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Bollywood Casting Couch Story; Sexual Assault | Filmmakers Rape Case | लाइट्स, कैमरा…शोषण!: बॉलीवुड के पीछे छिपा कास्टिंग काउच का काला सच; न लड़कियां सुरक्षित न लड़के, एक साल में 50 फिल्ममेकर्स पर रेप के आरोप


21 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी/वीरेंद्र मिश्र

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कास्टिंग काउच एक ऐसा घिनौना कृत्य है जो वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री को कलंकित कर रहा है। आखिर इसके पीछे सच्चाई क्या है? यह मजबूरी है या समझौता। फिल्म इंडस्ट्री में लड़कियों के साथ-साथ लड़के भी कास्टिंग भी कास्टिंग काउच का शिकार होते हैं। पिछले साल 50 फिल्ममेकर्स पर रेप के आरोप लगे। इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है? कास्टिंग काउच का खेल खेलने वाली मनोदशा और विक्टिम की क्या पीड़ा होती है। इस पर लीगल एक्शन क्या लिए जा सकते हैं और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी संस्थाएं इसे रोकने के लिए क्या कर रही हैं?

आज की इस खास स्टोरी में एक्ट्रेस रोजलीन खान, मॉडल संचिता सरकार, मॉडल-एक्टर स्पर्श शर्मा, डायरेक्टर शमास नवाब सिद्दीकी, साइकेट्रिस्ट डॉ. सैयदा रुखशेदा, लॉयर काशिफ अली खान देशमुख और धड़क कामगार यूनियन के संस्थापक और अध्यक्ष अभिजीत राणे से सिलसिलेवार तरीके से जानने की कोशिश करेंगे।

क्या होता है कास्टिंग काउच?

कास्टिंग काउच उस अनैतिक और गैर कानूनी व्यवहार को कहते हैं, जिसमें किसी को काम देने के बदले शारीरिक संबंध बनाने की मांग की जाती है। बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन यह किसी भी फील्ड में होता है।

कास्टिंग काउच के शाब्दिक अर्थ को समझें तो काउच का मतलब सोफा होता है। यह प्रोड्यूसर डायरेक्टर के ऑफिस में रखे सोफे की तरफ इशारा करता है। जहां एक्टर्स के इंटरव्यू होते हैं। कास्टिंग का मतलब होता है किसी को फिल्म का हिस्सा बनाना अथवा उसे फिल्म में कास्ट करना। धीरे-धीरे कास्टिंग काउच का मतलब काम देने के बदले कॉम्प्रोमाइज पर आकर टिक गया।

कब से शुरू हुआ कास्टिंग काउच का चलन

कास्टिंग काउच शब्द का चलन पहली बार 1930 के दशक में हॉलीवुड में शुरू हुआ। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एक्ट्रेस को कास्ट करने के बदले फेवर मांगते थे। उस समय ऐसे मामलों को दबा दिया जाता था। 1940-1950 के दरम्यान मशहूर हॉलीवुड एक्ट्रेस जुडी गारलैंड, शिर्ले टेम्पल और मर्लिन मुनरो ने अपने इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया था कि उन्हें कास्टिंग काउच के ऑफर मिले थे।

कास्टिंग काउच का खुलासा भारत में कब हुआ?

1990 के दशक में कुछ फिल्मी पत्रिकाओं में कास्टिंग काउच के बारे में खबरें छपने लगी थीं, लेकिन उस समय किसी एक्ट्रेस ने इस बारे में खुलकर बात नहीं की। कास्टिंग काउच का पहला मामला साउथ फिल्म इंडस्ट्री में 2003 में सुनने को मिला था। तमिल एक्ट्रेस शेरिन ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनसे रोल के बदले कॉम्प्रोमाइज की मांग की गई थी।

बॉलीवुड में कब हुआ कास्टिंग काउच का खुलासा

2005 में कास्टिंग काउच के बारे में पहली बार खुलासा एक्ट्रेस कोयना मित्रा ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। उन्होंने कहा था कि काम के बदले उनके सामने कॉम्प्रोमाइज की शर्त रखी गई थी।

कौन होता है कास्टिंग काउच का शिकार?

आम तौर पर कास्टिंग काउच का शिकार आउटसाइडर्स लड़कियां ज्यादा होती हैं। फिल्मों में काम देने के बदले फिल्म मेकर्स और कास्टिंग डायरेक्टर बाहर से आईं लड़कियों के सामने कॉम्प्रोमाइज की शर्त रखते हैं। डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की ऐसी मानसिकता बन चुकी है कि लड़कियां काम पाने के लिए कुछ भी करेंगीं। कुछ चंद लड़कियां उनकी शर्त मान लेती हैं। जो शर्त नहीं मानती हैं, वो पीछे रह जाती हैं। अब तो लड़के भी कास्टिंग काउच का शिकार होने लगे हैं।

