स्मार्ट सिटी के खिलाफ पार्क में टहलने आने वाले लोगों ने जनहित याचिका लगाई थी।
अलीगढ़ के जवाहर पार्क में अब आमजनों से मनमाने शुल्क नहीं लिए जाएंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के लोगों की जनहित याचिका (PIL) पर फैसला सुनाते हुए स्मार्ट सिटी द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क को निरस्त कर दिया है और डीएम को उद्यान विभाग के साथ बैठक करके र
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जवाहर पार्क (नकवी पार्क) में स्मार्ट सिटी के तहत विकास काम कराए गए थे। जिसके बाद स्मार्ट सिटी ने यहां पर मनमाने तरीके से शुल्क लगा दिए थे और बुजुर्गों तक का प्रवेश बंद करा दिया था। जिसके बाद लोगों ने इसका विरोध किया था। जब प्रशासन से सुनवाई नहीं हुई तो लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर फैसला आ गया है।
स्मार्ट सिटी मई से वसूल रहा था शुल्क
जवाहर पार्क में स्मार्ट सिटी के तहत रैंप, झूले, फव्वारे समेत विभिन्न काम कराए गए थे। इस दौरान कई महीनों तक पार्क सैलानियों और मॉर्निंग वॉकर के लिए बंद रहा। जब पार्क खुला तो स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने प्रवेश का शुल्क लगा दिया, जो पहले के शुल्क से काफी ज्यादा था।
पार्क में आने के लिए लोगों से न्यूनतम 20 रुपए वसूले जाने लगे, जो सिर्फ 3 घंटे के लिए मान्य थे। वहीं सुबह शाम पार्क में टहलने आने वाले लोगों से 2000 रुपए पास के मांगे गए। पहले पार्क में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का प्रवेश फ्री था, उसने भी रुपए वसूले गए। जिसके बाद लोग कोर्ट गए थे।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने दिया फैसला
स्मार्ट सिटी के मनमाने रेट के विरोध में पार्क में घूमने आने धीरेंद्र कुमार गुप्ता व अन्य लोगों ने मिलकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) लगाई थी। जिसे 9 सितंबर को स्वीकृत कर लिया गया था। इसके बाद इसकी सुनवाई की पहली तारीख 17 सितंबर दी गई थी। जिसकी सुनवाई न्यायधीश विकास ने की थी।
लेकिन इस तिथि में स्मार्ट सिटी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ और इस मामले में नई तिथि मांगी गई। उन्हें फिर 25 सितंबर की डेट मिली, जिसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश अरुण बंसाली ने सुनवाई की। इस तिथि में भी सुनवाई न होने के कारण 4 अक्टूबर नई तिथि दी गई। 4 को भी जब स्मार्ट सिटी की ओर से कोर्इ पेश नहीं हुआ, तो मुख्य न्यायधीश ने आमजनों के हित में फैसला सुना दिया है।
स्मार्ट सिटी के रेट निरस्त, डीएम तय करेंगे शुल्क
जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि पहले पार्क में आमजनों के प्रवेश के लिए सिर्फ 5 रुपए लिए जाते थे, जो एक बार प्रवेश के लिए मान्य था। इसमें कोई समय तय नहीं था। जबकि मॉर्निंग वॉकरों के लिए 500 रुपए सालाना और पति-पत्नी के लिए 700 रुपए सालाना शुल्क था।
बुजुर्गों का प्रवेश पार्क में फ्री था। जबकि अब स्मार्ट सिटी ने मासिक रुपए वसूलने शुरू कर दिए हैं। जिससे आम नागरिकों के अधिकारों का हनन हो रहा है। जबकि रेट तय करने का अधिकार सिर्फ जिला उद्यान समिति को है, जिसक अध्यक्ष डीएम हैं। कोर्ट ने लोगों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्मार्ट सिटी के रेट निरस्त कर दिए हैं और डीएम को 3 सप्ताह में नए रेट तय करने के निर्देश दिए हैं।