गुना में दिसंबर 2023 में हुए दर्दनाक बस हादसे के एक साल बाद 4 अप्रैल 2025 को पुलिस ने कोर्ट में 353 पन्नों का चालान पेश कर दिया। इस बहुचर्चित केस में पुलिस ने बस मालिक के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों की धाराएं हटा दी हैं, वह भी तब, जब शुरुआती ज
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पुलिस का कहना है कि यह निर्णय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) ग्वालियर और 1 फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई थी, जिनमें 11 लोग बस में जलकर खाक हो गए थे। चालान पेश होने के बाद अब पीड़ित परिवार मुआवजे के लिए क्लेम कर सकेंगे।
हादसे की तीन तस्वीरें…
हादसा इतना भयानक था कि बस में 13 लोग जिंदा जल गए थे, जबकि 16 लोग झुलस गए थे।
रात में रेस्क्यू में आ रही दिक्कत के बाद SDERF की लाइट मंगवाई गई थी।
आग बुझाने के बाद रेस्क्यू कर्मियों ने डेड बॉडी को बस से निकाला था।
चेसिस नंबर फर्जीवाड़े के बाद बढ़ाई थी धाराएं हादसे के एक महीने बाद मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि बस के चेसिस नंबर में गड़बड़ी की गई है। बजरंगगढ़ थाने में खड़ी बस और परिवहन विभाग के दस्तावेजों में दर्ज बस के चेसिस अलग-अलग मिले। रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों के अनुसार, बस का चेसिस नंबर कुछ और था जबकि थाने में जब्त बस पर अंकित चेसिस नंबर अलग था।
इस खुलासे के बाद पुलिस की मोटर ट्रांसपोर्ट (MT) शाखा ने जांच की और उन्होंने भी पुष्टि की कि दोनों नंबर अलग-अलग हैं। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद पुलिस ने आरोपी बस मालिक पर धोखाधड़ी और दस्तावेजों में कूट रचना (फर्जीवाड़ा) की धाराएं जोड़ी थीं। उस समय पुलिस ने आरोपी की पहले से मिली जमानत को निरस्त करने के लिए कोर्ट में अर्जी भी लगाई थी, हालांकि कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
353 पेज का चालान पेश, कई धाराएं हटाई गईं पुलिस ने घटना के एक साल बाद 4 अप्रैल को कोर्ट में 353 पेज का चालान पेश किया। इसमें आरोपी बस मालिक पर IPC की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और धारा 338 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) लगाई गई हैं।
इसके अलावा, मोटरयान अधिनियम की छह धाराओं को भी चालान में शामिल किया गया है। हालांकि, पहले जो फ्रॉड और धोखाधड़ी की धाराएं जोड़ी गई थीं, उन्हें चालान से हटा दिया गया है। यह संशोधन परिवहन विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर किया गया।
MT की रिपोर्ट को परिवहन विभाग ने किया खारिज बस के चेसिस नंबर में गड़बड़ी को लेकर मीडिया रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच कराई थी। जांच की जिम्मेदारी पुलिस लाइन स्थित MT शाखा को सौंपी गई थी। इंस्पेक्टर अवधेश परिहार और ASI धर्मवीर सिंह के साथ प्रभारी परिवहन चेकपोस्ट उमर थाना ने जब्त बस का फिजिकल वेरिफिकेशन किया।
उन्होंने रिपोर्ट में लिखा था कि हादसे में जब्त बस पूरी तरह जल चुकी है, उसका इंजन नंबर 497TC93 और चेसिस नंबर U038RZ613834 था। वहीं, 31 दिसंबर 2023 को बस मालिक भानुप्रताप सिंह सिकरवार ने जो दस्तावेज दिए उनमें बस क्रमांक MP08 P0199 का चेसिस नंबर 386515ERZ815296 दर्ज था।
दोनों नंबरों में अंतर मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कूट रचना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से कूटरचना) और 472 (कूटरचित मुहर या दस्तावेज का उपयोग) जैसी धाराएं जोड़ी थीं। हालांकि, बाद में परिवहन विभाग ने MT शाखा की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसके चलते चालान से ये धाराएं हटा दी गईं।
