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व्यवहार न्यायालय परिसर में मंगलवार को निःशुल्क कानूनी सहायता को लेकर आम लोगों के बीच विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम उच्च न्यायालय, पटना के निर्देश के आलोक में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह तथा अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल, विधिक सेवा प्राधिकरण बक्सर के मार्गदर्शन में हुआ। इस मौके पर पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पीएलवी प्रिय रंजन पांडेय ने लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता से जुड़ी जानकारियां दीं। पैनल अधिवक्ता ने बताया कि निःशुल्क कानूनी सहायता समाज के हाशिये पर रह रहे उन लोगों के लिए है, जो आर्थिक तंगी के कारण न्यायालय तक नहीं पहुंच सकते। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 में इसके पात्रता मानदंड स्पष्ट रूप से बताए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह सेवा प्रत्येक गरीब व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है, जो समानता, निष्पक्षता और न्यायिक सुनवाई के मूल सिद्धांतों से जुड़ा है।
कार्यक्रम के दौरान लोक अदालत की भी जानकारी दी गई। बताया गया कि लोक अदालत एक ऐसा मंच है जहाँ न्यायिक प्रक्रिया में आए बिना ही, बिना किसी खर्च के, आपसी सुलह और मध्यस्थता के जरिये मुकदमों का समाधान किया जाता है। इसमें दीवानी, फौजदारी, वैवाहिक और अन्य प्रकार के प्री-लिटिगेशन मामलों का निपटारा संभव होता है। यह सुविधा उन गरीब और असहाय लोगों के लिए है जो न्यायालयीन खर्च वहन नहीं कर सकते। ऐसे लोगों को विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निःशुल्क अधिवक्ता भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इस अवसर पर यह भी बताया गया कि समाज में आज भी गरीब और अशिक्षित वर्ग कानूनी अधिकारों और उपलब्ध विधिक सेवाओं से अनभिज्ञ हैं। जागरूकता की यह कमी कानून के प्रति विश्वास और न्याय तक पहुंच की प्रक्रिया को बाधित करती है। लोगों को लोक अदालतों और निःशुल्क विधिक सहायता जैसी पहलों की जानकारी होनी चाहिए। इसी उद्देश्य से उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पैनल अधिवक्ताओं और पीएलवी के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रहे।