नई दिल्ली स्थित फिरोज शाह रोड 14C में हाल ही में आवंटित सरकारी आवास में लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के सांसद सुखदेव भगत ने पारंपरिक आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ गृह प्रवेश अनुष्ठान संपन्न किया।
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यह अवसर इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आदिवासी सांसद ने दिल्ली के सरकारी आवास में आदिवासी परंपरा के अनुरूप गृह प्रवेश कराया है।
लोहरदगा से लेकर गए थे पाहन
सांसद सुखदेव भगत अपने गांव लोहरदगा जिला के नदिया गांव से पारंपरिक पाहन-पुजारी को विशेष रूप से दिल्ली लेकर आए थे। पाहन पुजारी ने पारंपरिक सरना धर्म के अनुसार “डंडा कट्टना” अनुष्ठान करवाकर गृह प्रवेश की रस्म अदा कराई। यह अनुष्ठान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के पहले किया जाने वाला महत्वपूर्ण रीति-रिवाज है, जो प्रकृति पूजन और पूर्वजों के आशीर्वाद की कामना के साथ किया जाता है।
परिवार के सदस्य रहे मौजूद
इस विशेष मौके पर सांसद के साथ उनकी पत्नी अनुपमा भगत, पुत्र अभिनव सिद्धार्थ एवं शाश्वत सिद्धार्थ भी उपस्थित थे। सभी ने मिलकर आदिवासी विधि से पूजा में भाग लिया और परंपरा का सम्मान करते हुए नए आवास में प्रवेश किया।
सांसद भगत का यह कदम न केवल उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आधुनिक परिवेश में भी पारंपरिक आदिवासी संस्कृति को सम्मानपूर्वक जीवित रखा जा सकता है।
सरना मां के नाम से ली थी शपथ
लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण के समय भी सुखदेव भगत ने ‘सरना मां’ के नाम से शपथ ली थी, जो उनके गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है। सांसद भगत के इस प्रयास को आदिवासी समाज के साथ-साथ व्यापक जनसमुदाय द्वारा सराहा जा रहा है। यह पहल अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है कि वे अपनी सांस्कृतिक पहचान को सहेजें और उसे गर्व से प्रस्तुत करें।