घर की बीमारियां और नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुओं को मिट्टी के हांडी में भरा जाता है। फिर इसे गांव की सीमा से बाहर फेंक दिया जाता है।
पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा जिले में आदिवासी समुदाय होली से पहले एक विशेष परंपरा निभाता है। इस परंपरा में गांव के लोग बीमारियों को दूर करने के लिए घरों का कूड़ा-कचरा इकट्ठा करते हैं।
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गोईलकेरा क्षेत्र के ग्रामीण सन्नी लकड़ा के अनुसार, होलिका दहन के दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है। घर की बीमारियां और नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुओं को मिट्टी के हांडी में भरा जाता है। फिर इसे गांव की सीमा से बाहर फेंक दिया जाता है।
बच्चे, बड़े और बुजुर्ग भी हिस्सा लेते हैं
इस परंपरा में आसपास के गांवों के बच्चे, बड़े और बुजुर्ग भी हिस्सा लेते हैं। कूड़ा फेंकने की रस्म के बाद महिलाएं घरों में होलिका दहन करती हैं। पुरुष सरना स्थल जाहेर थान पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
यह प्राचीन परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। आदिवासी समुदाय की मान्यता है कि इस तरह कूड़ा फेंकने से गांव से रोग और बीमारियां दूर हो जाती हैं। आज भी आदिवासी समाज इस परंपरा का पालन पूरी श्रद्धा से करता है।