लंका के बाहर वानर सेना और राक्षसों के बीच घमासान युद्ध हो रहा था. रावण का बेटा मेघनाद यद्ध के लिए आया, उसने अपने रथ पर सीता जी को भी लेकर आया था. उसने हनुमान जी की उपस्थिति में वानर सेना के सामने ही सीता का वध कर दिया. यह देखकर वानर दल में हाहाकार मच गया. यह खबर सुनते ही प्रभु राम मूर्छित हो गए और धरती पर गिर पड़े. जब मेघनाद ने सीता जी की हत्या कर दी तो फिर रावण वध के बाद प्रभु राम किस सीता से मिले. वाल्मीकि रामायण में इस घटना का विवरण मिलता है.
युद्ध खत्म करने के लिए मेघनाद ने सोचा उपाय
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, राक्षस और वानर सेना के बीच भीषण युद्ध चल रहा था. उस समय मेघनाद ने प्रभु राम और उनकी वानर सेना के मनोबल को तोड़ने के लिए उपाय सोचा. उसने विचार किया कि जिस सीता के कारण यह युद्ध हो रहा है, उसे ही क्यों न खत्म कर दिया जाए ताकि सामने आया संकट टल जाए.
मायावी था मेघनाद, माया से कर दी सीता की रचना
तब मेघनाद ने अपनी माया विद्या से सीता की रचना की. फिर उसने माया की सीता को अपने रक्ष में बैठा लिया और गरजते हुए युद्ध भूमि में पहुंच गया. वह वानर सेना पर टूट पड़ा. उसके प्रहार से वानर वीर विचलित हो रहे थे. तभी वीर हनुमान वहां पर आ पहुंचे. वे मेघनाद पर हमला करने लगे. तभी उनकी नजर मेघनाद के रथ पर पड़ी, जिसमें पीछे की ओर एक महिला बैठी थी.
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युद्ध भूमि में बिलखती सीता को देखकर आश्चर्य में पड़ गए हनुमान
मेघनाद के रथ में सीता जी को देखकर हनुमान जी आश्चर्यचकित रह गए. इस बात को मेघनाद जान गया. उसने सीता के बालों को पकड़कर खींचा. तो वह महिला बिलख पड़ी और हा राम, हा राम कहकर चिल्लाने लगी. यह देखकर हनुमान जी गुस्से में आ गए और मेघनाद को कहा कि इस पाप का परिणाम तुम्हें भुगतना होगा.
हनुमान जी के सामने मेघनाद ने कर दी सीता की हत्या
इसी बीच मेघनाद ने हनुमान जी से कहा कि तुम्हारे राम, लक्ष्मण, सुग्रीव, विभीषण जिस सीता के लिए यह युद्ध कर रहे हैं, उसे ही खत्म कर देता हूं. यह कहकर मेघनाद ने तलवार से सीता की हत्या कर दी. इस दृश्य को देखकर हनुमान जी विचलित हो गए. वे गुस्से में आकर राक्षसों कर सेना पर जोर जोर से प्रहार करने लगे.
सीता हत्या की खबर सुनकर मूर्छित हो गए राम
इसके बाद हनुमान जी अपने प्रभु राम के पास गए और दुखी मन से उनको बताया कि मेघनाद ने रोती हुई सीता जी को मार डाला है. यह शोक खबर सुनकर राम जी मूर्छित हो गए और धरती पर गिर पड़े. बड़े भाई की यह स्थिति देखकर लक्ष्मण जी दुखी हो गए. तब विभीषण, सुग्रीव और अन्य वीर वहां पहुंच गए. प्रभु राम की स्थिति देखकर वे सभी दुखी और चिंतित थे. हनुमान जी ने बताया कि मेघनाद ने सीता जी को मार डाला है.
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विभीषण ने राम जी को बताया सीता हत्या का सच
विभीषण को यह पता था कि मेघनाद मायावी असुर है. उसने आपको और पूरी वानर सेना को शोक और मोह में डालने के लिए माया का प्रयोग किया है. उसने निश्चित ही अपनी माया से जानकी जी की रचना की होगी और उसे माया जानकी को वानर सेना के समक्ष मारा होगा ताकि सभी मोह और शोक में डूब जाएं, तब तक वह निकुंभिला मंदिर में जाकर अपना हवन कार्य कर पाए. उसके हवन को खंडित कर देना चाहिए ताकि वह युद्ध भूमि में और अधिक शक्तिशाली न बन पाए. यदि वह हवन पूर्ण कर लेता है तो युद्ध में उसके समक्ष देवता भी नहीं टिक सकते हैं.
विभीषण की बातें सुनकर प्रभु राम शोक और मोह के बंधन से मुक्त हो जाते हैं, उसके बाद लक्ष्मण जी के साथ वानर सेना के महावीरों को मेघनाद के यज्ञ को भंग करने के लिए भेजते हैं.