32 मिनट पहले
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भारतीय मूल की अमेरिकन एस्ट्रोनॉट सुनीता विलिम्स बुधवार, 19 मार्च को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती पर वापसी करेंगी। दरअसल, इलॉन मस्क की कंपनी SpaceX का स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन करीब 28 घंटे बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गया है।
सुनीता और उनके साथ गए एस्ट्रोनॉट निक हेग, अलेक्सांद्र गोरबुनोव और बुच विलमोर 9 महीने से ISS पर फंसे हैं। उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसकी वजह से उनकी वापसी तय समय पर नहीं हो पाई थी।
अमेरिकन नेवी में करियर की शुरुआत की
1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद अमेरिकन नेवी में शामिल हुईं। नौसेना में उन्हें हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में ट्रेनिंग दी गई। फिर उन्होंने पर्सियन गल्फ यानी फारस की खाड़ी और अन्य मिशनों में बतौर हेलीकॉप्टर पायलट सेवाएं दीं।
सुनीता विलियम्स कॉम्बैट स्क्वाड्रन-8 (HC-8) के हेलिकॉप्टर की पायलट बनीं।
साल 1993 से 1994 उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स नेवल टेस्ट पायलट स्कूल में भेजा गया। यहां उन्होंने एडवांस एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टरों की टेस्टिंग की। टेस्ट पायलट बनना NASA में जाने का एक महत्वपूर्ण कदम था। क्योंकि NASA अक्सर ऐसे लोगों को चुनता है जो एडवांस एयरक्राफ्ट को टेस्ट करने में माहिर होते हैं।
टेस्ट पायलट में एक्सपीरियंस के चलते NASA में सिलेक्ट हुई
1998 में जब नासा ने नए एस्ट्रोनॉट्स यानी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एप्लिकेशन मांगे, तो सुनीता विलियम्स ने भी अप्लाई किया। उनके बेहतह एकेडमिक रिकॉर्ड, नौसेना में बेहतरीन सेवा और टेस्ट पायलट के रूप में एक्सपरीयंस्ड होना उन्हें इस चयन प्रक्रिया में आगे बढ़ाया।
साल 1998 में NASA ने सुनीता विलियम्स को आधिकारिक रूप से अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में शामिल किया।
हजारों एप्लिकेंट्स में से NASA सिर्फ कुछ ही लोगों का सिलेक्शन करता है। सुनीता को कई मेंटल, फिजिकल और साइंटिफिक टेस्ट से गुजरना पड़ा। फिर इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट हुआ। इसके बाद, उन्हें 1998 में आधिकारिक रूप से NASA के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया।
2006 में पहली बार अंतरिक्ष की यात्रा की
एस्ट्रोनॉट्स प्रोग्राम में शामिल करने के बाद सुनीता को स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन्स, रोबोटिक्स, स्पेसवॉक (EVA) और साइंटिफिक रिसर्च का गहन प्रशिक्षण दिया गया। फिर उन्हें रूसी ‘सोयुज’ स्पेसक्राफ्ट और ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)’ के मॉड्यूल्स की भी ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद, पानी के भीतर जीरो ग्रैविटी स्पेसवॉक ट्रेनिंग, जंगल में सर्वाइवल ट्रेनिंग और साइंटिफिक रिसर्च की भी ट्रेनिंग दी गई।
सुनीता विलियम्स ने साल 2006 में पहली बार अंतरिक्ष की यात्रा की।
आखिरकार, 9 दिसंबर, 2006 को STS-116 मिशन के तहत सुनीता विलियम्स ने पहली बार अंतरिक्ष की यात्रा की। इस मिशन में उन्होंने 192 दिन अंतरिक्ष में बिताए और कई स्पेसवॉक किए।
NASA के चंद्रमा मिशन के लिए भी सिलेक्टेड
2021 में उन्हें Boeing Starliner Crew Flight Test मिशन के लिए चुना गया। NASA के ‘आर्टेमिस मिशन (चंद्रमा मिशन)’ के तहत चंद्रमा पर जाने वाले संभावित अंतरिक्ष यात्रियों में भी उनका नाम शामिल है। वे नासा के नए ‘ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट-2 (OFT-2) मिशन’ का हिस्सा हो सकती हैं।
सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या (दाएं) मूल रूप से गुजरात के मेहसाणा जिले थे और पेशे से एक न्यूरोसाइंटिस्ट थे।
‘पद्म भूषण’ से सम्मानित हैं सुनीता विलियम्स
- 2008 में भारत सरकार ने ‘साइंस एंड इंजीनियरिंग’ क्षेत्र में योगदान के लिए देश के तीसरे सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।
- 2007 में सिख समुदाय ने ‘श्री साहिब’ उपाधि से सम्मानित किया।
- 2012 में रूस ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशनों में योगदान के लिए ‘ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप’ सम्मान दिया।
- 2007 में गुजरात सरकार ने ‘गुजरात गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
- 2008 में IIT कानपुर ने ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
सुनीता के पति माइकल जे. विलियम्स भी नौसेना अधिकारी हैं।
सुनीता विलियम्स ने माइकल जे. विलियम्स से शादी की है। माइकल एक फाइटर पायलट और अमेरिकी नौसेना अधिकारी हैं। दोनों की शादी 1990 के दशक में हुई थी, जब सुनीता नौसेना में सेवा कर रही थीं।
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