मुलताई के चंद्रशेखर कहाडे पर इनकम टैक्स विभाग ने 314 करोड़ की रिकवरी निकाली है।
बैतूल जिले के मुलताई में इनकम टैक्स विभाग ने 314 करोड़ की रिकवरी निकाली। नोटिस के बाद वह शख्स चर्चा में तो आ गया, लेकिन उसकी जिंदगी बदल गई। पत्नी की तबीयत बिगड़ गई। खुद भी मानसिक रूप से परेशान है। इनकम टैक्स विभाग के चक्कर काटने में पैसा और समय बर्बाद
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तारीख- 4 अप्रैल 2025
जगह- नगर पालिका, मुलताई
समय– दोपहर के करीब ढाई बजे
नगर पालिका के सीएमओ जीआर देशमुख लंच के बाद थोड़ा रेस्ट के मूड में हैं। तभी, ऑफिस बॉय तेजी से उनके पास आता है। दो पेज की चिट्ठी देते हुए कहता है, ‘बड़े बाबू ने इसे अभी पढ़ने बोला है।’
देशमुख अनमने मन से चिट्ठी पढ़ते हुए कुर्सी से उठते हैं। कर्मचारियों के कॉमन रूम में जाकर कहते हैं, नागपुर से इनकम टैक्स का 314 करोड़ की वसूली नोटिस आया है, ये चंद्रशेखर कौन है? कितने की संपत्ति का मालिक है, ढूंढो इसे। पूरी संपत्ति कुर्क करने आदेश निकालो। कल, सुबह तक ये काम हो जाना चाहिए।
थोड़ी ही देर में खबर लीक हो गई। इधर, नगर पालिका के पार्षद से लेकर सारे कर्मचारी मुलताई में चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड नाम के शख्स को नहीं खोज पाए।
ये खबर दैनिक भास्कर में भी प्रकाशित हुई। चंद्रशेखर ने जब इसे पढ़ा तो किसी तरह पहले उन्होंने भास्कर के ऑफिस और फिर मुलताई में रिपोर्टर राकेश अग्रवाल को कॉल किया। कहा- वे चंद्रशेखर कोहाड बोल रहे हैं, इस समय नागपुर में हैं। 6 अप्रैल की सुबह मुलताई आऊंगा। आपसे मिलना है।
(इस बातचीत के बाद 6 अप्रैल की दोपहर दोनों के बीच मुलताई की ड्रीम लैंड सिटी में मिलना तय हुआ।)
चंद्रशेखर कोहाड से दैनिक भास्कर ने ड्रीम लैंड सिटी में मुलाकात की।
तारीख – 6 अप्रैल 2025
समय- दोपहर के 12:30 बजे
मैं इस वक्त मुलताई की ड्रीम लैंड सिटी में हूं। यहां मुझे उस शख्स से मिलना है, जिससे इनकम टैक्स विभाग को 314 करोड़ रुपए वसूलना है। मुलताई नगर पालिका का हर नेता और कर्मचारी जिसकी तलाश सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि उन्हें वसूली के लिए उसकी संपत्ति कुर्क करनी है।
कॉलोनी में पहुंचते ही चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड को फोन लगाया। उन्होंने मकान नंबर बता दिया। उनके घर की ओर जाते हुए सोच रहा था कि आलीशन महल जैसा घर होगा। घर के सामने सिक्योरिटी होगी। कई महंगी कारें खड़ी होंगी।
लेकिन, चंद्रशेखर के बताए मकान के सामने जब पहुंचा, तो ऐसा कुछ भी नहीं था। सोचा, कहीं मुझे गुमराह तो नहीं कर दिया। एक बार फिर फोन लगाया। पूछा- आप कहां है? दूसरी तरफ से आवाज आई, रुकिए आ रहा हूं।
इतने में जिस बिना प्लास्टर वाले मकान के सामने खड़ा था, उसके पार्टीशन का दरवाजा खुला। तौलिया लपेटे और मैली सी सेंडो बनियान पहने मजदूर से लग रहे उस शख्स ने कहा, आ जाइए मैं ही चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड हूं। मेरे ही नाम से 314 करोड़ रुपए का नोटिस आया है। एक बार पहले भी मिल चुका है।
घर के अंदर उदासी का माहौल है। ऐसा लगता है कि कई दिन से घर के फर्श की सफाई तक नहीं हुई है। सामान-खाने-पीने के बर्तन इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। बाहर के कमरे से अंदर के कमरे में एक महिला सोती नजर आ रही है।
