राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने इस मामले में कलेक्टर से 10 दिनों में जवाब मांगा है।
मेरे 5 साल के बीमार बच्चे का सिर्फ इतना ही गुनाह था कि उसे क्लास में जरा सी टॉयलेट-लेट्रीन आ गई। इतनी सी बात पर स्कूल ने दुर्व्यवहार की सारी हदें पार कर दीं। उसे कचरे की तरह उठाकर वाशरूम में फेंक दिया और मैला साफ करवाया।
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स्कूल के इस व्यवहार से बच्चे को इतना मानसिक आघात लगा है कि अब उसे साइकेट्रिस्ट को दिखाना पड़ रहा है। डॉक्टर कह रहे हैं कि उसके अंदर इतना डर बैठ गया है कि हालत में धीरे-धीरे ही सुधार हो पाएगा।
अभी तो मेरा बेटा पूरा-पूरा 5 साल का भी नहीं है, जब छोटा था तब उसे निमोनिया हो गया था। तब से उसे ठंड से बचाना पड़ता है नहीं तो वह बहुत बीमार हो जाता है। इस्नोफीलिया बढ़ जाती है। स्कूल में मेरे बीमार बच्चे को नग्न कराकर उससे मैला साफ करवाया गया। इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है?
यह कहना है उस मां का जिसके पांच साल के बच्चे को स्कूल में पेंट उतरवाकर उसी से टॉयलेट-लेट्रीन साफ कराया। करीब चार घंटे बिना पेंट खड़ा रखा। कड़कड़ाती ठंड में खड़ा बच्चा कांपता और सुबकता रहा। राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने इस मामले में गुरुवार को संज्ञान लिया और कलेक्टर से 10 दिन में जवाब मांगा है।
दैनिक भास्कर ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बच्चे की मां से बात की…
सबसे पहले घटनाक्रम जान लीजिए रीवा के बोदाबाग में किंडर गार्डन ज्योति स्कूल में 5 साल का मासूम LKG क्लास में पढ़ता है। बच्चे की मां के अनुसार, ‘शनिवार को बेटा क्लास रूम में था। अचानक उसका स्वास्थ्य खराब हो गया। क्लासरूम में जरा सी टॉयलेट-लेट्रीन निकल गई। टीचर ने उसे डांटना शुरू कर दिया। वे उसे खींचते हुए वॉशरूम ले गई। वहां टीचर और आया ने उसके कपड़े उतरवा दिए। एक पतला तौलिया उसके शरीर पर लपेट दिया। फिर बच्चे से ही कपड़े साफ कराए। बेटा ठंड और गलन के बीच सफाई करता रहा।’
बच्चे के पिता के अनुसार, ‘हमने सोमवार को स्कूल प्रबंधन से मामले की मौखिक शिकायत की। इसके बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। जब इसकी लिखित शिकायत करने लगे तो स्कूल प्रबंधन ने धमकाया कि आपको अपना बच्चा आगे पढ़ाना है या नहीं? परेशान होकर घर वालों ने जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से शिकायत की है। कलेक्टर ने जांच की बात कही है।
इधर, स्कूल प्राचार्य सदरानील का कहना है कि मामले में आया की तरफ से बड़ी गलती और लापरवाही की गई है। उसे स्कूल न आने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल प्रबंधन गंभीरता से मामले की जांच करेगा।
मां बोली- रात में उठकर चिल्लाने लगता है मां ने बताया कि घटना के बाद से बच्चा गुमसुम रहता है। किसी से बातचीत करने से कतराता है। घर से निकलने में डरता है। रात में उठकर चिल्लाने लगता है। जरा सी बात पर उसे इतना डरा दिया गया कि अब स्कूल जाने की बात सुनकर भी वो डर जाता है। ऐसा लगता है जैसे स्कूल के नाम से उसे फोबिया हो गया है। मानसिक अवसाद का शिकार हो गया है।
क्या स्कूल के स्टाफ को इतना भी नहीं पता कि एलकेजी के बच्चे के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है? लाखों रुपए फीस में खर्च करने के बाद भी अगर आपके बच्चे को यह सब मिल रहा है तो भला ऐसी पढ़ाई किस काम की, जहां टीचर्स को ही मैनर्स नहीं पता?
