आज एक अप्रैल है, इसे मूर्ख दिवस के नाम से भी जाना जाता है। भास्कर ने तीन जिलों के सीधे जनता से जुड़े प्रोजेक्ट्स को स्कैन किया। कई प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जिसमें जनता को वर्षों से बेवकूफ बनाया जा रहा है। कहीं मेडिकल कॉलेज, तो कहीं प्रधान मंत्री आवास योज
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विदिशा : 10 साल बाद भी आवास अधूरे पड़े हुए हैं। पहली निर्माण एजेंसी काम छोड़कर भाग गई। दूसरी ने अभी तक काम ही शुरू नहीं किया । नगर पालिका सीएमओ दुर्गेश सिंह ठाकुर ने बताया कि 613 ईडब्ल्यूएस और 210 एलआईजी आवास बनाए जा रहे हैं। 2018 से काम अधूरा है। दूसरा ठेका दिया है। जल्दी काम चालू किया जाएगा।
गंजबासौदा : गंजबासौदा-गुना रेल लाइन योजना 11 साल बाद भी मंजूरी नहीं पा सकी। इस रेल लाइन का सर्वे भी कराया गया। सर्वे पर लाखों रुपए खर्च हुए। करीब 150 किमी इस लाइन की लागत 580 करोड़ रुपए बताई गई थी। योजना का उद्देश्य सिरोंज, लाटरी और आरोन को रेल मार्ग से जोड़ना था।
सीहोर : छीपानेर माईक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना 2018 में शुरू तो हुई, लेकिन इसका फायदा आज तक सीहोर-देवास के किसानों को नहीं मिल सका। 595 करोड़ खर्च कर इस योजना के तहत दोनों जिलों के 99 गांवों के किसानों को पानी देना था। इस परियोजना से सीहोर और देवास जिले के 69 गांव लाभांवित होना थे।
रायसेन : मेडिकल कॉलेज के लिए 758 करोड़ की राशि मंजूर होने के बाद जिला प्रशासन ने पठारी में जमीन भी अलाट कर दी, लेकिन दो साल से कॉलेज कागजी कार्रवाई में शामिल होकर रह गया है। मेडिकल कॉलेज खुलने की उम्मीद से रायसेन जिला मुख्यालय पर बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होना अब लोगों को अप्रैल फूल जैसा लग रहा है।