‘उन लोगों ने मेरी बेटी को इतने जोर से कार से धक्का मारा कि उसने दम तोड़ दिया। मेरी बेटी वर्दी पहने मर गई। जब तिरंगे में लिपटकर उसकी बॉडी घर आई तो ऐसा लगा कि मर कर भी मेरी बेटी सिर ऊंचा कर इस दुनिया से विदा हुई है। बेटी ने कभी दुनिया समाज में सिर नहीं
.
यह बातें कहकर महिला कॉन्स्टेबल कोमल कुमारी की मां रंजू देवी रो पड़ती है। कोमल को अटल पथ पर वाहन चेकिंग के दौरान स्कॉर्पियो ने रौंद दिया था। वह घर में अकेले कमाने वाली बेटी थी।
वहीं कोमल के पिता ने कहा कि, ‘मैं इतना अभागा हूं कि अपनी बेटी का अंतिम बार चेहरा भी नहीं देख पाया।’
छठ के दिन पैदा हुई थी कोमल
कोमल नालंदा जिले के एकंगरसराय थाना क्षेत्र के धनहर गांव की रहने वाली थी। वह पांच बहनों में चौथे नंबर पर थी। 25 वर्षीय कोमल का एक भी भाई नहीं था। कोमल चार साल पहले बिहार पुलिस में भर्ती हुई थीं।
रंजू देवी बताती है कि ‘कोमल हमारे लिए भाग्यशाली थी। वह छठ के पहली अर्घ्य को पैदा हुई थी। उसका जन्म नानी के घर में हुआ था। उसके आने से ऐसा लगा कि साक्षात छठी मैया ने दर्शन दिया है, घर में लक्ष्मी आई है।’
कोमल की मां ने हादसे वाले दिन को याद करते हुए कहा कि ‘उस दिन 2 बजे रात को अचानक कोई आकर दरवाजा खटखटाने लगा। मेरी धड़कन बढ़ गई कि आखिर इतनी रात को कोई क्यों आएगा। डर के कारण मैंने गेट नहीं खोला। उस वक्त सिर्फ मैं और मेरी तीन बेटियां घर में थी। लगातार दरवाजा पीटने पर बाहर निकली।’
कोमल के मां-पिता अपनी अन्य बेटियों के साथ।
कोमल की मां ने बताया,
दरवाजे पर खड़े पुलिसकर्मियों ने बताया कि मेरी बेटी का एक्सीडेंट हुआ है। वह अस्पताल में भर्ती है। उन्होंने कोमल के मौत की कोई सूचना नहीं दी। हमलोग 3 बजे किसी तरह गाड़ी पकड़कर पटना के लिए निकले। अस्पताल पहुंचकर देखा कि मेरी बेटी बेड पर अचेत अवस्था में पड़ी थी।
छुट्टी लेकर घर आने वाली थी कोमल
रंजू देवी ने बताया, ‘आखिरी बार कोमल एक महीने पहले घर आई थी। वह चार दिन घर पर रही। फिर जब वापस गई तो उसकी पोस्टिंग गौरी चक से श्रीकृष्णापुरी कर दी गई थी।’
‘कुछ दिन नौकरी करने के बाद कोमल ने छुट्टी के लिए अर्जी भी दी थी, ताकि वह घर आकर परिवार के साथ समय बिता सके। लेकिन, उसे छुट्टी नहीं मिली।’
रंजू देवी ने बताया,
कोमल को हमने काफी गरीबी में पढ़ाया-लिखाया। मैं उससे हमेशा कहती थी कि सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़ दो। हमलोग गरीब आदमी हैं, कहां से इतना पैसा लाएंगे कि घूस देकर नौकरी लगवाएं। लेकिन, कोमल कहती थी कि वह अपने दम पर नौकरी लेगी, उसे अपने परिवार की अच्छी जिन्दगी के लिए नौकरी करनी है। हंसी-खेल में उसने फॉर्म भरा था और पहले ही बारी में उसे नौकरी मिल गई।
छोटी बहन को डॉक्टर बनाना चाहती थी कोमल
कोमल की मां ने बताया कि ‘जब हमलोग उससे शादी की बात करते थे तो वह टाल देती थी। उसका कहना था कि पहले वह अपनी छोटी बहन को डॉक्टर बनाएगी, तभी शादी करेगी। वह अपने माता-पिता के लिए सबकुछ करके ससुराल जाना चाहती थी, ताकि हमें कोई दिक्कत न हो। यहां तक कि अपनी सभी बहन और उनके बच्चों के भविष्य को भी वह संवारने का सोच रही थी।’
बहनों की शादी का 10 लाख का कर्ज चुकाया था
रंजू देवी ने बताया कि,
कोमल ने बहनों के शादी में लिया हुआ 10 लाख का कर्ज भी चुकाया था। यहां तक कि पक्का घर भी उसी ने बनवाया था। वह कहती थी कि घर को महल के जैसा बनवाएगी। उसमें लिफ्ट लगवाएगी। छत पर झूला लगाएगी, ताकि उसकी मां रानी की तरह रहे। वह भविष्य में जमीन भी लेने का बात करती थी।
