हिमांशु तिवारी | कानपुर5 मिनट पहले
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‘ये तो मरकर जिंदा हो गया… गांव के लोग मुझे देखकर अब ऐसा कह रहे हैं।’
यह कहना है कानपुर के अजय का। उसकी बहन ने 12 जून को एक लाश की फोटो देखी, तो अपने भाई अजय के रूप में पहचान कर ली। यह बताने वह थाने पहुंची। इसके बाद अजय के नाम का डेथ सर्टिफिकेट बनने ही वाला था कि वह थाने पहुंच गया।
इंस्पेक्टर के सामने खड़ा होकर बोला- साहब मैं जिंदा हूं। जिसका पोस्टमॉर्टम हो रहा, वो मैं नहीं हूं। यह देख-सुनकर पुलिस वाले भी दंग रह गए। पोस्टमॉर्टम रोका गया। आखिर लाश किसकी थी? लाश के वो 4 निशान, जिनसे बहन ने उसे अपना भाई समझा? भाई-बहन की बातचीत पर पूरी रिपोर्ट पढ़िए…
ब्लैक शर्ट में अजय शंखवार है, जिसने पोस्टमॉर्टम से पहले घाटमपुर थाने पहुंचकर अपने जिंदा होने का सबूत दिया।
पहले पूरा मामला जानिए
घाटमपुर नगर स्थित मुख्य चौराहे पर 12 जून की दोपहर एक युवक का शव पड़ा मिला। काफी देर बाद भी शव की शिनाख्त नहीं हुई। इस पर पुलिस ने वॉट्सऐप ग्रुपों पर लावारिस शव की फोटो वायरल कर दी। देर शाम सुमन घाटमपुर थाने पहुंची। उसने शव की शिनाख्त अपने भाई अजय शंखवार के रूप में की।
कानपुर देहात के ईदुरुख में रहने वाले अजय शंखवार 13 जून की दोपहर घाटमपुर थाने पहुंचे। यहां पुलिस को पूरी कहानी सुनाई। तब पुलिस ने माना कि अजय तो जिंदा है। लाश तो किसी दूसरे की है। इसके बाद लाश का पोस्टमॉर्टम रोका गया।
यही वो लाश है, जो घाटमपुर में मिली है। पुलिस की अपील है कि इसे कोई पहचानता है तो घाटमपुर थाना पुलिस को सूचित करे।
बहन बोली- भाई को जिंदा देखकर बहुत खुश हूं दैनिक भास्कर टीम कानपुर से करीब 32 किमी दूरी बिरसिंहपुर गांव में भट्ठे पर पहुंची। यहां अजय मजदूरी करता है। यहां पर हमारी मुलाकात रमेश से हुई। रमेश ने बताया कि अजय अपनी बहन के घर सर्दे गोपालपुर में है। फिर हम भट्ठे से करीब 20 किमी दूर सर्दे गोपालपुर पहुंचे। घर के बाहर सुमन कुछ महिलाओं के साथ बैठी बातें कर रही थी।
सुमन ने कहा- फोटो देखकर हमारे घर परिवार में मातम छा गया था। इसी बीच भाई को जिंदा देखकर एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ। मुझसे पहचानने में गलती हो गई थी। हम बहुत खुश हैं कि मेरा भाई जिंदा है।
अजय बोले- भट्ठे पर पुलिस मुझे ढूंढते हुए पहुंची, तब पता चला अजय ने बताया- मैं भीतरगांव कस्बा स्थित एक ईंट भट्ठे में मजदूरी करता हूं। मेरे पास फोन नहीं है। मैं हफ्ते में एक-दो बार भट्ठे पर साथ में काम करने वाले साथी के मोबाइल से घर पर बात करता हूं। 13 जून की सुबह भट्ठे पर पुलिस पहुंची। पुलिस भट्ठे पर लोगों से मेरे बारे में पूछ रही थी। तब तक मैं पहुंच गया।
मुझे देखते ही पुलिस वाले बोले- अरे ये तो जिंदा है। तब मैंने पूछा, क्या हुआ साहब? इस पर उन्होंने बताया कि तुम्हारी बहन ने एक लावारिस शव की पहचान तुम्हारे रूप में की है। इसके बाद शव को घाटमपुर पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था। तुम घाटमपुर थाने पहुंचकर अपने जिंदा होने की बात बताओ। इसके बाद मैं घाटमपुर थाने पहुंचा। जब मैंने पुलिसकर्मियों को बताया कि मैं अजय हूं, तो वह मानने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद मैंने अपना आधार कार्ड दिखाया। इस पर पुलिसवालों ने कहा कि तू तो मरकर जिंदा हो गया।
अजय के पिता मथुरा प्रसाद बुजुर्ग हैं। वह घर पर ही रहते हैं। तीन भाइयों में अजय सबसे छोटा है। अभी अजय की शादी नहीं हुई है। इनकी दो बहनें पुष्पा और सुमन की शादी हो चुकी है। कमलेश, सुनील और अजय ये तीनों भाई मजदूरी करते हैं।
घाटमपुर ACP कृष्णकांत यादव ने बताया कि लावारिस शव की पहचान में युवक की बहन से गलती हो गई थी। उन्हें हिदायत दी गई है। इसके साथ ही आसपास के थानों में शव की फोटो भेजकर पहचान कराने की कोशिश की जा रही है।
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