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हरियाणा में दो फर्जी अस्पतालों पर FIR: रोजाना 140 से ज्यादा मरीज आते थे; OPD के नाम पर होती थी हजारों की वसूली – Panipat News


पानीपत के एसके क्लीनिक के बाहर खड़ी जांच टीमें।

हरियाणा के पानीपत में पकड़े गए दो फर्जी अस्पतालों के मामले में खुलासा हुआ है। CM फ्लाइंग और हेल्थ डिपार्टमेंट की संयुक्त रेड में सामने आया कि जाटल रोड स्थित SK क्लीनिक और देशवाल चौक स्थित देव EH क्लीनिक बिना रजिस्ट्रेशन के कई महीनों से चल रहे थे।

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इन दोनों अस्पतालों में रोजाना 70 से 80 मरीज इलाज के लिए आते थे। मरीजों से 100 रुपए की पर्ची फीस ली जाती थी। यानी ये फर्जी अस्पताल सिर्फ ओपीडी फीस के नाम पर रोज हजारों रुपए वसूल रहे थे।

मंगलवार को हुई रेड के दौरान इन अस्पतालों से फर्जी डॉक्टर और स्टाफ पकड़े गए। जांच के बाद दोनों क्लीनिक मालिकों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।

अस्पताल में कागजों की जांच करते हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारी।

अब पढ़ें की दोनों अस्पतालों से टीम को क्या मिला

1- E.H. अस्पताल और मेडिकल इंस्टिट्यूट…

  • कई विभागों की टीम ने मिलकर की छापेमारी: पानीपत के देशवाल चौक स्थित देव E.H. अस्पताल और मेडिकल इंस्टिट्यूट के पास मंगलवार दोपहर 2 बजे CM फ्लाइंग की टीम पहुंची। औचक निरीक्षण करने पहुंची सीएम फ्लाइंग के साथ इस दौरान स्वास्थ्य विभाग, जिला आयुष अधिकारी, औषधि नियंत्रण अधिकारी, प्रदूषण विभाग और श्रम विभाग की टीम भी शामिल रही।
  • कहने को अस्पताल, लेकिन डॉक्टर के पास डिग्री ही नहीं: क्लीनिक के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा था कि यहां बच्चों से लेकर बड़ों तक का इलाज होता है। लेकिन जब टीम यहां पहुंची तो पता चला कि जो डॉक्टर इलाज कर रहा है, उसके पास ही कोई मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है। मौके पर क्लिनिक मालिक देवेंद्र कुमार खुद मरीजों का इलाज करता मिला। करीब 10-12 मरीज वेटिंग रूम में इलाज का इंतजार कर रहे थे, जबकि दो मरीजों को भर्ती किया गया था और उनका इलाज चल रहा था।

अस्पताल के बाहर लगा बोर्ड, जिस पर बीमारियों का इलाज करने का दावा किया गया है। साथ ही अस्पताल से एसोसिएट डॉक्टरों के नाम भी लिखे हैं।

  • दिखाया इलेक्ट्रोपैथी का सर्टिफिकेट, लेकिन वो भी फर्जी : टीम ने जब इलाज करने की डिग्री मांगी तो देवेंद्र कुमार ने इलेक्ट्रोपैथी मेडिसन काउंसिल, पंचकूला से जारी सर्टिफिकेट पेश किया। जांच में यह सर्टिफिकेट आयुष विभाग से संबंधित नहीं पाया गया और न ही उसके पास कोई मान्य एलोपैथिक या आयुष डिग्री पाई गई। स्वास्थ्य विभाग ने मौके से एलोपैथिक दवाएं और उपकरण जब्त कर स्थानीय पुलिस को सौंप दिए। वहीं, दोनों भर्ती मरीजों को इलाज के लिए सिविल अस्पताल भेजा गया। पुराना औद्योगिक थाना पुलिस ने अस्पताल मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
  • अस्पताल में मेडिकल इंस्टीट्यूट भी चल रहा: टीम की जांच में सामने आया कि देव E.H. क्लीनिक को मेडिकल इंस्टीट्यूट के रूप में भी चलाया जा रहा था। यहां बीईएमएस, बीएएमएस, एमडी EH समेत अलग-अलग कोर्सेज में बच्चों को दाखिला दिया जा रहा था। 50 गज से भी कम जगह में चल रहे इस अस्पताल में ही इंस्टीट्यूट संचालित था, जिसमें भारी भरकम फीस लेकर बच्चों को एडमिशन दिया जाता था।

