गांव के बुजुर्ग हों या बच्चे, सभी शादी की तैयारियों में पूरे मन से जुटे हुए हैं।
अशोकनगर जिले का मथाना गांव। करीब 300 की आबादी वाले 21 साल पहले एक मर्डर हुआ। मर्डर के बाद गांववालों के दिलों में ऐसा डर बैठा की फिर यहां कोई शुभ कार्य करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
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ग्रामीणों को लगने लगा कि यदि उन्होंने पहले शुभ कार्य किया तो कोई अनहोनी न हो जाए। इस डर से बाहर निकलने में गांववालों 20 साल लग गए। गांववालों के एक होने पर अक्षय तृतीया पर बुधवार को इतने सालों बाद बैंडबाजा और बारात निकलेगी। गांव में एक गरीब आदिवासी बेटी की डोली उठेगी।
20 साल बाद होने जा रही शादी की जानकारी मिलने पर दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची और ग्रामीणों से बात की…
मथाना गांव की मिट्टी कुछ अलग ही खुशबू बिखेर रही है। जहां कभी डर और सन्नाटा पसरा था, वहां अब उत्सव और उमंग की गूंज सुनाई दे रही है। पिछले 20 सालों में यह गांव जैसे समय में ठहर गया था- न बैंड बजा, न बारात आई। एक पुरानी घटना के बाद मानो गांव ने शादियों से ही नाता तोड़ लिया। लेकिन आज एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी की शादी इस चुप्पी को तोड़ने वाली है।
इस शादी को सिर्फ एक परिवार का आयोजन नहीं, बल्कि गांव के सामाजिक पुनर्जागरण की शुरुआत माना जा रहा है। सोनम नाम की बेटी की शादी के लिए गांववासियों ने मिलकर इंतजाम किए हैं, चंदे से दो लाख रुपए जुटाए गए, रस्में निभाई जा रही हैं। इससे ग्रामीण एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं।
दैनिक भास्कर टीम को गांव की गली-गली में खुशी का माहौल दिखाई दिया। गांव में प्रवेश करते ही सबसे पहले कुछ बुजुर्ग दिखाई दिए, जो आपस में बातचीत कर रहे थे। वहीं, कुछ युवक सफाई के काम में व्यस्त थे। पाइपलाइन से पानी चलाकर सड़क और आसपास की धूल हटाई जा रही थी। कुछ देर में सामने से दो ट्रैक्टर आते दिखे। पता चला वे टेंट का सामान लेने जा रहे थे।
पंचायत भवन और स्कूल परिसर के आसपास कुछ युवक पूरी लगन से सफाई कर रहे थे। भवन के सामने की खाली पड़ी जमीन और सड़क को भी साफ कर दिया गया था। पास में एक कच्चा मकान भी साफ किया जा रहा था-लोगों ने बताया कि आदिवासी परिवार, जिसकी बेटी की शादी हो रही है, अस्थायी रूप से इसी मकान में ठहरेगा।
अब देखिए गांव की दो तस्वीरें…
शादी के लिए तय जगह की ग्रामीण पानी से साफ-सफाई करते मिले।
कुछ युवक ट्रेक्टर से टेंट का सामान लेकर आए, और परिसर में टेंट लगा रहे थे।
वह घटना, जिसने गांव की शादियों पर लगाया था विराम ग्रामीणों ने बताया कि करीब 21 साल पहले मथाना गांव में पंचायत चुनाव के दौरान गांव दो गुटों में बंट गया था। चुनावी खींचतान के कारण दोनों पक्षों के बीच तनाव बना रहा।
चुनाव के लगभग एक साल बाद खेती से जुड़े काम काज में दोनों पक्षों में विवाद हुआ, जो देखते ही देखते हिंसक हो गया। इस झगड़े में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई। इससे पूरे गांव में भय का माहौल बन गया। तब से लेकर अब तक किसी ने भी अपने बच्चों की शादी गांव में नहीं की। लोगों में यह डर बैठ गया था कि गांव में शादी करने से कोई अनहोनी हो सकती है।
इस घटना के बाद गांव में एक अजीब सा डर घर कर गया। जिन परिवारों ने पहले से शादी तय कर दी थी, उन्होंने अपने गांव के बाहर जाकर समारोह किया। और फिर अब तक गांव में किसी ने भी शादी करने का साहस नहीं किया। लोगों के मन में यह आशंका बनी रही कि अगर गांव में फिर से शादी की गई, तो कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।
वर्षों बाद गांव में हो रही शादी को लेकर ग्रामीणों में उत्साह दिखाई दिया। वे तैयारी को लेकर चर्चा कर रहे थे।
सरपंच, पंच-परमेश्वर की पहल से टूटी रुकावट मथाना गांव में शादी न होने से ग्रामीणों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ था। एक दिन गांववालों ने इस विषय पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई, जिसमें सभी ने गांव में शादी न होने पर चिंता जताई और इस परंपरा को तोड़ने का प्रस्ताव रखा। इसी दौरान जिले में सक्रिय अखिल भारतीय यादव महासभा के पंच-परमेश्वर, जो उन स्थानों पर विवाह की पुनः शुरुआत के लिए कार्य कर रहे हैं जहां यह परंपरा बाधित हो चुकी है, को बुलाया गया।
