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वैशाख अमावस्या पर करें ये आसान उपाय, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति, पितरों को भी मिलेगा मोक्ष!


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Vaishakh Amavasya 2025 : वैशाख अमावस्या 2025 में पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, जलदान आदि का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान, सत्तू का दान और भागवत पाठ करने से पितृ दोष की शांति होती है.

वैशाख अमावस्या पर पितरों की शांति और मोक्ष के लिए करें विशेष पूजन

हाइलाइट्स

  • वैशाख अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है.
  • सत्तू का दान करने से पितृ दोष की शांति होती है.
  • भागवत पाठ से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Vaishakh Amavasya 2025: जिस तरह सभी 12 माह में वैशाख का माह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, इस तरह सभी अमावस्या में बैसाख अमावस्या सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. जिस तरह श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितरों के लिए तर्पण श्राद्ध आदि करती है इस तरह वैसा अमावस्या में भी आप अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूजन, तर्पण, जलदान आदि कर सकते हैं. जिन लोगों को अपने पितरों का श्राद्ध अथवा तर्पण करना है तो उन्हें श्राद्ध पक्ष तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है. वैशाख अमावस्या पर भी इस अनुष्ठान किया जा सकता है. आइए विस्तार से वैशाख अमावस्या का महत्व समझते हैं.

वैशाख अमावस्या में स्नान का महत्व : वैशाख अमावस्या को सतुबाई अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन गंगा नदी अथवा किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. वैशाख अमावस्या पर आप अपने पितरों की निमित्त स्नान, तर्पण, पितृ पूजा, पितृ दोष की शांति एवं दान पुण्य इत्यादि कर सकते हैं. यदि आपकी जन्म कुंडली में पितृ दोष मौजूद है तो इस दिन इसकी शांति कर सकते हैं. वैशाख अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से हमारे जीवन में चल रहे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.

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पिंडदान में करें सत्तू का प्रयोग : वैशाख अमावस्या पर सत्तू का दान करना विशेष फलदाई होता है. इस दिन किए गए श्राद्ध कर्म में पिंडदान के समय पिंड सत्तू से बनाना चाहिये. इससे पितर शीघ्र प्रसन्न होते हैं. सत्तू के पिंड से पितृ पूजन करने से पितृ दोष की शांति हो जाती है. पितरों के प्रसन्न होने से जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.

पितरों को सुनाएं भागवत : वैशाख अमावस्या पर अपने पितरों को आप भागवत जी का पाठ भी सुना सकते हैं. भागवत जी भगवान विष्णु का सबसे प्रिय ग्रंथ है. इसका श्रवण करने मात्र से ही आपके पितरों को शांति मिलेगी और श्री हरि के चरणों में बैकुंठ की प्राप्ति होगी.

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तर्पण के समय करें इन मंत्रो का जाप : वैशाख अमावस्या पर यदि आप अपने पितरों को तर्पण कर रहे हैं अथवा जल दान कर रहे हैं तो पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें.
मंत्र : ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्”

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