महाराणा प्रताप की प्रतीकात्मक प्रतिमा
लखनऊ के रास्ते एयरपोर्ट से होते हुए वाराणसी शहर के एंट्री प्वाइंट गिलट बाजार चौराहे पर महाराणा प्रताप की 125 फीट ऊंची घोड़े पर सवार कांस्य प्रतिमा की स्थापना को योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। वर्तमान में इस चौराहे पर दिव्य काशी भव्य काशी का एक बोर्ड
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इसी स्थान पर स्थापित होगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा
वाराणसी का प्रमुख चौराहा
वाराणसी- लखनऊ स्टेट हाइवे से लाल।बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट के रास्ते वाराणसी के शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने पर सबसे पहले गिलट
बाजार चौराहा पड़ता है। एक रास्ता भोजूबीर होते हुए लगभग दो किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय होते हुए वरुणापुल के रास्ते काशी में प्रवेश करता है। दूसरा। रास्ता पंचकोसी को जाता है। तीसरा रास्ता शिवपुर बाजार, रेलवे स्टेशन, सेंट्रल जेल, फुलवरिया होते हुए बीएचयू तक जाता है। चौथा रास्ता चौराहे से लगभग 17 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट होते हुए लखनऊ को जाता है।
वीडीए सदस्य ने सरकार में पहुंचाई थी लोगों की मांग
काशी में महाराणा प्रताप सेना समेत कई संगठन काशी महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर रहे थे। वाराणसी विकास प्राधिकरण सदस्य और हिंदू युवा वाहिनी के वाराणसी प्रभारी अम्बरीष सिंह भोला ने इस बाबत सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसे मंजूरी मिल गई है।
जेपी की जयंती पर जुटे लोकतंत्र सेनानी
चौराहे के बगल में जेपी की प्रतिमा उपेक्षा का शिकार
गिलट बाजार चौराहे के किनारे शिवपुर बाजार और पंचकोसी मार्ग के जाने वाले रास्ते को बांटने वाले सड़क मार्ग के बीच में मौजूद पार्क में जय प्रकाश नारायण की लगभग 15 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा है। जेपी पार्क की बदहाली को लेकर कई बार लोकतंत्र सेनानी और जेपी समर्थक रोष जता चुके हैं।
छावनी क्षेत्र में रानी लक्ष्मीबाई की कांस्य प्रतिमा
झांसी की रानी की भी है अश्वरोही कांस्य प्रतिमा
गिलट बाजार चौराहे से लगभग तीन किलोमीटर दूर छावनी क्षेत्र में जेएचवी मॉल के सामने रानी लक्ष्मीबाई की लगभग 16 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा है जिसका अनावरण राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वर्ष 2019 में किया था। समाजिक संस्था भारत विकास परिषद की शिवा शाखा ने छावनी बोर्ड से अनुमति के बाद कांस्य प्रतिमा स्थापित कराई थी।
भदैनी में लक्ष्मीबाई की शिलापट्ट पर जीवन गाथा
काशी में लिया था लक्ष्मीबाई ने जन्म
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को काशी के भदैनी इलाके में हुआ था। उनकी जन्मस्थली पर भी अश्वरोही कांस्य प्रतिमा स्थापित है।