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मद्रास HC बोला-तमिलनाडु में सरकारी नौकरी के लिए तमिल जरूरी: याचिकाकर्ता ने कहा था- CBSE स्कूल में पढ़ा, इसलिए राज्य भाषा नहीं सीख सका


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चेन्नई6 मिनट पहले

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बेंच ने ये टिप्पणी तमिलनाडु बिजली बोर्ड (TNEB) के एक जूनियर सहायक से जुड़े मामले में की।

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए कहा कि, तमिलनाडु में सरकारी नौकरी चाहने वालों को तमिल पढ़ना और लिखना आना चाहिए।

बेंच ने ये टिप्पणी तमिलनाडु बिजली बोर्ड (TNEB) के एक जूनियर सहायक से जुड़े मामले में की। जो अनिवार्य तमिल भाषा की परीक्षा पास करने में विफल रहा।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि, उनके पिता नेवी में थी जिसके चलते उन्होंने CBSE स्कूल में पढ़ाई की है। इसलिए वह कभी तमिल नहीं सीख पाया। कोर्ट अगले महीने फैसला सुनाएगा।

जानिए पूरा मामला… पूरा मामला तमिलनाडु बिजली बोर्ड (TNEB) के कर्मचारी थेनी के एम जयकुमार से जुड़ा है। जयकुमार को दो साल के भीतर तमिल भाषा की परीक्षा पास नहीं करने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया था।

इसके खिलाफ जयकुमार ने कोर्ट का रुख किया। 10 मार्च को जस्टिस जी जयचंद्रन और जस्टिस आर पूर्णिमा ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, तमिल भाषा की जानकारी के बिना कोई सरकारी कर्मचारी कैसे काम कर सकता है।

कोर्ट का सवाल- भाषा नहीं आती तो नौकरी क्यों चाहिए कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि उम्मीदवारों को निर्धारित समय के भीतर सरकारी भाषा की परीक्षा पास करनी चाहिए और सवाल किया कि तमिल जाने बिना कोई सार्वजनिक कार्यालय की नौकरी क्यों चाहेगा।

इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम बहस के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया और मामले को छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

तमिलनाडु में इस वक्त ट्राय लैंग्वेज वॉर, संसद में उठा मुद्दा तमिलनाडु में इस वक्त ट्राय लैंग्वेज को लेकर विवाद जारी है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्र के बीच नई शिक्षा नीति पर तकरार जारी है। इसको लेकर संसद के बजट सत्र में भी काफी हंगामा हुआ।

जानिए कैसे शुरू हुआ ट्राय लैंग्वेज वॉर…

15 फरवरी: धर्मेंद्र प्रधान ने वाराणसी के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों को साधने का आरोप लगाया।

18 फरवरी: उदयनिधि बोले- केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करे चेन्नई में DMK की रैली में डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने कहा- धर्मेंद्र प्रधान ने खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा, जब हम ट्राई लैंग्वेज फॉर्मूला स्वीकार करेंगे। लेकिन हम आपसे भीख नहीं मांग रहे हैं। जो राज्य हिंदी को स्वीकार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा खो देते हैं। केंद्र लैंग्वेज वॉर शुरू न करें।

23 फरवरी: शिक्षा मंत्री ने स्टालिन को लेटर लिखा ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा। उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की। उन्होंने लिखा, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। NEP इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है।’

25 फरवरी: स्टालिन बोले- हम लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार हैं स्टालिन ने कहा- केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है।

NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को तीन भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं। किसी भी भाषा की अनिवार्यता का प्रावधान नहीं है।

प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है। वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में तीन भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंड्री सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे।

गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा 5वीं और जहां संभव हो 8वीं तक की क्लासेस की पढ़ाई मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करने पर जोर है। वहीं, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जा सकती है। साथ ही, हिंदी भाषी राज्यों में दूसरी भाषा के रूप में कोई अन्य भारतीय भाषा (जैसे- तमिल, बंगाली, तेलुगु आदि) हो सकती है।

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