भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबल रूरल एम्पावरमेंट (आसरे) ने ग्रामीण महिलाओं के विकास का बीड़ा उठाया है। आसरे के अध्यक्ष डॉ. पंकज शुक्ला ने मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के लिए विशेष पहल की घोषणा की।
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महिलाओं की भागीदारी से ही होगा संपूर्ण विकास
डॉ. शुक्ला ने कहा, “महिलाएं ग्रामीण भारत में परिवर्तन की सच्ची एजेंट हैं। जब हम उन्हें सशक्त बनाते हैं, तो पूरे समाज को इसका लाभ मिलता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा देना जरूरी है।
ग्रामीण महिलाओं के सामने बड़ी चुनौतियां
ग्रामीण मध्य प्रदेश की महिलाएं आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों की कमी जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। 60% से अधिक ग्रामीण महिलाएं कृषि में कार्यरत हैं, लेकिन अधिकांश के पास भूमि स्वामित्व नहीं है।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, मध्य प्रदेश में केवल 13.9% ग्रामीण महिलाओं के पास भूमि स्वामित्व अधिकार हैं।
- 30% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है।
- राज्य में मातृ मृत्यु दर 188 प्रति 100,000 जीवित जन्म है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है।
- केवल 40% ग्रामीण महिलाओं को माध्यमिक शिक्षा का लाभ मिल पाता है।
महिला सशक्तिकरण के लिए आसरे की नई पहल
आसरे और ग्राम्या ने ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक, शैक्षिक और डिजिटल सशक्तिकरण के लिए नई पहलों की घोषणा की।
महिला उद्यमिता और वित्तीय स्वतंत्रता- महिलाओं को उद्यमिता और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम- इंटरनेट और डिजिटल टूल्स तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाई जाएगी।
नेतृत्व प्रशिक्षण और महिला नेटवर्किंग- महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार- महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
डॉ. शुक्ला ने कहा, “हमारा लक्ष्य 2025 के अंत तक 10,000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है।”