इतने में चंद्रशेखर कहते हैं, ये मेरी पत्नी हैं, बीमार रहती हैं। जब से नोटिस आया है, तब से तबीयत और ज्यादा खराब हो गई है। वर्षों से उसका नागपुर में इलाज चल रहा है। हम यहां रहने जरूर आ गए हैं, लेकिन इलाज तो नागपुर से ही चल रहा है। हर महीने इसे लेकर जाता हूं। दोनों बच्चे फिलहाल बाहर गए हैं।
मैं चंद्रशेखर से बैठकर बात करना चाहता था, लेकिन उनके घर में कुर्सी तक नहीं थी। शायद वे मेरे मन की बात समझ गए। कुछ कहता, इससे पहले ही वे बोल पड़े- चलिए बाहर सीढ़ियों पर बैठकर बात करते हैं। हम बाहर आ गए।
चंद्रशेखर कोहाड को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से यह नोटिस मिला था।
अब आगे की कहानी चंद्रशेखर की जुबानी बहुत गरीबी देखी है। जब से होश संभाला, मेहनत मजदूरी ही कर रहा हूं। काम करते-करते मिस्त्री बन गया। आठ-दस साल पहले मकान बनाने के काम के छोटे-छोटे ठेके लेना शुरू किए। एक तरह से इसे दिहाड़ी ठेकेदारी भी कह सकते हैं। हमें कोई सीधे काम नहीं देता। मकान बनाने वाले बड़े ठेकेदार ही मुझे काम दे देते हैं।
मुझे नहीं पता, ये सब मेरे साथ क्या हो रहा है। लेकिन, इतना तो जानता ही हूं कि हो कुछ बड़ा रहा है। जिंदगी बद से बदतर होती जा रही है। जब से नोटिस मिला है, बीमार पत्नी की हालत और ज्यादा खराब हो गई है। ऐसा नहीं है कि मैं किसी से छिपता-छिपाता नागपुर से मुलताई आया हूं।
दो साल पहले भी ये नोटिस मिला था। उसके बाद में नागपुर में इनकम टैक्स विभाग के ऑफिस गया था। वहां आवेदन देकर आया था। मेरे साथ नागपुर में धोखाधड़ी हुई है। मैं अकेला नहीं, जिसके साथ ऐसा हुआ है। मेरे साथ के 16 लोग भी इसी तरह की परेशानी झेल रहे हैं। वे सब नागपुर में ही हैं।
मैंने पूछा, तो ये सब क्या है? चंद्रशेखर कहते हैं, 4 साल पहले नागपुर में पेटी ठेकेदारी और दूध का काम करता था। रोजाना करीब 200 से 300 रुपए बचत होती थी। इसलिए बचत के इरादे से वहां श्रीनाथ मंगलम नाम की बैंक में खाता खुलवा लिया। बैंक का एजेंट रोजाना आकर पैसे ले जाता था। फॉर्म भरवाते समय मोबाइल नंबर भी दिया था, लेकिन मोबाइल नंबर को खाते से लिंक ही नहीं किया, इसलिए मेरे पास मैसेज नहीं आए। पासबुक भी वह खुद अपने पास रखता था। वह सिर्फ डायरी में सिग्नेचर करवा लेता था। इसलिए मेरे और साथियों के साथ बैंक मैनेजर ने ही धोखेबाजी की है।
इनकम टैक्स वाले कहते हैं कि अकाउंट से अरबों रुपए का लेनदेन हुआ है। उसी का टैक्स उन्होंने 314 करोड़ रुपए निकाला है। पिछले साल दिसंबर में नोटिस मिला था। दूसरी बार अब मिला है। मेरे खाते से 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लेनदेन हुआ है।
बाकी साथियों को भी ऐसा ही नोटिस मिला था। नोटिस देखकर मेरी तो हालत खराब हो गई थी। तीन दिन तक लोगों के पास लेकर घूमता रहा कि आखिर ये है क्या और मुझे कहीं गलती से तो किसी और का कागज नहीं दे दिया गया।
जब पता चला कि मेरे साथ के 16 लोगों को भी नोटिस मिला है, तो सब लोग एक साथ नागपुर में इनकम टैक्स के ऑफिस गए थे। वहां आवेदन दिया था। उस पर अपना मुलताई का पता भी लिखा था, इसलिए इस बार नोटिस पर पता तो नागपुर का लिखा है, लेकिन उन्होंने इसे भेज मुलताई की नगर पालिका दिया।
अब नगर पालिका वाले मुलताई में मेरी संपत्ति तलाश रहे हैं। मेरे पास है ही क्या। ये आप जो मकान देख रहे हैं न, किराए का है। दो हजार रुपए महीने के किराए पर लिया है। शहर से बहुत दूर है, इसलिए सस्ता मिल गया। रोज कमाकर खाने वाला हूं, मेरे पास संपत्ती कहां से आई।
काम की तलाश में नागपुर छोड़ दिया। लेकिन, ये नोटिस मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा। यहां भी आ गया। अगर इतनी बड़ी रकम से मेरा कुछ लेना-देना होता, तो क्या मैं आपको फोन करता। बताइए न साब… आप तो पढ़े-लिखे हैं।
मेरे सिर हिलाते ही चंद्रशेखर कहने लगे, हम लोगों ने कोर्ट में भी केस किया है। कोर्ट ने बैंक मैनेजर के खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया है। उस पर कोर्ट कार्यवाही कर रहा है।
आप तो देख ही चुके हैं पत्नी…. बीमार है, उसे थोड़ा आराम मिल जाए, बस इसका इतंजार कर रहा हूं। एक-दो दिन बाद फिर नागपुर जाकर इनकम टैक्स के अफसरों को सारी बात बताऊंगा। मुझे नहीं पता मेरे खाते में इतना पैसा कहां से आया और किसने निकाल लिया। मानसिक तौर पर बहुत थक चुका हूं। दिन-रात ये चिंता खाए जा रही है कि यह मामला कैसे निपटेगा।
मुलताई के इसी अंबेडकर नगर में चंद्रशेखर रहते थे।
चंद्रशेखर कहते हैं कि पहले जब नोटिस मिला था तो इतना हो-हल्ला नहीं हुआ था। लेकिन, इस बार तो नोटिस की बात मीडिया में आ गया। उनके रिश्तेदारों को भी पता चल गया। दैनिक भास्कर में जब खबर आई तो रिश्तेदारों ने उन्हें बताया। अब जब सबको सबकुछ पता चल ही गया है तो क्या कर सकता हूं।
मैंने कोई गलत काम थोड़े ही किया है। मेरे नाते-रिश्तेदारों को मेरे ऊपर भरोसा है। मेरा पूरा खानदान मेरे साथ है। सब हिम्मत दे रहे हैं, दमदारी से इस मामले यानी बुरे वक्त से डटकर मुकाबला करो।
यहां की नगर पालिका वाले कह रहे हैं कि मेरा यहां कुछ नहीं है। मेरा नाम तक यहां की मतदाता सूची में नहीं है। सब गलत कह रहे हैं। मैं और मेरा परिवार मुलताई में दो बार मतदान कर चुका हूं। एक बार नगर पालिका चुनाव में और दूसरी बार विधानसभा के चुनाव में।
नगर पालिका के रिकॉर्ड में कोई चंद्रशेखर नहीं महाराष्ट्र आयकर विभाग का नोटिस मिलने के बाद मुलताई नगर पालिका के अधिकारी हरकत में आए। उन्होंने आयकर विभाग द्वारा बताए गए अंबेडकर वार्ड निवासी चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड को तलाश किया। आयकर विभाग ने नगर पालिका से कोहाड की अचल संपत्तियों की जानकारी मांगी थी।
नगर पालिका सीएमओ जीआर देशमुख ने बताया कि जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। उनके नाम से न तो संपत्ति कर मांग पंजी में कोई एंट्री मिली और न ही नामांतरण शाखा में कोई रिकॉर्ड मिला।
नगर पालिका ने आयकर विभाग को स्पष्ट कर दिया है कि चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड के नाम पर उनके यहां संपत्ति दर्ज नहीं है। जीआर देशमुख ने बताया कि इस नाम के व्यक्ति का नगर पालिका में रिकॉर्ड नहीं है। वहीं, मतदाता सूची में भी इस नाम का व्यक्ति नहीं है।
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जिसका नाम-पता नहीं, IT ने भेजा 300 करोड़ का नोटिस
बैतूल जिले के मुलताई में एक अजीब मामला सामने आया है। महाराष्ट्र आयकर विभाग ने मुलताई के अंबेडकर वार्ड के निवासी चंद्रशेखर पंडितराव कोहाड को 300 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली का नोटिस जारी किया है। इस नाम का कोई भी व्यक्ति अंबेडकर वार्ड में नहीं रहता है। पढ़ें पूरी खबर