लखनऊ6 मिनट पहले
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लखनऊ के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर ऑनलाइन लघु अवधि पाठ्यक्रम के दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण और गहन चर्चा हुआ। इस सत्र में मानव अस्तित्व के मूलभूत पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया, जो ना केवल शिक्षकों बल्कि सभी प्रतिभागियों के लिए एक गहरी सोच का विषय बन गया।
मानव अस्तित्व पर गहन विचार-विमर्श
इस सत्र के रिसोर्स पर्सन डॉ. विनय चिद्री थे, जिन्होंने मानव अस्तित्व की परिभाषा और उसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मनुष्य का अस्तित्व ‘स्व’ और शरीर का सह-अस्तित्व है, जहां ‘स्व’ व्यक्ति के अस्तित्व का केंद्र है।
उनके अनुसार, हर इंसान की मूल आकांक्षा होती है कि उसे निरंतर सुख की प्राप्ति हो, लेकिन सच्चा सुख तभी संभव है जब जीवन के सभी स्तरों पर तालमेल स्थापित हो, चाहे वह व्यक्ति के भीतर हो, परिवार में हो, समाज में हो, या फिर प्रकृति में।
कल्पना हमारी प्राकृतिक स्वीकृति के अनुरूप
डॉ. चिद्री ने आगे यह बताया कि जब हमारी कल्पना हमारी प्राकृतिक स्वीकृति के अनुरूप होती है, तो इसे ‘स्वतंत्रता’ कहा जाता है। यह वह अवस्था है, जब व्यक्ति के विचार और कार्य उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों और मूल्यों के अनुसार होते हैं, जो उसे आंतरिक शांति और संतुष्टि प्रदान करते हैं।
संवादात्मक प्रकृति ने बढ़ाई सत्र की विशेषता
सत्र की विशेषता इसकी संवादात्मक प्रकृति थी। इसमें प्रतिभागियों ने न केवल विषय पर विचार किया, बल्कि स्वयं में एक आंतरिक संवाद शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया। यह एक व्याख्यान से कहीं अधिक था, यह एक चिंतनशील और प्रेरणादायक संवाद था, जिसने आत्ममंथन और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों की गहरी समझ को प्रोत्साहित किया।
यह कार्यक्रम शिक्षकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक
सत्र के अंत में, प्रतिभागियों ने इन मूल्यों को अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अपनाने की प्रतिबद्धता जताई। इस पाठ्यक्रम ने उन्हें एक समग्र दृष्टिकोण दिया है, जिससे वे एक सामंजस्यपूर्ण और मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली की दिशा में योगदान दे सकें। यह कार्यक्रम शिक्षकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक और आत्म विश्लेषणात्मक साबित हुआ।