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शेख हसीना का आरोप- यूनुस को आतंकियों का साथ: रोहिंग्या कॉरिडोर के बहाने सेंट मार्टिन द्वीप बेचने की साजिश हो रही


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नई दिल्ली/ढाका16 मिनट पहले

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यूनुस को आतंकियों का समर्थन प्राप्त है और वह देश की संप्रभुता को खतरे में डाल रहे हैं।

हसीना की तरफ से फेसबुक पर जारी किए गए बयान में कहा गया कि यूनुस के शासन में देश में अपराध और हिंसा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अब महिलाएं शहरों में सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और त्योहारों पर लोग गांव जाने से डरते हैं, क्योंकि आतंकियों का डर बना रहता है।

शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि यूनुस 2026 में चुनाव कराने की बात कहकर बांग्लादेश की जनता के साथ अप्रैल फूल जैसा मजाक करना चाहते हैं।

शेख हसीना पिछले साल अगस्त में हुए तख्तापलट के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई थीं।

हसीना ने यूनुस परसेंट मार्टिन द्वीप बेचने की साजिश का आरोप लगाया

हसीना ने कहा कि मोहम्मद यूनुस संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक पुराने सुझाव को लेकर रोहिंग्या कॉरिडोर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए बांग्लादेश का सेंट मार्टिन द्वीप बेचा जा सकता है और समुद्र तक देश की पहुंच खतरे में पड़ सकती है।

हसीना ने चेतावनी दी कि यह कॉरिडोर देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है और विदेशी ताकतें इसका फायदा उठा सकती हैं। सेना प्रमुख ने भी इसे खूनी कॉरिडोर बताया था और कहा था कि इस पर कोई फैसला केवल चुनी हुई सरकार ही ले सकती है।

हसीना ने दावा किया कि अगर वह अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप और बंगाल की खाड़ी सौंप देतीं, तो आज भी सत्ता में होतीं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह देश की संप्रभुता से समझौता नहीं कर सकतीं।

हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को नहीं सुलझा पा रहे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अवामी लीग के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है और यूनुस उन्हें सुरक्षा देने में विफल हैं।

बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप मांग रहा था अमेरिका

जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया था कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। वह यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है।

इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है और क्वाड का मेंबर बनने के लिए दबाव बना रहा है।

सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे।

सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिका की नजर क्यों टिकी है?

1971 में अपनी आजादी के बाद बंगाल की खाड़ी से होकर व्यापार करने वाले दुनिया के दो ताकतवर देश अमेरिका और चीन की नजर इस द्वीप पर है। अमेरिका का इस द्वीप में इंट्रेस्ट होने की दो मुख्य वजहें हो सकती हैं…

1. डिफेंस एक्सपर्ट जे.एस. सोढ़ी के मुताबिक 2023 में चीन ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में एक नया बंदरगाह बनाया है। यहां चीनी नौसैनिकों की दो सबमरीन तैनात हैं। यहां से चीन आसानी से अपने लॉजिस्टिक सप्लाई कर रहा है।

2. मलक्का स्ट्रेट से होकर चीन के ज्यादातर व्यापार होते हैं। दुनिया के कुल व्यापार का 50% बंगाल की खाड़ी से होकर दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचता है।

इन दो वजहों से संभव है कि अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए यहां बेस बनाना चाहता हो। संभव है कि साउथ चाइना सी के बाद बंगाल की खाड़ी और प्रशांत, हिंद महासागर में चीन के दबदबे को चुनौती देने के लिए अमेरिका यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता हो।

खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की BNP ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।

अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं।

सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।

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