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स्वास्थ्य केंद्र में खुले में फेंकी लाखों रुपयों की दवाइयां: गरियाबंद में जनपद सदस्य ने की जांच, फिर सामने आई लापरवाही, वीडियो वायरल – Gariaband News


गरियाबंद के पीएचसी में खुले फेंकी लाखों रुपयों की दवाइयां

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरमाल में अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल प्रबंधन ने खुले आसमान में लाखों की दवाइयां फेंक दी। खुले आसमान के नीचे टैबलेट और सिरप के पैकेट फेंक दिए गए हैं। बीते दो महीने से ब

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यह मामला तब सामने आया है जब जनपद सदस्य माखन कश्यप ने ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर केंद्र का निरीक्षण किया। जहां उन्होंने देखा कि खुले आसमान में बड़ी मात्रा में दवाएं पड़ी हुई हैं। जिसका उन्होंने वीडियो बना लिया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल ​होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

दरअसल, यह मामला उरमाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाखों रुपये की दवाएं खुले में पड़ी हुई है। जनपद सदस्य माखन कश्यप ने ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर केंद्र का निरीक्षण किया, जिसमें बड़ी मात्रा में दवाएं में पड़ी मिली।

खुले आसमान में पड़ी हैं दवाएं

निरीक्षण के दौरान, केंद्र से सटे आयुर्वेदिक अस्पताल के बरामदे में 50 से अधिक सीलबंद और 20 से ज्यादा खुले कार्टून में दवाओं का भंडार पाया गया। इनमें फ्लू और पीलिया के इलाज में दी जाने वाली दवाएं भी हैं। इसके अलावा सिरप, कैनुला और ग्लव्स जैसी सामग्री भी बिना किसी सुरक्षित व्यवस्था के रखी गई।

जनपद सदस्य ने इसे “CGMSC घोटाला पार्ट 2” बताया

माखन कश्यप ने इस पूरे मामले का वीडियो बनाकर संबंधित अधिकारियों को भेजा और सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) की ओर से बिना मांग के दवाएं खपाने और इसे खुले में रखने का है। इसे उन्होंने “CGMSC घोटाला पार्ट 2” बताया है।

साफ-सफाई की वजह से दवाएं खुले में रखी गई थी

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सनत कुंभकार ने कहा कि अस्पताल में राष्ट्रीय गुणवत्ता आकलन (NQAS) के तहत अस्पताल परिसर की साफ-सफाई की जा रही है। इसी कारण से आयुर्वेदिक अस्पताल में दवाएं अस्थाई रूप से लिखित सहमति के साथ रखी गई है। उन्होंने यह भी माना कि बारिश के कारण कुछ दवाएं भीग गई हैं।

जनपद सदस्य कश्यप का कहना है कि जिले के अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी इसी तरह बिना मांग के दवाएं भेजी गई हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये तक हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अनियमितता में जिला व ब्लॉक स्तर के अधिकारी शामिल हो सकते हैं।



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