आषाढ़ मास की पूर्णिमा से श्रावण माह का आगाज 10 जुलाई से होगा। पूर्वाषाढ नक्षत्र और ऐंद्र योग की उपस्थिति में गुरु-आदित्य योग में श्रावण मास शुरू होगा। महाकाल मंदिर में 11 जुलाई से श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से श्रावण मास की शुरुआत होगी।
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ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार, श्रावण माह में ज्योतिर्लिंग यात्रा या शिव मंदिर में पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान शिव पूजन से चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। गुरु पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन की श्रावणी पूर्णिमा तक यह माह चलेगा।
श्रावण माह में कई महत्वपूर्ण पर्व और व्रत हैं। इनमें अशून्य शयन व्रत, जया पार्वती व्रत, संकष्टी चतुर्थी, कालाष्टमी, कामदा एकादशी, हरियाली अमावस्या, नागपंचमी, कल्कि जयंती, तुलसीदास जयंती और रक्षाबंधन प्रमुख हैं।
इस माह में ग्रहों के नक्षत्र परिवर्तन भी होंगे। 13 जुलाई को शनि वक्री होंगे। 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। 20 जुलाई को राहु पूर्वाभाद्रपद और केतु पूर्वा फाल्गुनी में प्रवेश करेंगे। 26 जुलाई को शुक्र मिथुन राशि में जाएंगे। श्रावण माह का समापन 9 अगस्त को श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर बुध-आदित्य योग में होगा।
श्रावण में 7 सर्वार्थ सिद्धि व एक अमृत सिद्धि योग
12 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6:30 से रात्रि पर्यंत तक, 17 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6 से मध्य रात्रि पर्यंत तक, 21 जुलाई को सर्वार्थसिद्धि योग प्रात: 6 से रात्रि 9 बजे तक इसी दिन अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। 24 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6 से शाम 5 बजे तक, 30 जुलाई सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6 से रात 10 बजे तक, 4 अगस्त सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 6:05 से 9:15 तक, 8 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
श्रावण माह में सात सर्वार्थ सिद्धि एवं एक अमृत सिद्धि योग-दिव्य अनुष्ठान, नया कार्य, नए संकल्प, रजिस्ट्री आदि के लिए शुभ योग है।