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शक्ति की आराधना…: बड़ी मूर्तियों को पंडाल तक पहुंचाने के लिए क्रेन की भी मदद लेना पड़ी – Indore News



शक्ति की आराधना का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है। बुधवार देर रात मूर्तियों को पंडाल तक पहुंचाने के लिए भी शक्ति की आराधना करना पड़ी। बड़ी मूर्तियों को पहुंचाने क्रेन की मदद लेना पड़ी।

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  • 2500 से ज्यादा पंडाल में विराजेंगी मां की प्र​तिमाएं।
  • 20 फीट से ज्यादा ऊंची मूर्तियां बनाई गई हैं।

कहां कितने बजे होगी घट स्थापना बिजासन माता मंदिर : सुबह 6.30 बजे हरसिद्धि माता मंदिर : सुबह 7.15 बजे अन्नपूर्णा माता मंदिर : सुबह 7 बजे काली माता मंदिर खजराना : सुबह 6.30 बजे काली माता मंदिर,भंडारी ब्रिज: सुबह 8 बजे दुर्गा माता मंदिर, गौराकुंड सुबह : 7.30 बजे

मां का अकेला मंदिर, जहां बेटे नहीं बेटी को मिलता है पूजा का अधिकार

इंदौर का हरसिद्धि माता मंदिर अपने आप में खास और प्राचीन तो है ही, लेकिन यहां की एक अपनी अलग परंपरा है। यह परंपरा बेटी-दामाद को आगे बढ़ाने, उनको प्रधानता देने की है। 258 साल पुराना यह इकलौता मंदिर है, जहां पर बेटी ही पुजारी बनती है। मंदिर में फिलहाल मंदिर की 10वीं पीढ़ी की महिला पुजारी समस्त व्यवस्थाएं संभाल रही हैं।

अब इस मंदिर ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए मंदिर की भविष्य की पुजारी तैयार करना शुरू कर दिया है। पुजारी परिवार ने 11 वर्षीय बेटी आद्या और आठ वर्षीय नित्या को पूजन-पाठ सिखाना शुरू कर दिया है। दोनों बेटियों ने गणेश पूजन, ग्रहशांति सीख ली है। यजुर्वेद के लिए ऑनलाइन गुजरात से ट्रेनिंग भी ले रही हैं।​​​​​​​

दोनों बेटियों को पूजन-पाठ, वेद मंत्र सिखा रहे

मंदिर की पुजारी नमिता-सुनील शुक्ला कहती हैं, देश में यह एकमात्र मंदिर है, जहां पर बेटी पुजारी बनती है और बेटी-दामाद मंदिर की व्यवस्थाएं संभालते हैं। वे कहती हैं, अब हम दोनों बेटियों को पंडिताई सिखा रहे हैं। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्या माता ने ही करवाया था, वे बालिका शिक्षा को जोर देती थीं। उनकी प्रेरणा से ही मंदिर में बालिकाओं को शिक्षा दी जा रही है और पुजारी बनाया जा रहा है।​​​​​​​

अहिल्या माता ने करवाया था निर्माण: राजेश्वरी-राधेश्याम जोशी ने बताया, मंदिर का निर्माण 1766 में देवी अहिल्या ने कराया था। जनार्दन भट्ट को आए स्वप्न के आधार पर बावड़ी से मां की मूर्ति निकली थी।



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