धनबाद, 24 दिसंबर 2024: राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित वार्षिकोत्सव के पहले दिन बहनों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आईआईटी-आईएसएम धनबाद के निदेशक डॉ. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि बच्चों के चरित्र निर्माण में समाज, संस्थान और अभिभावकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बच्चों को परिश्रम और सकारात्मक ऊर्जा से भरे जीवन की प्रेरणा दी।
मुख्य अतिथि का संबोधन: डॉ. सुकुमार मिश्रा ने बच्चों के मस्तिष्क को “प्लास्टिक” जैसे प्रभावों से बचाने की अपील की और छात्रों को कठिन परिश्रम से अपने जीवन का निर्माण करने की सलाह दी।
विशिष्ट अतिथि: विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डॉ. राम अवतार नरसरिया ने विद्यालय को झारखंड में शिक्षा और संस्कृति का स्तंभ बताया और कहा कि यह संस्थान छात्रों को शिक्षा के साथ भारतीय मूल्यों से भी जोड़ता है।
विद्यालय का योगदान-:विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान ने कहा कि यह संस्थान बच्चों का सर्वांगीण विकास करता है, जिसमें पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ संस्कृति और मूल्यों की शिक्षा भी दी जाती है।
कार्यक्रम की झलकियां-::मंगलाचरण, समूह नृत्य, राजस्थानी नृत्य, हिंदी और अंग्रेजी नाटक, शिव स्तोत्र, भोजपुरी लोक नृत्य और वृंद वादन जैसी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।मंच संचालन अनुष्का सरखेल, रिचा कुमारी, वर्षा कुमारी, अनन्या, अरुणिमा और श्रेया कुमारी ने किया।सायंतनी, निष्ठा, इशिका, निशिता, भूमी, साक्षी, विजया, अंशिका, अद्विक, आर्यन, वैश, अदिति, श्रेया और कई अन्य छात्रों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को प्रभावित किया।
विशेष उपलब्धियां:-:विद्यालय की छात्रा अंशु कुमारी ने इसरो में वैज्ञानिक बनकर और नाज माजिद ने बीपीएससी में 198वीं रैंक हासिल कर विद्यालय का नाम रोशन किया।
आभार और समापन:-:सह मंत्री दीपक रुइया ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र से हुआ, जिसमें करीब 3,000 से अधिक छात्रों, अभिभावकों और अतिथियों ने भाग लिया।
उपस्थित गणमान्य-::आईआईटी-आईएसएम के निदेशक डॉ. सुकुमार मिश्रा, विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डॉ. राम अवतार नरसरिया, विद्यालय के संरक्षक शंकर दयाल बुधिया, अध्यक्ष विनोद कुमार तुलस्यान, उपाध्यक्ष रविंद्र कुमार पटनिया और अन्य गणमान्य अतिथि शामिल हुए।
राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर का वार्षिकोत्सव झारखंड में शिक्षा और संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया।