सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी हो रही है। 8 दिनों के लिए स्पेस गईं सुनीता पिछले 9 महीने से वहां फंसी थीं। आखिरकार 19 मार्च 2025 को सुनीता इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होंगी।
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ये स्पेसक्राफ्ट 400 किमी का सफर करीब 3 घंटे में तय करके अटलांटिक महासागर या मेक्सिको की खाड़ी में स्प्लैश डाउन होगा। हालांकि धरती पर एंट्री के समय ड्रैगन कैप्सूल का एंगल सटीक होना जरूरी है।
मंडे मेगा स्टोरी में अंतरिक्ष से सुनीता की वापसी का पूरा प्लान और इससे जुड़े खतरों की पूरी कहानी…
स्पेस से लौटने के बाद सुनीता विलियम्स को क्या दिक्कतें आ सकती हैं?
5 जून 2024 को महज 8 दिन के लिए ISS गईं सुनीता विलियम्स 287 दिन बाद धरती पर वापस लौटने वालीं हैं। करीब 9 महीनों तक स्पेस में जीरो-ग्रैविटी में रहने के कारण उन्हें धरती पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ पुराने वाकये पढ़िए…
1. धरती पर चलना भूलना
1 मार्च 2016 को अमेरीकी एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली और रूसी एस्ट्रोनॉट मिखाइल कॉर्निएंको स्पेस में 340 दिन बिताकर धरती पर वापस लौटे थे। स्पेसक्राफ्ट से निकलते वक्त उनकी हालत इतनी खराब थी कि 4 लोगों ने उन्हें उठाकर एक कुर्सी में बिठाया।
स्पेसक्राफ्ट से बाहर आने के बाद एस्ट्रोनॉट स्कॉट ठीक से खड़े नहीं हो सके। उनके साथी उन्हें उठाकर ले जाते हैं।
वजह: धरती पर चलना, दौड़ना, उठना-बैठना जैसी एक्टिविटी में मांसपेशियां ग्रैविटी के खिलाफ काम करती है, लेकिन स्पेस में जीरो-ग्रैविटी के कारण मांसपेशियों काम ही नहीं करती। इससे मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। हर महीने हड्डियों की डेंसिटी 1% कम हो जाती है, जिससे पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों पर असर पड़ता है।
2. खड़े होने में परेशानी, अचानक गिर पड़ना
21 सितंबर 2006 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेफानीशिन-पाइपर 12 दिनों तक स्पेस में रहकर धरती पर लौटीं थीं। एक प्रोग्राम में जैसे ही वो खड़ी हुईं और बोलना शुरू कीं, तो वो लड़खड़ाकर अचानक गिर पड़ीं।
एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेज पर बोलते समय अचानक लड़खड़ाकर गिर गईं।
वजह: कान और दिमाग में वेस्टिबुलर सिस्टम (Vestibular System) होता है, जो हमारे शरीर का बैलेंस बनाने में मदद करता है। स्पेस में जीरो-ग्रैविटी के कारण यह सिस्टम सही से काम नहीं करता। ऐसे में धरती पर लौटने वाले कुछ एस्ट्रोनॉट्स को कुछ दिनों तक खड़े होने, बैलेंस बनाने और आंखें, हाथ, पैर जैसे अंगों के बीच कोऑर्डिनेशन बनाने में दिक्कत आती है।
3. चीजों को हवा में छोड़ देना
NASA के एस्ट्रोनॉट टॉम मार्शबर्न एक इंटरव्यू में अपनी स्पेस जर्नी की बातें बता रहे थे। तभी वो पानी की बोतल और पेन को हवा में छोड़ देते हैं। दोनों ही जमीन पर गिर जाते हैं। अचानक उन्हें याद आता है कि वे तो धरती पर हैं, जहां ग्रैविटी काम करती है। वो कहते हैं, ‘स्टूपिड ग्रैविटी’।
एस्ट्रोनॉट टॉम धरती पर आने के बाद भी चीजों को हवा में छोड़ देते। उन्हें लगता वो जीरो-ग्रैविटी में ही हैं।
वजह: स्पेस में लंबे वक्त तक रहने से एस्ट्रोनॉट्स का दिमाग और शरीर माइक्रोग्रैविटी को अपना लेता है। वहां वे चीजों को हवा में छोड़ सकते हैं और वह तैरती रहती है, लेकिन धरती पर लौटने के बाद उनकी आदत बनी रहती है और यहां अनजाने में चीजें हवा में छोड़ देते हैं, जो गिर जाती हैं।
4. कम दिखाई देना, अंधा होने का खतरा: कैनेडियन एस्ट्रोनॉट क्रिस हैडफील्ड ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि स्पेस में रहने की वजह से उनकी दोनों आंखों में प्रॉब्लम होने लगी थी। उन्हें लगा कि वे अंधे न हो जाएं।
अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होने की वजह से एस्ट्रोनॉट के आंखों से निकलने वाले आंसू की बूंद नीचे गिरती ही नहीं है।
वजह: स्पेस में जीरो-ग्रैविटी के कारण शरीर का तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ता है, जिससे आंखों के पीछे की नसों पर दबाव पड़ता है। इसे स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ओकुलर सिंड्रोम (SANS) कहा जाता है। धरती पर आने के बाद जब एस्ट्रोनॉट्स का शरीर एडजस्ट करता है तो आंखों पर भी असर पड़ता है। इस कारण कई एस्ट्रोनॉट्स को चश्मा लगाना पड़ता है।
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ग्राफिक्स: अंकुर बंसल और अंकित द्विवेदी
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