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विदिशा के ग्यारसपुर में पहाड़ी पर बीजसन माता मंदिर: 2 हजार साल पुरानी प्रतिमा; 30 साल से हर नवरात्रि होता है अखण्ड रामायण पाठ – Gyaraspur News


विदिशा जिले की ग्यारसपुर तहसील का इतिहास काफी पुराना हैं। मालादेवी मंदिर, हिंडोला तोरण सहित यहां पर कई धरोहरें हैं जिनका इतिहास के पन्नों में वर्णन मिलता है। क्षेत्र में बीजासन माता का एक विशेष मंदिर भी है।

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मंदिर में विराजित माता की प्रतिमा के बारे में लोग बताते हैं कि यह 2 हजार साल से भी पुरानी है। माता जिस मंदिर में विराजित हैं, वह पहाड़ी पर बना है। मंदिर के चारों तरफ से हरियाली है। पहाड़ी के नीचे ही दो सरोवर हैं। मंदिर से देखने पर क्षेत्र में काफी अच्छी अनुभूति होती है।

नवरात्रि में यह स्थल और भी जगमग हो जाता है क्योंकि बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचने लगते हैं। मंदिर को र भी सजा दिया जाता है। यहां अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं, जिसकी वजह से यहां आनंदित वातावरण रहता है।

चलिए माता के इसी मंदिर के बारे में जानते हैं…

मंदिर में स्थापित की गई है माता की प्राचीन प्रतिमा।

35 साल पहले हुई थी माता प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के पुजारी राकेश दुबे ने बताया है कि मंदिर पर स्थापित माता बीजासन की प्रतिमा काफी पुरानी है। यहां पर एक भक्त जगनदास महाराज के नाम से जाने जाते थे, जिन्होंने माता प्राण प्रतिष्ठा का कार्य करीब 35 वर्ष पूर्व पूरे विधि-विधान से हमारे पिताजी ने पूजन संपन्न कराई थी।

30 सालों से चला आ रहा है रामायण पाठ विजयासन माता के इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में अखण्ड रामायण पाठ चलता है। यह पिछले 30 सालों से चला आ रहा है। गांव के लोग अपने-अपने समय के अनुसार रामायण का पाठ करने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर कई लोग ऐसे भी हैं, जो दिन भर ही मंदिर पर रामायण पाठ पर बैठे रहते हैं।

पिछले 30 सालों से यहां पर रामायण का पाठ किया जाता आ रहा है।

नवरात्रि में सुबह से ही पहुंचते हैं श्रद्धालु मंदिर तीनों तरफ से हरियाली से घिरा है। गांव से करीब 500 मीटर की दूरी पर बने इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं। सुबह 5 बजे से ही मंदिर में लोग माता को जल अर्पित करने आने लगते हैं, जो रात में होने वाली आरती तक आते जाते ने रहते हैं।

नवरात्रि के दिनों में सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचने लगते हैं।

नवमी पर होता है नगर भोज नवरात्रि के आखिरी दिन नवमी पर नगर मंदिर में भण्डारे का अयोजन किया जाता है। यहां के लोग इसे नगर भोज कहते हैं, जिसमें गांव के सभी लोग प्रसादी लेने के लिए पहुंचते हैं।

पहाड़ी के नीचे दो सुंदर सरोवर पहाड़ी के नीचे पूर्व कीओर दो सुंदर सरोवर हैं। इनमें से एक को मानसरोवर झील के नाम से जाना जाता है। दूसरे का नाम परघर झील है। पश्चिम की तरफ ग्यारसपुर बस्ती है।

मंदिर जिस पहाड़ी पर है, वहां से देखने पर नजारा।

मंदिर के नीचे हैं कई अवशेष मंदिर के पास पहाड़ी पर प्राचीन किसी मंदिर के अवशेष भी दबे हुए हैं। साथ में मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते पर परकोटे बने हुए हैं। इस पहाड़ी पर प्राचीन प्रतिमा भी प्राप्त हुई है, जो भगवान बुद्ध की है। इस पहाड़ी पर विशाल मंदिर होने के अवशेष प्राप्त हुए हैं।

पूरी होती है मनोकामना मंदिर के पुजारी पंडित राकेश दुबे ने बताया है कि नवरात्रि में जो भी भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ माता की पूजा करता है माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया है कि जिन्होंने माता की आराधना सच्चे मन से की थी, आज उनकी नौकरी लग गई है। शादी के बाद परिवार सहित अच्छे से जीवन जी रहे हैं। वह अपने रोजगार से लग गए हैं । वह आज भी मंदिर से जुड़े हुए हैं और माता के मंदिर पहुंचकर माता की पूजा अर्चना करते हैं। नगर में और भी प्राचीन मंदिर नगर में माता के और भी प्राचीन मंदिर हैं। इनमें दरवाजे वाली माता, जोशी वाली माता, कंकाली माता, खप्पर वाली माता, कुमार मोहल्ला का माता मंदिर। यहां की माता प्रतिमाएं भी काफी प्राचीन हैं। उनके साथ ही माता महिषासुर मर्दिनी भी हैं।



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