SI ने कहा कि हमारी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।
मध्यप्रदेश में हाल ही में पुलिस पर हुए लगातार हमलों के बाद पुलिस विभाग में आक्रोश है। प्रदेश भर में पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर ब्लैक डीपी लगाकर विरोध जता रहे हैं। इसी बीच छतरपुर के सिविल लाइन थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर (SI) अवधेश कुमार दुबे ने सोशल
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SI अवधेश कुमार दुबे ने रविवार को लाइव के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और डीजीपी कैलाश मकवाना से भावुक अपील की, कहा कि- “हमारी तरफ भी देखिए, हमें ज़िंदा रहने दीजिए।”
18 साल सेना में सेवा के बाद पुलिस में आए 18 साल भारतीय सेना में सेवा देने के बाद पुलिस में आए SI अवधेश दुबे ने मऊगंज, इंदौर और ग्वालियर में पुलिसकर्मियों पर हुए हमलों पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम पुलिस वाले भीड़ नहीं बना सकते, धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते, फिर भी लगातार शिकार हो रहे हैं। हमारी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।”
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस भीड़तंत्र का शिकार हो रही है। इन घटनाओं में एक समानता यह है कि हमले किसी न किसी समाज के समूह द्वारा किए गए। सवाल उठाया कि जब पुलिस ही असहाय हो जाएगी, तो कानून-व्यवस्था कैसे चलेगी? मुझे 59,880 रुपए की मासिक सैलरी मिलती है, लेकिन मैं चुप नहीं रह सकता।
अवधेश कुमार दुबे ने कहा कि मैं इस्तीफा देने की सोच चुका हूं।
MP की वे तीन बड़ी घटनाएं, जिनका SI दुबे ने जिक्र किया
- मऊगंज: अपहरण के मामले में कार्रवाई करने गए पुलिसकर्मियों पर हमला, जिसमें एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई।
- इंदौर: थाना प्रभारी जितेंद्र यादव को वकीलों और स्थानीय लोगों ने दौड़ाकर पीटा।
- ग्वालियर: तहसीलदार और थाना प्रभारी पर भीड़ ने हमला कर दिया।
बोले- ‘हमारे पंजे नोच दिए गए हैं’ SI दुबे ने कहा कि पुलिसकर्मियों को ‘बाज’ या ‘चीता’ कहा जाता है, लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा लग रहा है कि उनके पंजे ही नोच दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि वकीलों से विवाद के बाद इंदौर में पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन जिन वकीलों पर पहले से कई मामले दर्ज थे, उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि अगर उनके साथ ऐसा कुछ हुआ होता, तो वे भी वही करते और निलंबन स्वीकार कर लेते। उन्होंने पुलिसकर्मियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, यदि मेरे साथ भी ऐसा कुछ हुआ होता तो मैं भी यही करता। मुझे निलंबित होना मंजूर है , मैं उन आरक्षकों से कहना चाहता हूं कि मेरे जैसा हर शासकीय सेवक तुम्हारे साथ है वे बेदाग बरी होंगे और यदि नहीं भी हुए तो जमीर जिंदा रहना चाहिए।
SI अवधेश कुमार दुबे ने सोशल मीडिया पर 21 मिनट लाइव आकर अपनी बात कही।
तीर भी चलाना है और परिंदा भी न मरे, यह कैसे संभव? सब इंस्पेक्टर ने कहा कि सरकार और उच्च अधिकारियों से सवाल किया कि पुलिसकर्मियों को ऐसी स्थिति में काम करने को मजबूर किया जा रहा है, जहां उन्हें अपराधियों के खिलाफ एक्शन भी लेना है, लेकिन अत्यधिक सख्ती करने पर कार्रवाई का डर भी रहता है।
उन्होंने कहा, पुलिसकर्मी दिन-रात बिना छुट्टी लिए काम करते हैं, त्योहारों पर भी उनकी ड्यूटी रहती है, लेकिन फिर भी जनता उन पर हमले कर रही है। उन्होंने कहा कि कई बार मैं इस्तीफा देने की सोच चुका हूं, लेकिन फिर विचार आता है कि इससे व्यवस्था नहीं बदलेगी, इसलिए आवाज उठाना जरूरी है।