कोमल की मां ने कहा कि, ‘मुझे गर्व था कि मेरी 5 बेटियां हैं। बेटा नहीं होने का कभी मुझे अफसोस नहीं हुआ है। मैंने अपने बेटियों को घर का लाल माना है। वह मेरे लिए बेटों से भी ज्यादा अजीज है। गांव के आस-पास के लोग सब उसकी तारीफ करते थे। यहां तक बोलते थे कि बेटी सिर्फ रंजू देवी की है, जिसने अपने दम पर नौकरी ली और परिवार के लिए इतना कुछ किया।
मां समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कोमल। फाइल फोटो
बेटी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए कोमल के पिता
कोमल के पिता प्रमोद प्रसाद 27 सालों से लुधियाना में मजदूरी करते हैं। साल में वह एक महीने के लिए घर आते है। कोमल की खबर सुनकर वह रात में ही अपनी बेटी को देखने निकल गए। लेकिन, वह अपनी बेटी की आखिरी दर्शन भी नहीं कर पाए।
प्रमोद प्रसाद ने बताया कि ‘उस रात मैं लुधियाना से चंडीगढ़ ट्रेन पकड़कर आया। मेरे पास पटना आने के पैसे नहीं थे। मेरे साले ने बहुत मदद की। उसने जल्दी पहुंचने के लिए प्लेन का टिकट करवाया। किस्मत खराब थी- फ्लाइट छूट गई। मैं वहीं रोने लगा। फिर एयरपोर्ट वालों ने सहानुभूति दिखाई और 7 बजे शाम का मेरा टिकट बना दिया।’
‘पटना पहुंचा तो ऑटो लिया। ऑटोवाले ने भी बताया कि यहां भयंकर एक्सीडेंट हुआ है। मैंने कलेजे पर पत्थर रखकर बताया कि वो मेरी ही बेटी थी। उस ऑटोवाले ने फिर मुझे स्पॉट तक छोड़ा और फिर वहां से स्टेशन ले गया।’
‘जब मेरी फ्लाइट छूट गई तो मुझे लगा कि अब मैं घर नहीं पहुंच पाऊंगा, इसलिए मैंने अपने परिवार को कोमल का अंतिम संस्कार करने बोल दिया था।’
विधवा बहन की जिंदगी बनाना चाहती थी कोम
कोमल की बहन शालू के पति नहीं है। वह पांचों बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। एक्सीडेंट में पति की मौत हो गई थी। तब से वह अपने मायके में ही रहती है। कोमल अपनी बहन की अच्छी जिन्दगी बनाने की कोशिश में लगी हुई थी। कोमल ने बहन को पढ़ाया, उसे 12वीं पास करवाई। यहां तक कि होम गार्ड की नौकरी के लिए तैयारी भी करवाने लगी।
शालू ने कहा कि मैं कोमल के साथ गौरीचक में रहकर होम गार्ड की तैयारी कर रही थी। दो महीने पहले ही मैं कोमल की जिद पर उसके साथ रहने आई थी। जिस दिन यह हादसा हुआ, उस दिन मैं घर पर अकेले थी। कोमल की पोस्टिंग श्रीकृष्णापुरी थाने में हो गई थी। अपने परिवार वालों के आने के बाद मैं उन्हीं के साथ कोमल को देखने अस्पताल आई थी।
परिवार के साथ सेल्फी लेती हुई सिपाही कोमल। फाइल फोटो
चेकिंग के दौरान स्कॉर्पियो ने पुलिस वालों को धक्का मारा था
पटना में 12 जून की रात अटल पथ पर वाहन चेकिंग के दाैरान स्कॉर्पियो सवार ने 3 पुलिसकर्मियों पर गाड़ी चढ़ा दी। घटना एसके पुरी थाना इलाके में रात 12:30 बजे हुई। दीघा की ओर से 90 किलाेमीटर की रफ्तार से आ रही स्कॉर्पियो की टक्कर से SI दीपक मणि, ASI अवधेश और महिला सिपाही कोमल हवा में उछल कर दूर गिर गए थे। सभी को पास के ही अस्पताल ले जाया गया। जहां सिपाही कोमल की माैत हाे गई।
घटना की 3 तस्वीरें देखिए….
इस तरह से स्कॉर्पियो ने पुलिस वालों को उड़ाया।
स्कॉर्पियो से टक्कर के बाद सड़क पर पड़े घायल पुलिसकर्मी।
घायल पुलिस वालों को गाड़ी से अस्पताल ले जाते साथी पुलिसकर्मी।
पुलिस ने बताया कि स्कॉर्पियो में 4 लोग सवार थे। ये चारों हाजीपुर से पार्टी कर लौट रहे थे। स्कॉर्पियो में गाड़ी का मालिक निखिल समेत कुलदीप, वेद प्रकाश और राजा भी थे। इसमें से निखिल, कुलदीप और वेद प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया गया है और राजा अभी भी फरार है। सभी पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। वहीं, घायल दीपक और अवधेश का PMCH में इलाज चल रहा है।
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