एक अलग देश है। यदि भारत ने हमारा साथ दिया होता तो हम आजाद हो गए होते। कहा जाता है कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान से 73 हजार बंदूकें छीन ली थीं और हमने वो बंदूकें भी मांगी थीं। हम आज भी इन तोपों के साथ पाकिस्तानी सेना से लड़ने के लिए तैयार हैं। यदि विश्व ने हमारा समर्थन किया होता तो परिणाम कुछ और होते। पाकिस्तान जानबूझकर फंडिंग पर सवाल उठाकर हमारे संघर्ष को बदनाम करना चाहता है।
मानवीय आधार पर हमारी मदद करे भारत कमल बलूच ने भारत से मदद की अपील करते हुए कहा- भारत एक जिम्मेदार और लोकतांत्रिक देश है। एक पड़ोसी देश के रूप में हमारी मदद करना भारत की जिम्मेदारी है। भारत की आंखों के सामने और उसकी नाक के नीचे बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और अपराध लगातार बढ़ रहा है। भारत को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और हमारे मुद्दे को दुनिया के सामने लाना चाहिए। भारत को पाकिस्तान के अत्याचारों के सामने चुप नहीं रहना चाहिए। हम चाहते हैं कि भारत मानवीय आधार पर हमारी मदद करे।
भारत में चाहे मोदी सरकार हो या किसी भी पार्टी की सरकार हो, हम हमेशा भारत से यही अपील करते हैं कि बलूचिस्तान के मुद्दे पर भारत अपना कर्तव्य निभाए। जिस प्रकार पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बहादुरी से बांग्लादेश का समर्थन किया था, उसी प्रकार भारत को बलूचिस्तान में शांति लाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। भारत इस बात पर विचार कर रहा है कि बलूचिस्तान की मदद की जाए या नहीं, लेकिन उसे सोचने की नहीं, बल्कि काम करने की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि भारत बलूचिस्तान की मदद करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई पर्याप्त नहीं थी ऑपरेशन सिंदूर की खबर सामने आते ही कमाल बलूच ने थोड़ी निराशा व्यक्त करते हुए कहा- इस ऑपरेशन के तहत की गई कार्रवाई पर्याप्त नहीं थी। यदि आतंकवाद को खत्म करना है तो उसे जड़ से खत्म करना होगा। युद्ध विराम की कोई आवश्यकता नहीं। आतंकवाद जहां भी फैला है, वहां समाप्त नहीं किया गया तो यह फिर फैलेगा। आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना जरूरी है।
भारत को बलूचिस्तान की तुलना में पाकिस्तान की नापाक हरकतों से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। पाकिस्तान अक्सर भारत पर आतंकवादी हमले करता रहता है। पहलगाम हमले से पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने भड़काऊ भाषण दिया था और भारत को खुलेआम धमकी दी थी। जब तक अमेरिका के टुकड़ों पर पल रहे पाकिस्तान का सफाया नहीं हो जाता, तब तक भारत, बलूचिस्तान, ईरान या अफगानिस्तान में भी शांति कायम नहीं होगी।
बलूचिस्तान के कडू मकरानी गुजरात गए और अंग्रेजों के खिलाफ लड़े कमल बलूच ने गुजरात की कहानी याद करते हुए कहा, ‘भारत और बलूचिस्तान के बीच सालों से संबंध रहे हैं। हमारा समुदाय भारत आया और भारतीयों के लिए लड़ा। कडू मकरानी का जन्म बलूचिस्तान के मकरान में हुआ था। जब कडू मकरानी गुजरात आये तो उन्होंने अंग्रेजों का अत्याचार देखा और वे इसे और सहन नहीं कर सके, इसलिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए।
मकरानी गुजरात की ओर से लड़े। भारत को यह बात याद रखनी चाहिए और हमारी मदद करनी चाहिए। उस समय अंग्रेज बहुत शक्तिशाली थे, जब एक आदमी बलूचिस्तान से आया और गुजरातियों के लिए लड़ा। हम भारत से भी यही उम्मीद करते हैं। इतिहास गवाह है कि बलूचिस्तान ने भारत का समर्थन किया है। आज भारत की जिम्मेदारी है कि वह अपनी दबी हुई आवाज को दुनिया तक पहुंचाए।
आजादी के बाद हम सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेंगे एक बार बलूचिस्तान आजाद हो जाए तो हम यह गारंटी के साथ कहते हैं- चाहे वह चीन हो, अमेरिका हो, भारत हो, अफगानिस्तान हो, अरब देश हों, फारस हो या तुर्की हो। हम एक जिम्मेदार देश होंगे और दुनिया को शांति और सद्भाव का संदेश देंगे। बलूचिस्तान का इतिहास बताता है कि उसने अपने पड़ोसियों के साथ कभी झगड़ा नहीं किया और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे।
हम दूसरे देशों को वहां व्यापार नहीं करने देंगे चीन बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर काम कर रहा है। इस बारे में कमाल बलूच कहते हैं- हमने इस मुद्दे पर चीन से सिर्फ एक ही बात कही है कि फिलहाल आप बलूचिस्तान के साथ कोई व्यापार समझौता नहीं करेंगे। एक बार बलूचिस्तान आजाद हो जाए तो हम मिलकर काम करेंगे। एक स्वतंत्र बलूचिस्तान हर देश का कालीन बिछाकर स्वागत करेगा। फिलहाल हम ऐसे किसी भी देश का विरोध करने के लिए दृढ़ हैं।
बलूचिस्तान में लोकतंत्र कायम रहेगा आजादी के बाद हम एक लोकतांत्रिक देश बनेंगे और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाएंगे। हमारी पार्टी का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि बलूचिस्तान में लोकतंत्र होगा और जनता शासन करेगी। जब दुनिया को लोकतंत्र के बारे में पता भी नहीं था, तब बलूचिस्तान में लोकतांत्रिक शासन कायम था। नेताओं का चयन संसद में चुनाव के जरिए किया जाता था। जब दुनिया सेकंड वर्ल्ड वॉर लड़ रही थी, तब भी बलूचिस्तान में लोकतंत्र था।
हमारे यहां तो 3जी नेटवर्क भी नहीं है बलूचिस्तान को प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध कहा जाता है। जब उनसे पूछा गया कि वहां किस तरह का विकास हुआ तो कमल बलूच निराशा के स्वर में कहते हैं- दुनिया चांद पर पहुंच गई है। इस समय दुनिया एआई की बात कर रही है, लेकिन बदकिस्मती से आज बलूचिस्तान में 3-जी नेटवर्क तक नहीं आ पाया है। दुनिया केवल अनुमान ही लगा सकती है कि वहां के हालात कैसे हैं।
हम तालिबान नहीं, महिलाओं का सम्मान करते हैं बलूचिस्तान में महिलाओं के साथ तालिबान जैसा व्यवहार नहीं होता। बलूचिस्तान की कई महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन किया है और आजादी के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। महिलाएं हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देती हैं। बलूच छात्र संगठन के अध्यक्ष कहते हैं- झांसी की रानी से लेकर कई अन्य महिलाओं ने अपने देश के लिए लड़ाई लड़ी है, तो बलूचिस्तान की महिलाएं क्यों नहीं लड़ सकतीं? महिलाएं हमारे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हमारी पार्टी में बड़ी संख्या में महिलाएं हैं और वे अलग-अलग संगठनों का नेतृत्व भी कर रही हैं।
मैं बलूचिस्तान में बलूच समुदाय के साथ हूं इन शब्दों के साथ अपनी बातचीत का समापन करते हुए कमल बलूच कहते हैं- मैं पाकिस्तानी सेना के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। फिलहाल मैं आजादी के लिए लड़ रहा हूं और बलूचिस्तान में हूं, लेकिन सुरक्षा चिंताओं के कारण मैं ज्यादा बाहर नहीं जाता हूं।