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मेगा एंपायर-दवाई बेचने वाले ने शुरू की थी रेड बुल: थाईलैंड से शुरू हुई कंपनी बनी ग्लोबल ब्रांड; रेवेन्यू 1 लाख करोड़


गर्मी के मौसम में तरोताजा रहने के लिए कई लोग एनर्जी ड्रिंक पीते हैं। इनमें सबसे कॉमन है रेड बुल। 1976 में थाईलैंड से शुरू हुई रेड बुल कंपनी का रेवेन्यू 1.07 लाख करोड़ रुपए है। करीब 20 हजार लोग कंपनी में काम करते हैं। 178 देशों में इसका कारोबार फैला ह

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आज मेगा एंपायर में कहानी लगातार ट्रेंड में रहने वाले एनर्जी ड्रिंक रेड बुल की…

थाईलैंड के रहने वाले चालेओ योविड्या के माता-पिता डक फार्मिंग और दवाओं का छोटा कारोबार करते थे। उन्होंने बचपन से इस बिजनेस को करीब से देखा था। धीरे-धीरे वो भी दवा बेचने लगे।

आगे चलकर चालेओ एक फार्मास्युटिकल कंपनी में बतौर सेल्समैन नौकरी करने लगे। नौकरी के दौरान चालेओ ने थके हुए लोगों को एनर्जी ड्रिंक पीते हुए देखा। तब एनर्जी ड्रिंक दवाई की बॉटल में मिलती थी।

थाईलैंड के रहने वाले चालेओ योविड्या जिन्होंने रेड बुल की शुरुआत की।

1956 में चालेओ ने टीसी फार्मा के नाम से एक छोटी फार्मास्युटिकल कंपनी शुरू की। ये कंपनी मेडिकल प्रोडक्ट्स और ड्रिंक्स बनाती थी। ये काम करते हुए चालेओ ने एनर्जी ड्रिंक्स के बाजार को समझा।

उस वक्त जो एनर्जी ड्रिंक थाईलैंड में बिक रही थी, वो विदेशों से आती थी। तब चालेओ ने एक ऐसा ड्रिंक बनाने के बारे में सोचा, जो मेड इन थाईलैंड हो और लोगों को आसानी से मिल जाए।

1976 में चालेओ ने क्रेटिंग डैंग नाम से एक एनर्जी ड्रिंक लॉन्च की। चालेओ की एनर्जी ड्रिंक थाईलैंड में मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों के बीच लोकप्रिय हो गई।

चालेओ योविड्या ने क्रेटिंग डैंग नाम की यही एनर्जी ड्रिंक लॉन्च की थी, जो बाद में रेड बुल बनी।

1982 में ऑस्ट्रिया की एक कॉस्मेटिक कंपनी के मार्केटिंग डायरेक्टर डिट्रिच मेटेशिट्ज एक बिजनेस ट्रिप के लिए थाइलैंड गए थे। वहां उन्होंने चालेओ की एनर्जी ड्रिंक क्रेटिंग डैंग पीकर देखी। इस ड्रिंक ने उनकी थकान तुरंत कम कर दी, जिससे वह बेहद प्रभावित हुए। तब उन्होंने सोचा कि पश्चिमी देशों में एनर्जी ड्रिंक का मार्केट काफी बड़ा हो सकता है।

1984 में डिट्रिच मेटेशिट्ज ने चालेओ योविड्या से मुलाकात की और उनके साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर ली। तब उन्होंने क्रेटिंग डैंग को इंटरनेशनल मार्केट के लिए Red Bull नाम से री-ब्रांड किया।

रेड बुल के को फाउंडर डिट्रिच मेटेशिट्ज।

डिट्रिच ने Red Bull GmbH कंपनी लॉन्च करने के 3 साल बाद तक एनर्जी ड्रिंक को लेकर मार्केट में खूब रिसर्च की। रेड बुल में कार्बोहाइड्रेट वाटर एड किया, शुगर लेवल को बढ़ाया और पैकेजिंग पर काम किया। इसके साथ ही इस ड्रिंक को बाकी देशों में कैसे पहुंचाया जाए, इस पर भी रिसर्च की।

चालेओ की एनर्जी ड्रिंक क्रेटिंग डैंग बनी रेड बुल।

1987 में ऑस्ट्रिया में रेड बुल एनर्जी ड्रिंक पहली बार मार्केट में आई। मेटेशिट्ज ने रेड बुल को सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल ब्रांड के रूप में प्रमोट किया। ड्रिंक लॉन्च होने के पहले साल ही कंपनी को 8.72 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।

ऑस्ट्रिया के बाहर सबसे पहले हंगरी में लॉन्च हुई थी रेड बुल 1992 में ऑस्ट्रिया के बाहर रेड बुल पहली बार हंगरी में लॉन्च हुई। हंगरी में इसे लॉन्च करने की वजह थी कि यह ऑस्ट्रिया के पास था और वहां रेड बुल की डिमांड तेजी से बढ़ सकती थी। इसके बाद रेड बुल ने धीरे-धीरे यूरोप के अन्य देशों और फिर अमेरिका और एशियन मार्केट में अपनी जगह बनाई।

1994 में जर्मनी, 1995 में यूके, 1997 में अमेरिका और 2000 में एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में रेड बुल पहुंची।

ऑस्ट्रिया में रेड बुल का हेडक्वॉटर।

टैगलाइन और मार्केट स्ट्रैटजी की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी एनर्जी ड्रिंक कंपनी बनी रेड बुल अपनी टैगलाइन ‘Red Bull Gives You Wings’ की वजह से एडवेंचर से जुड़ गई। इसके एड्स ट्रेडिशनल एड्स से काफी अलग हैं, साथ ही अलग-अलग इवेंट्स और स्टंट्स से भी ड्रिंक ने अलग पहचान बनाई।

स्पोर्ट्स में रेड बुल ने F1, एक्सट्रीम स्पोर्ट्स, एयर रेसिंग और फुटबॉल क्लबों को स्पॉन्सर किया, जिसकी वजह से यंगस्टर के बीच इसकी पॉपुलैरिटी बढ़ी। रेड बुल को कॉलेज स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए यूनिवर्सिटी कैंपस में फ्री सैंपलिंग की गई।

2012 में रेड बुल ने एक ऐसा स्टंट किया, जिससे उसकी पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी। एक व्यक्ति ने 39 फीट की ऊंचाई से जंप लगाई और यह स्टंट वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस स्टंट को रेड बुल ने स्पॉन्सर किया था। इससे रेड बुल की डिमांड और ज्यादा बढ़ गई और इसकी वजह से कंपनी को 50 मिलियन डॉलर का प्रॉफिट हुआ।

रेड बुल अब एनर्जी ड्रिंक का एक ग्लोबल ब्रांड बन चुका है। दुनिया के 178 देशों में इसकी सप्लाई हो रही है। 22 अक्टूबर 2022 को 78 साल की उम्र में कंपनी के को-फाउंडर मेटेशिट्ज का निधन हो गया।

रिसर्च- रतन प्रिया और बिपाशा तिवारी

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