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हर महीने खत्म हो जाती है सैलरी? ये छोटा-सा वास्तु दोष बहा सकता है आपकी कमाई, तुरंत करें ये बदलाव


Kaise Roken Kharche : हर इंसान की ज़िंदगी में खर्चे होते हैं. कुछ ज़रूरी, तो कुछ ऐसे जिनका कोई मतलब नहीं होता. कई बार हम जितना भी कमा लें, फिर भी महीने के आखिरी में जेब खाली रह जाती है. इस स्थिति को लोग अक्सर आम समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह स्थिति किसी गहरे कारण की तरफ इशारा कर सकती है. हो सकता है कि आपके घर में ही कोई ऐसी दिशा हो, जहां छोटा-सा वास्तु दोष मौजूद हो और वही आपकी मेहनत की कमाई को बहा रहा हो. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं इंदौर निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.

साउथ-साउथ वेस्ट दिशा और खर्चे का कनेक्शन
वास्तु शास्त्र में हर दिशा का अपना महत्व होता है. साउथ-साउथ वेस्ट यानी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम को खर्चों की दिशा माना गया है. यह दिशा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के बीच की मानी जाती है. यदि इस हिस्से में कोई ऐसी चीज़ रख दी जाए जो इस दिशा के लिए सही न हो, तो उसका असर सीधा आपके पैसों पर पड़ता है.
किन चीज़ों से बनता है खर्चों का वास्तु दोष?
अगर आपके घर के साउथ-साउथ वेस्ट हिस्से में हरे रंग का कोई सामान जैसे पौधा, पौधों वाला वॉलपेपर या हरे रंग का शो-पीस रखा हुआ है, तो यह एक गंभीर वास्तु दोष की स्थिति पैदा कर सकता है. यह दिशा पृथ्वी तत्व से जुड़ी होती है, जबकि हरा रंग और पौधे वायु तत्व से संबंधित माने जाते हैं. जब वायु तत्व पृथ्वी तत्व पर हावी होता है, तो आर्थिक स्थिरता में कमी आने लगती है और फिजूल खर्चे बढ़ जाते हैं.

किन चीज़ों को हटाना चाहिए?
1. अगर इस दिशा में कोई ग्रीन प्लांट है, तो तुरंत हटा दें.
2. पौधों वाले वॉलपेपर या शो-पीस भी यहां न रखें.
3. कोई जरूरी कागज़ात, पैसा या अन्य कीमती चीज़ें यहां स्टोर न करें.

क्या करें ताकि खर्चे कम हों?
1. इस दिशा को खाली और साफ रखें.
2. दीवारों पर सिंपल क्रीम या ऑफ व्हाइट कलर करवाएं.
3. चाहें तो वहां कोई भारी लकड़ी का फर्नीचर रख सकते हैं, क्योंकि पृथ्वी तत्व को मजबूत करना इस दिशा के लिए फायदेमंद होता है.

नतीजा क्या मिलेगा?
जब आप साउथ-साउथ वेस्ट दिशा को वास्तु के अनुसार ठीक कर लेंगे, तो आपके खर्चों में धीरे-धीरे कमी आने लगेगी. फिजूल की जगह समझदारी से खर्च होगा और घर में आर्थिक स्थिरता लौटने लगेगी. कई बार लोग यह समझ ही नहीं पाते कि उनकी मेहनत की कमाई आखिर जा कहां रही है, ऐसे में यह छोटा-सा बदलाव बड़ी राहत दे सकता है.



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