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भारत में कम हो सकते हैं बासमती चावल के दाम: इजराइल से जंग के चलते ईरान को एक्सपोर्ट कम होगा, 2024-25 में ₹6,374 करोड़ का चावल खरीदा था


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नई दिल्ली18 मिनट पहले

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सऊदी अरब और इराक के बाद ईरान भारतीय बासमती चावल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है।

इजराइल और ईरान के बीच तनाव की वजह से भारत में बासमती चावल की कीमतें कम हो सकती हैं। आने वाले हफ्तों में इजराइल से जंग के चलते ईरान, भारत से बासमती राइस का इंपोर्ट कम कर सकता है। देश में बासमती चावल की कीमतों में पिछले दो महीनों में ज्यादा एक्सपोर्ट के कारण 15-20% की ग्रोथ देखने को मिली थी।

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट एजेंसी यानी APEDA के मुताबिक, सऊदी अरब और इराक के बाद ईरान भारतीय बासमती चावल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है। 2024-25 के दौरान भारत ने ₹6,374 करोड़ की वैल्यू का बासमती चावल ईरान को एक्सपोर्ट किया था, जो उस अवधि के लिए भारत के टोटल बासमती एक्सपोर्ट का 12.6% था।

भारतीय बासमती चावल की कीमतें 75-90 रुपए प्रति किलोग्राम तक गिर जाने के बाद वेस्ट एशिया और ईरान के प्रमुख इंपोर्टर्स देशों ने अपनी खरीद बढ़ा दी थी। इसके बाद देश में बासमती चावल की कीमतों में तेजी आई थी।

ट्रांसशिपमेंट संबंधी समस्याओं के कारण कीमतों में सुधार

ET की रिपोर्ट के अनुसार, बासमती चावल के एक्सपोर्टर राजेश जैन पहाड़िया ने कहा, ‘एक्सपोर्ट प्राइस एक महीने पहले के 1000 डॉलर (85,988 रुपए) प्रति टन से घटकर 900 डॉलर (77,390 रुपए) प्रति टन पर आ गई हैं। ट्रांसशिपमेंट संबंधी समस्याओं के कारण कीमतों में सुधार हुआ है।’

भारतीय बासमती चावल की कीमतें अप्रैल में निचले स्तर पर थीं

महाराष्ट्र में बासमती चावल के एक्सपोर्टर और डोमेस्टिक ट्रेडर धवल शाह ने कहा, ‘भारतीय बासमती चावल की कीमतें अप्रैल में अपने निचले स्तर पर पहुंच गई थीं, क्योंकि कई कारकों की वजह से तब ग्लोबल एक्सपोर्ट डिमांड कम रही थी।

हालांकि, इसके बाद एक्सपोर्ट डिमांड में ग्रोथ देखने को मिली थी, क्योंकि हर कोई कम कीमतों पर बासमती चावल स्टॉक करना चाहता था। इस वजह से मई में एक्सपोर्ट में उछाल आया और कीमतों में भी लगभग 15-20% की ग्रोथ देखने को मिली।’

अभी बासमती चावल की कीमतें स्थिर रहने की संभावना

धवल शाह ने कहा, ‘अभी बासमती चावल की कीमतें स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन ट्रम्प इफेक्ट और युद्ध के बढ़ने जैसे फैक्टर्स भविष्य में कीमतों की दिशा तय करेंगे। युद्ध बढ़ने के संकेत मिलने पर देश अपनी फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा खरीददारी करते हैं।’

इंडियन राइस एक्सपोर्ट फेडरेशन के नेशनल प्रेसिडेंट प्रेम गर्ग ने वर्तमान समुद्री शिपमेंट और पेंडिंग पेमेंट के मुद्दों पर चिंता व्यक्त की है। ट्रेड एस्टीमेट से पता चलता है कि ईरान के साथ बासमती ट्रेड के लिए बकाया राशि आम तौर पर 1,000-1,200 करोड़ रुपए है। ईरान के साथ हमारे व्यापार में हम 20% एडवांस पेमेंट लेते हैं और बाकी सब 180 दिनों के क्रेडिट पर होता है।’

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