यूपी के संभल में लगातार दूसरे साल नेजा मेला नहीं लगेगा। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगाया जाता है, जो महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था।
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संभल के ASP श्रीश्चंद ने साफ कह दिया है- जिसने सोमनाथ मंदिर सहित देश के 2 लाख मंदिरों को लूटा और तोड़ा, उसकी याद में मेला नहीं लगेगा। वहीं, नेजा मेले का आयोजन करने वाली कमेटी का कहना है कि बरसों से मेले की परंपरा चली आ रही है। इसको रोकना गलत है। हम इसके खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाएंगे।
दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरी कंट्रोवर्सी को समझा। सभी पक्षों से बातचीत की। पढ़िए ये रिपोर्ट…
पहले प्रशासन की तैयारी इन 3 तस्वीरों में देखिए
जहां पर मेला लगाया जाता है, वहां पुलिस फोर्स तैनात है। PAC की गाड़ियां खड़ी हैं।
संभल पुलिस हर इलाके में अलर्ट है। किसी भी स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी है।
पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी भी संभल बाजार में लोगों से मिलकर बराबर बातचीत कर रहे हैं।
अब पूरा विवाद समझिए
सैयद सालार मसूद की याद में बरसों से लगता रहा है ये मेला महमूद गजनवी के भांजे सैयद सालार मसूद की याद में संभल में कई सालों से नेजा मेला लगता रहा है। होली के बाद पहले मंगलवार से इसकी शुरुआत होती है। इस बार नेजा मेले का आयोजन 25, 26 और 27 मार्च को 3 अलग-अलग स्थानों पर होना था।
18 मार्च को संभल पुलिस स्टेशन के सामने चौक में एक दुकान के बाहर ढाल (झंडा) गाड़ा जाना था। यह मेला शुरू होने का प्रतीक होता है। ASP श्रीश्चंद ने 18 मार्च को झंडा लगाने वाली जगह यह कहकर सीमेंट से भरवा दी कि आज एक कुरीति का अंत हो गया है।
संभल पुलिस स्टेशन के सामने चौक में एक दुकान के बाहर ढाल (झंडा) गाड़ा जाना था।
दरअसल, मेला कमेटी इस कार्यक्रम की परमिशन लेने के लिए 17 मार्च को ASP श्रीश्चंद के पास गई थी। ASP ने कहा कि सैयद सालार मसूद गाजी ने देश के दो लाख मंदिरों को लूटा। इनमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल था। उसने देश की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। ऐसे लुटेरे की याद में हम मेला नहीं लगने देंगे। इस पर मेला कमेटी वहां से लौट आई। इसके बाद संभल का माहौल एक बार फिर गरमा गया है।
पुलिस प्रशासन ने उस गड्ढे को बंद करा दिया है, जहां झंडा लगाया जाना था।
ASP बोले- जिसने 2 लाख मंदिर तोड़े, उसकी याद में मेला लगना ठीक नहीं हमने इस कंट्रोवर्सी को लेकर सबसे पहले संभल जिले के अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) श्रीश्चंद से बातचीत की। हमारा पहला सवाल था- ये पूरा विवाद क्या है? ASP ने बताया- संभल में नेजा मेला चला आ रहा था। कुछ लोगों ने आपत्ति जताई कि ये मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में मनाया जाता रहा है।
जब इस मेले को आयोजित करने वाली कमेटी से पूछा गया तो उन्होंने भी इसके बारे में बताया। सैयद सालार मसूद गाजी, गजनवी का सेनापति और उसका सगा भांजा था। उसने 2 लाख मंदिरों को ध्वस्त किया। लूटपाट की। काफी हत्याएं की गईं।
ये वही मैदान है, जहां नेजा मेला लगता था। इस बार अभी तक यह मैदान खाली पड़ा है।
उसकी याद में इस तरह का मेला लगाना परंपरा का प्रतीक नहीं हो सकता। यह बात हमने मेला कमेटी को भी बताई। ये एक कुरीति थी, जो लगातार चली आ रही थी।
हमने ASP से पूछा- सैयद सालार मसूद गाजी के मंदिरों का सोना लूटने वाली बात का जिक्र किसी किताब में है या फिर आपने इंटरनेट पर ये सब पढ़ा है? इस पर उन्होंने कहा- ये एक ऐतिहासिक तथ्य है। इसके बारे में भी आपको बताया जाएगा।
ये तथ्य नेजा मेला कमेटी को भी पता हैं। जो लोग उसे मना रहे हैं, अगर वही ये स्वीकार रहे हैं कि ये वही व्यक्ति है जिसने सोमनाथ मंदिर लूटा था, तोड़ा था, हत्याएं कीं। कमेटी के लोग ही जब ये सब बता रहे हैं, तो ऐसे में विवाद की स्थिति ही नहीं है।
एएसपी का मुस्लिम पक्ष से कहना है कि कानून व्यवस्था कायम रहे, इसके लिए मेले की अनुमति नहीं दी गई है।
हमने पूछा- क्या इस बार मेले पर किसी ने आपत्ति जताई थी या आपने खुद इस पर स्टडी की? आखिर अचानक ये सब विवाद क्यों हुआ? इस पर ASP श्रीश्चंद ने कहा- काफी समय से ऑफिस में कुछ लोग आ रहे थे। वो शिकायती पत्र दे रहे थे कि इस तरह के मेले समाप्त होने चाहिएं, जो लोगों की भावनाएं आहत कर रहे हैं। काफी लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद बहुत सोच-समझकर यह फैसला लिया गया है।
