मध्यप्रदेश कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने के लिए जिलावार बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया की शुरुआत शनिवार को राजगढ़ जिले से हुई। यहां पूर्व सांसद फूल सिंह बरैया, हनी सिंह, भैयाजी पंवार समेत चार वरिष्ठ पर्यवेक्षक जिला अध्यक्ष चयन को ले
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पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस कार्यालय और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने जिले के विभिन्न ब्लॉकों का दौरा किया और संभावित जिलाध्यक्षों के नामों पर चर्चा की। इस बार पार्टी नेतृत्व वर्गीय संतुलन को प्राथमिकता दे रहा है।
हर जिले से 6 नामों का पैनल, वर्गीय प्रतिनिधित्व अनिवार्य कांग्रेस ने तय किया है कि हर जिले से 6 संभावित नामों का पैनल तैयार किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला और अल्पसंख्यक वर्ग से कम से कम एक-एक नाम होना जरूरी होगा। यह पार्टी की समावेशी संगठन निर्माण की रणनीति का हिस्सा है।
सिफारिश नहीं, संवाद से तय होगा नेतृत्व पूर्व में जिला अध्यक्षों का चयन पहले वरिष्ठ नेताओं की सिफारिश से होता था। लेकिन इस बार राहुल गांधी के निर्देश पर संवाद और फील्ड रिपोर्ट को प्राथमिकता दी जा रही है। पार्टी का मानना है कि संवाद से तय हुआ नेतृत्व जमीनी स्तर पर अधिक प्रभावी रहता है।
30 दिन में पूरी होगी चयन प्रक्रिया वरिष्ठ पर्यवेक्षक भैयाजी पंवार ने बताया कि यह प्रक्रिया अगले 30 दिनों में पूरी की जाएगी। सभी जिलों से तैयार किए गए पैनल प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजे जाएंगे, जहां से अंतिम निर्णय लिया जाएगा और संगठन की नई घोषणा की जाएगी।
2028 की तैयारी का आधार भी है यह बदलाव राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह कवायद सिर्फ चेहरों का बदलाव नहीं, बल्कि 2028 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का भी संकेत है। कांग्रेस खुद को एक युवा, संवादशील और सर्वसमावेशी संगठन के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है। इस प्रक्रिया के जरिए पार्टी उन वर्गों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है, जो लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं।