Homeराजस्थानबांग्लादेशी हिंदू बोले- हमसे पैसे, गोल्ड, लड़कियां मांग रहे कट्टरपंथी: डर-डर...

बांग्लादेशी हिंदू बोले- हमसे पैसे, गोल्ड, लड़कियां मांग रहे कट्टरपंथी: डर-डर कर नहीं जीना, भारत वीजा नहीं देगा तो बॉर्डर पार करेंगे


‘5 अगस्त की शाम साढ़े 6 बजे का वक्त था। मेरे घर के पास तोड़फोड़ हुई। मुझे किसी अनजान शख्स ने कॉल करके गालियां और धमकी दी। कहा- घर पर ही रहना, बाहर मत निकलना। तब मैं दुकान पर था। ये सुनकर मेरे माता-पिता ने मुझे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया।’

.

‘इसके बाद 10-12 बाइक सवार मेरे घर पहुंचे। घरवालों ने मुझे बताया कि उनके हाथ में हथौड़ा, चाकू, दरांती जैसे हथियार थे। उन्हें जब पता चला कि मैं घर पर नहीं हूं, तो वे चले गए। करीब रात 12 बजे वो लोग दोबारा आए। फिर मैं नहीं मिला तो लगातार मुझे फोन करके धमकाते रहे।’

बांग्लादेश के जसोर में रहने वाले देबाशीष (बदला हुआ नाम) डरे हुए हैं। हमसे बात करते हुए वो दुनिया को अपना असली नाम और चेहरा तक नहीं दिखाना चाहते। उन्हें डर है कि अगर उनकी पहचान सामने आ गई तो बांग्लादेश में उनके लिए रहना और मुश्किल हो जाएगा।

बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से हिंदू कम्युनिटी इसी डर में जी रही है। दैनिक भास्कर ने देबाशीष समेत कुछ हिंदू कम्युनिटी के लोगों से बात की। वे बांग्लादेश में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। उनके गोल्ड, पैसे और लड़कियों पर कट्टरपंथियों की बुरी नजर है।

उनकी भारत सरकार से वीजा देने की गुजारिश है। उनका कहना है कि अगर वीजा नहीं मिला तो वो बॉर्डर भी पार करने को तैयार हैं।

सबसे पहले हम ढाका से जसोर पहुंचे…
एक आश्रम में मिले देबाशीष और अभिजीत, सुनाई आपबीती
ढाका में रहते हुए जब हम हिंदुओं पर हुए हमलों की पड़ताल कर रहे थे। इस दौरान फोन पर हमारी बात जसोर के रहने वाले देबाशीष से हुई। उन्होंने बांग्लादेश में रहने को लेकर अपना डर और तकलीफ बताई। फोन पर उनकी आवाज बहुत दबी-सहमी थी।

उन्होंने कहा कि क्या आप हमसे मिलने जसोर ही आएंगे। जसोर जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) का गढ़ है। हमें हिदायत मिली थी कि सुदूर इलाकों में ट्रैवल करते हुए अलर्ट रहें। हम ढाका से 200 किमी का सफर कर जसोर पहुंचे। फिर यहां से 35 किमी दूर ग्रामीण इलाके में। यहां अब भी पुलिस पूरी तरह एक्टिव नहीं है।

यहां हिंदुओं की अच्छी तादाद है। हम एक आश्रम में मिलने वाले थे। वहां तक कार नहीं जा सकती थी। लिहाजा कुछ दूर तक हम पैदल चले। इसके बाद हमारी मुलाकात देबाशीष और अभिजीत से हुई। बांग्लादेश में रह रहे दोनों हिंदू कम्युनिटी से हैं और मछली पालन के पेशे से जुड़े हैं।

हर रोज धमकाया जा रहा, जमीन जायदाद छोड़कर भारत आना चाहते हैं
जसोर में देबाशीष मछली पालन का काम करते हैं। वे बताते हैं, ‘5 अगस्त के बाद से ही मुझे लगातार धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं। वो हमसे 2-3 लाख रुपए की मांग करते रहे। अगर मैंने पैसे नहीं दिए तो वो मेरे बेटे को अगवा कर लेंगे। उस रात मैं, मेरा बेटा और बड़ा भाई घर नहीं लौटे। इसके बाद कॉल पर मुझे गालियां देकर धमकाया गया।’