उन्होंने बताया, मंगलवार देर रात को बेटा सो रहा था। इस दौरान अचानक उठकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। कहने लगा, ‘मैम, मुझे मत मारो। मेरे ऊपर ठंडा पानी मत डालो। प्लीज मैम, मुझे छोड़ दो।’ उसकी इस हालत को देखकर हम डरे हुए हैं, बच्चे की ऐसी हालत देखकर बहुत दुख होता है।
दुर्व्यवहार की हदें पार कर दी गईं मां ने कहा, मेरे बच्चे को क्लासरूम से कचरे की तरह उठाकर वॉशरूम में फेंक दिया गया। यह पूरी घटना सीसीटीवी में भी कैद है। मैंने अपनी आंखों से देखा है। अगर कोई देखना चाहे तो सीसीटीवी चेक करवा सकता है। ठंड में उसके साफ कपड़े भी जबरन उतरवाकर उस जगह फेंक दिए गए, जहां बाकी बच्चे टॉयलेट करने के लिए जाते हैं। उसके साथ दुर्व्यवहार की सारी हदें पार कर दी गईं। अब बच्चा तनाव में है, आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
घटना के बाद हम प्रिंसिपल से शिकायत करना चाहते थे। मैं, मेरे पति और ससुर ने कई बार उन्हें कॉल किया। लेकिन स्कूल प्रिंसिपल या स्टाफ ने कॉल तक रिसीव नहीं किया। जबकि स्कूल में मेरा नंबर बतौर पेरेंट्स रजिस्टर्ड है।
इसके बाद हम प्राचार्य से मिलने स्कूल पहुंच गए। हम उनसे कुछ ही दूरी पर बैठे रहे। बच्चे के साथ इतने दुर्व्यवहार के बाद तो हम कम से कम मुलाकात की उम्मीद रख रहे थे। लेकिन हमें बैठाकर रखा गया। एक घंटे तक स्टाफ के जरिए उनसे मिलने की कोशिश की। लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।
बच्चे ने पहले भी दुर्व्यवहार की शिकायत की थी बच्चे के दादा शिक्षा विभाग में बड़े अधिकारी रहे हैं। उन्होंने बताया कि बच्चा बीमार हो गया है। उसकी इस स्थिति को देखते हुए साइकेट्रिस्ट को दिखाया है। डॉक्टर ने कहा है कि स्कूल में हुए गलत व्यवहार की वजह से बच्चा स्कूल को लेकर काफी नेगेटिव हो गया है। वह तनावग्रस्त है। जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते और बच्चे की हालत में सुधार नहीं आ जाता, उसे घर में अपनी नजरों के सामने रखें। ट्रीटमेंट के साथ बच्चे को समय दें ताकि वो इस चीज से बाहर निकल पाए।
उन्होंने बताया, बेटा साल भर से किंडरगार्टन ज्योति स्कूल में पढ़ रहा है। पहले भी बच्चे ने स्कूल के टीचर और स्टाफ के दुर्व्यवहार की शिकायत घर आकर हमसे की थी। उस समय हमने बच्चे की बात को गंभीरता से नहीं लिया था। हमने सोचा था कि हो सकता है बच्चा स्कूल न जाने के लिए बहाने बना रहा है। लेकिन फिर हमें धीरे-धीरे उसकी बात पर विश्वास होने लगा। अब तो यह बात जग जाहिर हो गई कि बच्चा झूठ नहीं बोल रहा था।
हमारा परिवार भी शिक्षा विभाग से जुड़ा रहा है, हमें तो यह पता है कि जब भी कोई शिक्षक ट्रेनिंग लेने के लिए जाता है तो सबसे पहले उसे बच्चों का मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है। जिसमें यह बताया जाता है कि बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना है।
ABVP ने किया हंगामा, कार्रवाई की मांग
ABVP कार्यकर्ताओं ने बुधवार को नारेबाजी कर स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन किया।
एबीवीपी जिला संयोजक पीएन पांडेय ने कहा, ‘मासूम बच्चे को गीले जूते-मोजे पहनाकर एक पतले कपड़े से लपेट दिया गया। उसके कपड़े और बैग गलियारे में फेंक दिए गए। बच्चा ठंड में परेशान होता रहा। गलती स्वीकार करने से कुछ नहीं होगा माफी मांगनी पड़ेगी। दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।’
कलेक्टर बोलीं- परिजनों से बात कर कार्रवाई करेंगे रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया यह विषय आपके माध्यम से सामने आया है। स्कूल शिक्षा विभाग से इसकी जांच कराई जाएगी, जो भी नियमानुसार कार्रवाई होगी वो करेंगे। मामले में पेरेंट्स से भी बात कर उनकी शिकायत के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, डीईओ सुदामा लाल गुप्ता ने बताया कि दो प्राचार्यों की टीम जांच के लिए गठित की है। आगे वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।