FSL ग्वालियर ने दोबारा करवाई थी जांच फर्जीवाड़े की पुष्टि के लिए पुलिस ने एक बार फिर बस के इंजन और चेसिस नंबर की जांच करवाई। इसके लिए मामला ग्वालियर स्थित क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की भौतिकी शाखा को सौंपा गया।
भौतिकी शाखा प्रभारी ने 2 अप्रैल 2024 को थाना बजरंगगढ़ परिसर में जब्त बस की जांच की, जिसमें बस के बाईं ओर-नॉन ड्राइवर साइड के पिछले पहिए के पीछे चेसिस नंबर वाली जगह पर खुदा मिला। इसलिए उसे पहले समतल किया गया, फिर केमिकल से लेप कर जांच की गई।
जांच के दौरान चेसिस नंबर 386515ERZ815296 स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आया। यही चेसिस नंबर बस मालिक सिकरवार ने दस्तावेज ने बताया था। इस पुष्टि के बाद FSL शाखा प्रभारी ने 8 अप्रैल 2024 को रिपोर्ट गुना पुलिस को सौंप दी।
जांच में पता चला- बस का परमिट वैलिड था FSL ग्वालियर की रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने आरोपी पर से फ्रॉड और कूट रचना (फर्जी दस्तावेज तैयार करने) जैसी धाराएं हटा दी।
वहीं, इस मामले में शुरुआत में यह भी सामने आया था कि बस के पास परमिट नहीं था। रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों में भी परमिट की वैधता समाप्त बताई गई थी। हालांकि, पुलिस जांच के अनुसार, यह पाया गया कि बस का परमिट 31 फरवरी 2024 तक वैध था, यानी हादसे के समय बस के पास परमिट मौजूद था।
पुलिस ने बनाए 81 गवाह, 22 दस्तावेज किए शामिल पेश चालान में कुल 81 गवाहों को शामिल किया है। इन गवाहों में जान गंवाने वालों के परिजन, घायलों के रिश्तेदार, मौके पर मौजूद चिकित्सक, और पुलिसकर्मी व अधिकारी शामिल हैं।
इसके अलावा पुलिस ने 22 दस्तावेजों को भी चालान का हिस्सा बनाया है। इनमें प्राथमिक रिपोर्ट (FIR), घटनास्थल की जांच रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स, फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं।
हादसे में RSS पदाधिकारी की भी हुई थी मौत बता दें कि 27 दिसंबर 2023 की रात सिकरवार ट्रेवल्स की एक बस गुना से आरोन की ओर जा रही थी। रात करीब 8:30 बजे बजरंगगढ़ के आगे सेमरी कटी घाटी पर बस की टक्कर एक डंपर से हो गई। टक्कर के तत्काल बाद बस में आग लग गई, जिसमें 11 लोग जिंदा जल गए। इसके अलावा, बस और डंपर ड्राइवर की भी मौत हो गई थी। मरने वालों में बच्चों सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक पदाधिकारी की भी मृत्यु हुई थी।
इस भीषण हादसे के बाद सरकार ने गुना कलेक्टर, आईजी, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और नगरपालिका के सीएमओ को हटा दिया था। मुख्यमंत्री मोहन यादव हादसे के अगले ही दिन गुना पहुंचे थे और पीड़ितों से मुलाकात कर संवेदना जताई थी। पुलिस ने मामले में आरोपी बस मालिक को गिरफ्तार किया था, हालांकि गिरफ्तारी के 17 दिन बाद उसे जमानत मिल गई थी।
हादसे के अगले दिन मुख्यमंत्री मोहन यादव गुना पहुंचे और उन्होंने घायलों से मुलाकात की थी।
DNA से हुई थी शवों की शिनाख्त बस हादसा इतना भीषण था कि 11 शव पूरी तरह से जलकर क्षत-विक्षत हो गए थे। घटनास्थल पर जब शवों को बस से बाहर निकाला गया, तो कई जगह शरीर के हिस्से टूटकर गिर रहे थे। जैसे-तैसे उन्हें इकट्ठा किया गया।
शवों की पहचान हो सके इसलिए पुलिस ने सभी 11 शवों के DNA सैंपल जांच के लिए लैब भेजे थे। रिपोर्ट आने के बाद ही मृतकों की पुष्टि हो सकी। इसके बाद शवों के अवशेष उनके परिजनों को सौंपे गए, जिन्होंने उन्हीं अवशेषों का अंतिम संस्कार किया था।