मैं अपने रिश्तेदार के यहां रुकना चाहा, लेकिन उन्होंने रुकने से मना कर दिया। उस दिन पूरी रात मुझे कॉल आते रहे। इसके 3-4 दिन बाद मुझे अपने ही गांव के ही एक व्यक्ति ने फोन कर कहा कि अगर घर लौटना चाहते हो तो एक लाख रुपए दे दो और सुलह कर लो।’

‘मैंने कहा कि मैं एक पैसा भी नहीं दूंगा, तुम चाहो तो मेरा मर्डर कर दो या घर तोड़ दो। रात 12 बजे फिर एक कॉल आई। उसने 3 लाख रुपए की डिमांड की। मैंने फिर देने से मना कर दिया। तब उसने धमकाते हुए कहा कि कितने दिन भागोगे, मैं तुम्हारा मर्डर कर दूंगा।’

5 से 11 तारीख तक मुझे लगातार धमकियां मिलती रहीं। मैं पूरी तरह से थक चुका था। फिर 11 अगस्त को उन्होंने एक लड़के को भेजा, जिसके हाथ मैंने 15 हजार रुपए भिजवाए। मैं नहीं जानता कि जिसने कॉल किया वो कौन था। जो पैसे लेने आया था, वो हमारे इलाके का ही लड़का था। वो जमात-ए-इस्लामी से जुड़ा हुआ है।

बांग्लादेश के जसोर में देबाशीष मछली पालन का काम करते हैं। देश में जब से सत्ता परिवर्तन हुआ है, तब से उन्हें धमकियां मिल रही हैं और पैसों की डिमांड की जा रही है।

वे कहते हैं, ‘मेरे इलाके में सभी हिंदू रहते हैं। हम यही सोच रहे हैं कि हम अपनी सारी जमीन जायदाद छोड़कर इंडिया चले जाएंगे। मेरा एक बेटा है। मैं उसे अपने साथ ले जाऊंगा। हमारा यहां कोई भविष्य नहीं है। मेरा एक दूर का भाई भी इंडिया में ही है।’

उन्होंने भारत सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि हम भारत में कुछ भी काम करके अपना गुजारा कर लेंगे, बस हमें अपने देश आने दो। मेरे बेटे का SSC का एग्जाम है। अगर मुझे किसी तरह का कुछ काम मिल जाएगा, तो मैं अपने बाकी परिवारजनों को भी यहां से लेकर जाऊंगा। यहां मेरा काम पूरी तरह बंद हो चुका है।’

इंडिया प्लीज हमें वीजा दे दो, नहीं मिला तो बॉर्डर पार करके आएंगे
देबाशीष के साथ ही यहां हमारी मुलाकात अभिजीत (बदला हुआ नाम) से हुई। वे मछली पालन करने वाली प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं। अभिजीत कहते हैं, ‘5 अगस्त के बाद हम पर बहुत दबाव है। हमारी फर्म के मालिक भाग गया। उनका फोन बंद है। लोग मुझे फोन करके दबाव बना रहे हैं। मुझे धमकी मिली कि अपने मालिक से पैसा निकलवाओ, नहीं तो तुम्हारी गाय उठवा लेंगे।

अभिजीत आगे कहते हैं, ‘कॉल करके धमकी देने वाले पहचान के ही लोग हैं। वो BNP से जुड़े हैं। मेरी उनसे पहले से जान-पहचान है। मैंने उसको पैसे दिए हैं। वो हमारी गाय उठवाने के लिए भी आया था। जब मैंने गाय नहीं ले जाने दी तो उसने ढाई लाख की डिमांड रख दी। अब मैं पैसों का बंदोबस्त कर रहा हूं।’

‘उनका मकसद किसी को मारना नहीं है। वो गोल्ड, पैसा और लड़कियों की डिमांड कर रहे हैं। यहां बहुत सी लड़कियों की इज्जत लूटी गई, लेकिन वो बता नहीं पा रही हैं। उन्हें डर है कि परिवार और गांव वाले उन्हें अलग-थलग न कर दें।’