अस्पताल में मिली दवाइयों को जब्त कर लिया गया है। इनकी लैब की भी जांच की जाएगी।

2- एसके क्लीनिक

  • डॉक्टर की सीट पर मिला बिना डिग्री वाला शख्स: आठ मरला चौक पर स्थित एसके क्लिनिक का औचक निरीक्षण भी मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे ही किया गया। जांच टीम जब मौके पर पहुंची तो डॉक्टर की सीट पर साबिर अली बैठा मिला। टीम ने जब साबिर अली से मेडिकल प्रैक्टिस से संबंधित डिग्री या कोई दस्तावेज मांगा, तो वह कोई भी वैध डॉक्यूमेंट नहीं दिखा सका।
  • बेटी के नाम पर चल रहा था क्लिनिक: क्लिनिक के बाहर बोर्ड पर “डॉ. काजल BAMS” लिखा हुआ था। जब टीम ने डॉ. काजल को बुलाने के लिए कहा तो साबिर अली ने बताया कि काजल उसकी बेटी है, जिसकी शादी नवंबर 2024 में हो चुकी है और वह अब यहां नहीं है। इसका मतलब साफ था कि बिना किसी योग्य डॉक्टर के क्लिनिक चलाया जा रहा था।
  • मॉडल टाउन थाने में दर्ज हुआ केस: बिना डिग्री व लाइसेंस के क्लिनिक चलाने पर साबिर अली के खिलाफ मॉडल टाउन थाना में केस दर्ज कर लिया गया है। प्रदूषण विभाग ने मौके पर बायो मेडिकल वेस्ट की स्थिति का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट भरी है, जिसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।

SK क्लीनिक के मालिक साहिल ने कहा कि रेड के दौरान कोई पेशेंट नहीं था।

क्लीनिक मालिक ने क्या कहा, 3 पॉइंट में जानिए

  • क्लीनिक में पहले पापा करते थे प्रेक्टिस: SK क्लीनिक के मालिक साहिल ने कहा कि मेरे पापा बहुत पहले प्रेक्टिस करते थे, लेकिन जब से मेरी रजिस्ट्रेशन हुई है, तब से मैं ही प्रेक्टिस कर रहा हूं। मैं पंचकूला से रजिस्टर्ड हूं।
  • रेड के दौरान कोई पेशेंट नहीं था: साहिल ने बताया कि लंच टाइम में मैं आज घर गया था तो पापा क्लीनिक में बैठे हुए थे। इसी दौरान टीम वहां पर पहुंच गई। टीम को लगा की मेरे पापा ही प्रेक्टिस कर रहे हैं। इस दौरान वहां पर कोई पेशेंट भी नहीं था, हालांकि अफवाह फैलाई जा रही है कि इस दौरान बहुत सारे पेशेंट थे।
  • बहन भी प्रेक्टिस करती थी, उसकी शादी हो गई: साहिल ने बताया कि मेरे पिता के पास भी डिग्री थी, लेकिन उन्होंने उसे रिन्यू नहीं करवाया। पापा ने बैठना बंद कर दिया तो मेरी बहन बैठने लगी, वो भी पंचकूला से रजिस्टर्ड थी। पिछले साल नवंबर में बहन की शादी हो गई तो अब मैं ही बैठता हूं। टीम ने भी कह दिया है कि मैं प्रेक्टिस कर सकता हूं।

अस्पताल में मिली दवाइयों और अन्य दस्तावेजों की जांच करती टीम।

DSP बोले- शिकायत मिलने पर रेड की इस बारे में सीएम फ्लाइंग के DSP सुशील कुमार ने बताया कि दोनों अस्पतालों पर सूचना एवं शिकायत के आधार पर रेड की गई। इन दोनों अस्पतालों के बारे में सूचना थी कि इनको चलाने वालों के पास फर्जी डिग्रियां हैं और वो खुद को डॉक्टर बताते हैं। रेड में लोगों से मिली शिकायत सही पाई गई।

DSP ने बताया कि दोनों ही जगह पर फर्जी डिग्रियों वाले डॉक्टर लोगों का इलाज कर रहे थे। जिस वक्त टीम ने रेड की तब काफी संख्या में मरीज यहां इलाज करवा रहे थे। उन्हें रेड के बाद यहां से दूसरे अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए भेज दिया गया था।

इन किन धाराओं में हुआ केस दर्ज डीएसपी हेडक्वार्टर सतीश वत्स के अनुसार दोनों ही अस्पतालों के मालिकों पर केस दर्ज कर लिया गया है, दोनों के हि खिलाफ धारा 34 NMC ACT 18(A), 18(C) ड्रग एक्ट और 318(4) बीएनएस के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।



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