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रेल मंत्री ने की घोषणा: मप्र को 2 माह में 3 नई ट्रेनें, इनमें 1 भोपाल में भी रुकेगी – Bhopal News



मध्य प्रदेश के रेल नेटवर्क को अगले दो महीने में तीन नई ट्रेनों का तोहफा मिलने जा रहा है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इसकी जानकारी दी। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी वर्चुअल रूप से जुड़े।

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पहली ट्रेन ग्वालियर से बेंगलुरु तक चलेंगी। इसका स्टॉपेज भोपाल में भी होगा। लंबे समय से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस ट्रेन की मांग कर रहे थे। दूसरी ट्रेन रीवा से पुणे तक चलेगी। तीसरी ट्रेन जबलपुर से रायपुर के बीच चलेगी। इससे रायपुर-जबलपुर की दूरी 103 किमी कम होकर 411 किमी रह जाएगी। यात्रियों का दो घंटे का समय बचेगा। वैष्णव ने बताया कि गोंदिया-जबलपुर रेल लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के बाद इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है।

गोंदिया से जबलपुर के बीच दूसरी रेल लाइन भी प्रस्तावित है। इससे दक्षिण भारत की ट्रेनें नागपुर की बजाय चंद्रपुर-वर्धा से गोंदिया होकर जबलपुर और फिर यूपी-बिहार जा सकेंगी। राज्य के महत्वपूर्ण रेल प्रोजेक्ट्स की जानकारी भी दी : रेल मंत्री ने मध्यप्रदेश से जुड़े 5 बड़े रेल प्रोजेक्ट्स का जिक्र भी किया, जो बजट में घोषित हो चुके हैं।

1. भोपाल–रामगंजमंडी रेल लाइन : वर्ष 2026 तक पूरा होगा, मध्यप्रदेश-राजस्थान कनेक्टिविटी बेहतर होगी। 2. मनमाड़–इंदौर नई रेल लाइन : लंबाई: 309 किमी, लागत: 18,036 करोड़ रुपए। इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी को महाराष्ट्र के नासिक, धुले से जोड़ेगी। 3. भुसावल–खंडवा तीसरी और चौथी लाइन : लंबाई: 131 किमी, लागत: 3,514 करोड़ रुपए। मालवाहन की क्षमता दोगुनी होगी। 4. प्रयागराज–माणिकपुर तीसरी लाइन : लंबाई: 84 किमी, लागत 1,640 करोड़ रुपए। रीवा क्षेत्र को प्रयागराज और चित्रकूट से बेहतर जोड़ेगी। 5. रतलाम–नागदा तीसरी और चौथी लाइन : लंबाई: 41 किमी, लागत 1,018 करोड़ रुपए। पश्चिमी तटीय बंदरगाहों से संपर्क बढ़ेगा। उपयोगिता दर 116% से घटकर 65% हो जाएगी। कांडला, मुंद्रा, पिपावाव जैसे बंदरगाहों से दिल्ली, यूपी और मध्यप्रदेश की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

सीएम यादव ने सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए उज्जैन को दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग से सीधी कनेक्टिविटी देने की मांग की। उन्होंने बताया कि दिल्ली से उज्जैन आने वाली ट्रेनों को नागदा में इंजन शिफ्टिंग के कारण आधा घंटा रुकना पड़ता है।



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