बांग्लादेश में अब हिंदुओं को नौकरी नहीं मिलने वाली
अभिजीत कहते हैं, ‘हम इंडिया चले जाएंगे। मैं पहले से ही इंडिया में जमीन खरीदने के बारे में सोच रहा हूं। इस इलाके में 70 हजार लोग रहते हैं। अगर मौका मिले तो 30 हजार लोग यहां से भारत चले जाएंगे। हमें इस नई सरकार पर कोई भरोसा नहीं है।’

‘सरकार में ऊपर बैठे लोग कह रहे हैं कि हमें प्रोटेक्शन देंगे, लेकिन उनके ही नीचे बैठे लोग हमें परेशान कर रहे हैं। यहां आर्मी और पुलिस 5 अगस्त के बाद दिखाई भी नहीं दी। मैं किसी भी हालात में भारत जाना चाहता हूं।’

‘मैं वीजा के लिए अप्लाय करूंगा। अगर वीजा नहीं भी मिला तो मैं बॉर्डर पार करके चला जाऊंगा। वहां जाकर भी मैं मछली पालन का काम कर लूंगा। भारत सरकार से गुजारिश है कि हमें वहां रहने के लिए जरूरी कागजात और सुरक्षा दिला दे।’

‘मैं बस यही चाहता हूं कि रात को चैन की नींद सो सकूं। यहां अब तो ऐसे दिन आने वाले हैं कि बांग्लादेश में किसी हिंदू को नौकरी भी नहीं मिलेगी।’

अभिजीत आगे कहते हैं, ‘मेरे घर के पास ही एक प्राइमरी स्कूल के टीचर रहते थे। लोग उनका पूरा घर लूटकर ले गए। इसके बाद वो टीचर भारत चले गए। तब से हम सब डरे हुए हैं। हमारे घर के पास एक मंदिर है, उस पर भी हमला हो सकता है। हम मंदिर की सुरक्षा में बैठे हुए हैं।’

‘ज्यादातर लोग इंडिया जाना चाहते हैं। हमें शांति चाहिए। बंगाली लोग शांतिप्रिय होते हैं। हमें छात्रों की सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। अवामी लीग अब अगले 20 साल तक सरकार में वापसी नहीं कर पाएगी। इसलिए हमें कम से कम 20 साल तक बाहर ही रहना होगा।’

जसोर पुलिस ने न मुलाकात का वक्त दिया, न कोई बात की
जसोर शहर लौटने के बाद हम वहां के पुलिस थाने पहुंचे। हमने इस बारे में सर्किल ऑफिसर (थाना प्रभारी) से मुलाकात कर बात करने की कोशिश की। काफी गुजारिश के बाद भी वो हमने मिलने के लिए राजी नहीं हुए।

जसोर के पुलिस स्टेशन की तस्वीर है। देश में करीब 90% थाने अब ऑपरेशनल हो गए हैं।

शाम करीब 7 बजे पुलिस स्टेशन आम दिनों की तरह चहल-पहल थी। पुलिस थाने में हमारे सोर्सेज ने बताया कि करीब 90% थाना अब ऑपरेशनल हो गया है। जो भी शिकायतें लेकर आ रहा है उनकी शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, लेकिन सुदूर ग्रामीण इलाकों में अब भी थानों में कामकाज ठीक से नहीं हो रहा। वहां के थाने अब भी आर्मी की मदद से चल रहे हैं।

देबाशीष और अभिजीत जैसे लोगों में इस तरह का खौफ भारत पर शरणार्थी संकट बनकर खड़ा हो सकता है। हालांकि, BSF ने पूरी मुस्तैदी के साथ बॉर्डर पर जवानों की तैनाती की हुई है ताकि कोई भी सीमापार से घुसपैठ ना हो, लेकिन बांग्लादेश और भारत के बीच बॉर्डर का काफी हिस्सा अब भी खुला है। ऐसे में ये मुस्तैदी कब तक बनी रहेगी, ये सबसे बड़ा सवाल है।



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version