मुंबईकुछ ही क्षण पहले
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फोटो AI जनरेटेड है।
मुंबई में 86 साल की बुजुर्ग महिला ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड में अपनी बचत के 20 करोड़ रुपए गंवा दिए। जालसाजों में से एक ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। इन लोगों ने पीड़ित को दो महीने तक घर पर रहने और हर तीन घंटे में फोन करके रोजाना उसकी लोकेशन बताने के लिए मजबूर किया।
26 दिसंबर 2024 से 3 मार्च के बीच हुए इस फ्रॉड में मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
साइबर पुलिस महिला के 77 लाख रुपए फ्रीज करने में कामयाब रही। इसके लिए पुलिस ने आरोपियों के उन बैंक खातों को सील किया, जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे।
घर की मेड ने बेटी को बताया, तब मामले का खुलासा हुआ
पीड़ित बुजुर्ग ने मार्च के पहले हफ्ते में पुलिस में शिकायत दर्ज की। इसके मुताबिक उसे एक व्यक्ति का फोन आया था, जिसने खुद को CBI अधिकारी बताया। इन लोगों महिला से कहा कि उसके आधार कार्ड से एक बैंक अकाउंट खोला गया है, जिसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है।
इसके बाद आरोपी ने महिला से कहा कि इस मामले की जांच CBI कर रही है। इसलिए उसे अपने कमरे में ही रहना होगा। उसने महिला को डिजिटल अरेस्ट किया और उसके बच्चों को भी गिरफ्तार करने की धमकी दी।
डिजिटल अरेस्ट के दौरान महिला केवल खाना खाने के लिए कमरे से बाहर निकलती थी। वह कमरे में किसी पर चिल्लाती थी। उसके इस व्यवहार को घर की मेड ने देखा और इसके बाद उसकी बेटी को बताया।
जालसाजों ने बुजुर्ग महिला से उसके खाते में जमा पैसों की पुष्टि करने के बहाने उसके बैंक डीटेल मांगी। आरोपियों ने मामले से उसका नाम हटाने और अदालती फीस जैसे कारण बताकर करीब 20.26 करोड़ रुपए ठगे। साथ ही जांच पूरी होने के बाद रकम लौटाने का वादा किया था।
डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड का एक नया और बढ़ता हुआ रूप है, जिसमें जालसाज कानून प्रवर्तन अधिकारी या सरकारी एजेंसियों के कर्मचारी बनकर ऑडियो/वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को धमकाते हैं। वे पीड़ितों को बंधक बनाते हैं और भुगतान करने के लिए उन पर दबाव डालते हैं।
रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2023 के दौरान देश में 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी हुई। हाउस अरेस्ट में नकली पुलिस स्टेशन, सरकारी कार्यालय स्थापित करने और ED जैसी वर्दी पहनने जैसे हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं।
पिछले एक दशक में, भारतीय बैंकों ने धोखाधड़ी के 65,017 मामलों की सूचना दी है, जिसके कारण कुल 4.69 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। साइबर अपराधी बेखबर लोगों को धोखा देने के लिए UPI, क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, जॉब और डिलीवरी स्कैम के तरीके अपनाते हैं।