पंच-परमेश्वरों की मौजूदगी में ग्रामीणों की बैठक हुई, जिसमें शादी कराने की सामूहिक सहमति बनी। इसके बाद गांव में यज्ञ, पूजन और कन्या भोज जैसे धार्मिक अनुष्ठान कर वातावरण की ‘शुद्धि’ की गई, ताकि शादी के लिए शुभ वातावरण तैयार हो सके।
आज गांव में फिर से बजेगी शहनाई ग्रामीण अमर सिंह यादव ने बताया कि इतने सालों तक दूसरी जगह शादी करना लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनता था। सामान लाने-ले जाने से लेकर तमाम व्यवस्थाओं में दिक्कतें होती थीं।
अब जब गांव में सभी का आपसी भाईचारा फिर से मजबूत हुआ है, तो सभी ने मिलकर यह फैसला लिया कि अब शादियां गांव में ही होंगी। शुरुआत एक गरीब व्यक्ति की बेटी की शादी से की जा रही है ताकि पुण्य का काम भी हो और समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाए।
गांववालों ने सामूहिक रूप से यह भी तय किया है कि अगर अब कोई व्यक्ति अपने बच्चों की शादी गांव से बाहर करेगा, तो गांव का कोई भी व्यक्ति उसके विवाह समारोह में शामिल नहीं होगा। यह संकल्प इस बात का प्रतीक है कि गांव वाले अपने सामाजिक रीति-रिवाजों और एकता को अब फिर से मजबूती देना चाहते हैं। गांव के राम सिंह यादव बेटी का कन्यादान करेंगे।
ग्रामीणों ने मिलकर बेटी की शादी के लिए दहेज का सामान खरीदा।
ग्रामीण मिलकर करेंगे बारातियों का स्वागत आज गांव में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी होगी। जिले के कदवाया क्षेत्र से बारात आएगी। बारातियों के स्वागत-सत्कार की जिम्मेदारी पूरे गांव ने मिलकर ली है।
जानकारी के अनुसार, मथाना गांव में लगभग 55 से 60 घरों की बस्ती है, जिनमें से 50 से अधिक घर यादव समाज के हैं, जबकि एक घर विश्वकर्मा समाज का और कुछ परिवार अहिरवार समाज के रहते हैं। पूरे गांव में इस ऐतिहासिक शादी के लिए विशेष उत्साह है।
गांव के बुजुर्ग हों या बच्चे-सभी शादी की तैयारियों में पूरे मन से जुटे हुए हैं। शादी में शामिल होने के लिए बाहर से आने वाले मेहमानों के स्वागत और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी गांव वाले मिलकर निभा रहे हैं। हर किसी को उस शुभ घड़ी का बेसब्री से इंतजार है, जब मथाना गांव में शादी की शहनाई गूंजेगी और खुशियों की शुरुआत होगी।
शादी के लिए दो लाख से ज्यादा रुपए इकट्ठा किए शादी के लिए गांववालों ने सबसे पहले गेहूं इकट्ठा किया, जिसे बेचकर दो लाख रुपए से अधिक की राशि जुटाई। इसी से समारोह में आने वाले सभी खर्चों- जैसे सामग्री, आयोजन की व्यवस्थाएं और अन्य जरूरी कामों को किया जाएगा। दहेज में लड़के पक्ष को अलमारी, कूलर, बक्सा, पलंग, बर्तन और अन्य आवश्यक सामान देने की व्यवस्था की गई है।
शादी में न सिर्फ मथाना गांव, बल्कि आसपास के गांवों से भी रिश्तेदारों और परिचितों को आमंत्रित किया गया है। लड़की पक्ष के संबंधियों के साथ-साथ गांव के सभी परिवारों के मेहमान इस खुशी के मौके पर शामिल हो रहे हैं। विवाह समारोह में लगभग 2,000 लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए गांव में खाली पड़ी एक जगह की सफाई कर उसे समतल किया गया है, जहां अब भव्य टेंट लगाया गया है और पूरी तैयारी जोरों पर है।
‘संवाद से सकारात्मक माहौल बना’ – केपी यादव अखिल भारतीय यादव महासभा के जिलाध्यक्ष केपी यादव ने बताया, संस्था की ओर से उन गांवों में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जहां किसी अनहोनी घटना के बाद वर्षों से शादी-विवाह नहीं हो रहे थे। हम ऐसे गांवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं और शादी-विवाह की परंपरा को पुनः शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि महासभा द्वारा नियुक्त पंच-परमेश्वर लगातार ऐसे गांवों में जाकर लोगों को प्रेरित करते हैं और सामाजिक संवाद के जरिए सकारात्मक माहौल बनाते हैं।
यादव ने बताया कि श्री कृष्णा संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मथाना गांव का प्रस्ताव सामने आया था। इसके बाद सभी पक्षों से चर्चा की गई और जब गांववालों की सामूहिक सहमति मिली, तो वहां शादियों की शुरुआत कराने का निर्णय लिया गया।