जानिए मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है…
जहां बरसों से झंडा लग रहा, वो दुकानदार बोले– सब मिलकर मनाते हैं मेला संभल पुलिस स्टेशन के सामने चौक पर शहजाद आलम की किराना शॉप है। इसीके बाहर एक गड्ढा था, जिसमें नेजा मेले का झंडा लगाया जाता था। ये झंडा इस बात का गवाह होता था कि अब नेजा मेला शुरू हो चुका है। हमने शहजाद आलम से भी बात की।
उन्होंने बताया- सैयद सालार मसूद गाजी की याद में नेजा मेले का आयोजन बरसों से होता रहा है। हमारी दुकान के बाहर एक गड्ढा है। इसमें करीब 30 फीट ऊंचा बांस लगाया जाता है। इसी बांस पर इस्लामिक झंडा लपेटा जाता है। इससे ये माना जाता है कि अब नेजा मेले की शुरुआत हो चुकी है। मुझे ये सब देखते हुए 35 साल हो चुके हैं। हमारे पूर्वज बताते हैं कि सैयद सालार मसूद गाजी शहीद हुए थे।
क्या इससे पहले ऐसा कोई विवाद हुआ है? इस पर शहजाद कहते हैं- आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। पुलिस कह रही है कि सैयद सालार मसूद गाजी, लुटेरा था? इस सवाल पर शहजाद कहते हैं- हमें तो नहीं पता। अगर ऐसा होगा तो इन लोगों (पुलिस) को जानकारी होगी।
मेला कमेटी अध्यक्ष बोले– हम कैसे कह दें कि वो लुटेरा था इस मेले का आयोजन धार्मिक नगर नेजा कमेटी संभल करती है। इसके अध्यक्ष शाहिद हुसैन बताते हैं- सैयद सालार मसूद गाजी की याद में सैकड़ों साल से नेजा मेला लगता रहा है।
हमने इस साल 10 दिन पहले SDM को बता दिया था कि 18 मार्च को नेजा मेले की ढाल (झंडा) लगाई जाएगी। फिर 25, 26 और 27 मार्च को नेजा मेला लगाया जाएगा। लेकिन एएसपी ने हमसे कहा है कि आप इस व्यक्ति की याद में कोई मेला नहीं मनाएंगे। वो (सैयद सालार मसूद गाजी) एक आक्रांता थे और हम उनकी याद में मेला नहीं मनाने देंगे।
अब आप आगे क्या करेंगे? जवाब में शाहिद हुसैन कहते हैं- अब हम वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाएंगे। उनके सामने शिकायत रखेंगे। मांग करेंगे कि नेजा मेला जिस तरह सैकड़ों साल से चला आ रहा है, उसी तरह चलने दिया जाए। हम अधिकारियों से लगातार मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्व सभासद ने कहा- हमारे सामने लुटेरे वाली बात नहीं आई संभल शहर के पूर्व सभासद तस्दीक इलाही कहते हैं- ढाल (झंडा) लगने का मतलब होता है कि नेजा मेला लगेगा। अब प्रशासन ने ढाल लगाने पर ही पाबंदी लगा दी है। नेजा मेला मंगलवार के दिन पुराना किला और बुधवार के दिन शहर में लगता रहा है। हम पिछले 47 साल से इस मेले में लोगों को पानी पिलाने और खोए हुए बच्चों को मिलाने का काम करते आए हैं।
पुलिस कह रही है कि लुटेरे का मेला नहीं लगने देंगे? इस पर तस्दीक इलाही कहते हैं- हमारे सामने लुटेरे वाली बात कभी नहीं आई। संभल के इंदराज (सरकारी कागजात) में ये सद्भावना मेला के नाम से है। सद्भावना मेले के नाम से ही हमने कैंप लगाया था। अच्छी बात है कि सिर्फ नाम बदला था, लेकिन परंपरा नहीं। सैयद सालार मसूद गाजी यहां अजमेर से आए थे।
कौन था सैयद सालार मसूद गाजी? हजरत सैयद सालार मसूद गाजी (1014 से 1034) तक गजनवी सेना के सेनापति थे। उन्हें सुल्तान महमूद गजनवी का भांजा भी कहा जाता है। माना जाता है कि वो 11वीं शताब्दी के शुरुआत में भारत में विजय पाने के लिए अपने मामा के साथ आया था।
मुस्लिम मानते हैं कि युद्ध के दौरान सैयद सालार मसूद गाजी शहीद हो गए। महाराजा सुहेलदेव ने युद्ध में विजय पाई थी। 12वीं शताब्दी तक सालार मसूद की ख्याति एक सूफी संत के रूप में हो गई। यूपी के बहराइच में सालार मसूद की मजार आज भी मौजूद है। यहां देशभर के लोग मत्था टेकने जाते हैं।
ये संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार है।
मजार की जगह मंदिर की मांग का CM ने किया था समर्थन मई-2017 में लखनऊ में हुए विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में CM योगी आदित्यनाथ ने कहा था- गजनवी और उसके भतीजे गाजी मसूद ने भारत में कई धार्मिक स्थलों को तोड़ा और देश को बांटने की कोशिश की।
CM ने इस कार्यक्रम में VHP की उस मांग का भी समर्थन किया था, जिसमें बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार की जगह सूर्य मंदिर का निर्माण करने की मांग दोहराई जाती रही है।
उधर, विधानसभा चुनाव के दौरान 25 फरवरी, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यूपी के जिला बहराइच पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा- यह वही बहराइच की पावन धरती है, जहां पर सैयद सालार मसूद गाजी को महाराजा सुहेलदेव ने मौत के घाट उतारकर देश व समाज की रक्षा की थी।
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