डायरेक्टर बोलते हैं कि लीड रोल के लिए बेडरूम में चलना पड़ेगा

कास्टिंग के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए एक्ट्रेस रोजलीन खान कहती हैं- मेरे साथ एक ऐसी घटना 2019 में हुई थी। अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘झुंड’ के प्रोड्यूसर विजय बरसे के रिकमेंड पर एक डायरेक्टर से मिलने गई थी। डायरेक्टर ने कहा कि अगर लीड रोल करना है तो बेडरूम में चलना पड़ेगा। मैं वहां से गुस्से में निकली और पुलिस में शिकायत करने जा रही थी, लेकिन एक दोस्त ने मुझे समझाया कि अगर ऐसा करोगी तो तुम्हारा फ्यूचर खराब हो सकता है। इस तरह की 2-3 घटनाएं मेरे साथ हुई हैं।

कॉम्प्रोमाइज की शर्त मानना मजबूरी

रोजलीन खान कहती हैं- बहुत सारी लड़कियों के ऊपर दबाव होता है। काम नहीं मिलेगा तो मुंबई में सर्वाइव कैसे करेंगी? आज टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाली लड़कियों के पास बड़े- बड़े फ्लैट्स और महंगी-महंगी गाड़ियां हैं। यह सब कहां से आ रहा है? जाहिर सी बात है कि कहीं न कहीं वे कॉम्प्रोमाइज करती हैं।

आधी रात को डायरेक्टर घर आने की जिद करते हैं

मॉडल-एक्ट्रेस संचिता सरकार कहती हैं- कॉम्प्रोमाइज करना या न करना खुद पर निर्भर करता है। बिना कॉम्प्रोमाइज के 99 प्रतिशत काम हाथ से निकल जाता है। मेरे साथ तो ऐसा कई बार हुआ है।

क्रिएटिव डायरेक्टर ने जबरदस्ती करने की कोशिश की

संचिता सरकार कहती हैं कि इंडस्ट्री में कोई दोस्त नहीं होता है। सब मजबूरी का फायदा उठाते हैं। एक क्रिएटिव डायरेक्टर को दोस्त मानती थी। एक दिन उसने मुझे अपने घर पर यह कहकर बुलाया कि एक प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस करना है। उसके घर पहुंची तो मेरे साथ उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की।

लोगों को शिकायत से भी डर नहीं लगता

जब मैंने कहा कि इसकी शिकायत चैनल में करूंगी तब भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा, बल्कि मेरा ही काम रुक गया। क्रिएटिव डायरेक्टर सोचते हैं कि पहले खुद यूज करके आगे डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के हवाले कर देंगे। मना करने पर कहते हैं कि तुम नहीं तो कोई और करेगा।

कास्टिंग डायरेक्टर आधी रात फोन करके यह तक कहते हैं कि जिस हालत में हो, उसी हालत में सेल्फी भेज दो। डायरेक्टर को देखना है। उनकी बात नजरअंदाज करने पर पता चलता है कि किसी दूसरी लड़की को कास्ट कर लिया गया है।

लड़के भी होते हैं कास्टिंग काउच का शिकार

संचिता सरकार कहती हैं- बॉलीवुड में सिर्फ लड़कियां ही नहीं, लड़के भी कास्टिंग काउच का शिकार होते हैं। यह फैशन इंडस्ट्री में बहुत होता है। मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है। कुछ मॉडल्स खुद डिजाइनर्स के पास जाते हैं। उनके साथ लिव इन में भी रहते हैं। डिजाइनर्स ही उनका खर्चा उठाते हैं।

डायरेक्टर ने कहा था- पहले मेरी पत्नी-बेटी के साथ रिलेशन बनाओ, फिर मेरे साथ

एक्टर-मॉडल स्पर्श शर्मा ने भी बॉलीवुड में कास्टिंग काउच से जुड़ा अनुभव शेयर किया। स्पर्श शर्मा ने कहा- एक डायरेक्टर LGBTQ पर फिल्म फेस्टिवल के लिए फिल्म बना रहा था। उसने मुझे जो स्क्रिप्ट सुनाई, उसमें इंटिमेट सीन की भरमार थी। उसका मकसद फिल्म बनाना नहीं, बल्कि कास्टिंग काउच था। उसने ऐसी शर्त रखी जिसे सुनकर मैं वहां से निकल गया। ऐसे लोग फिल्म नहीं बनाते, बल्कि बॉलीवुड को बदनाम करते हैं।

‘’हाल ही में जूम को दिए एक इंटरव्यू में राजीव खंडेलवाल ने फिल्म इंडस्ट्री में होने वाले कास्टिंग काउच पर बात की। एक्टर ने कहा था- खुद के टैलेंट पर भरोसा था, इसलिए सीधे डायरेक्टर से कहा- सॉरी, मुझसे कुछ नहीं मिलेगा।’’

विक्टिम डिप्रेशन में चले जाते हैं, सुसाइड के ख्याल आते हैं

रोजलीन खान कहती हैं- बिना कॉम्प्रोमाइज के जल्दी काम नहीं मिलता है। ऐसे में डिप्रेशन का शिकार होना स्वाभाविक सी बात है। आज इंडस्ट्री में 10 साल हो गए अभी तक अच्छा प्रोजेक्ट नही कर पाईं हूं। मैं यह सोचकर खुद को थिएटर में बिजी कर लेती हूं कि कभी तो अच्छा मौका मिलेगा।

संचिता कहती हैं- सोचती हूं कि लड़की पैदा होना ही गुनाह है। कई बार मैंने सोचा कि कौन सी दुनियां में आ गई। इंडस्ट्री छोड़ने और सुसाइड के ख्याल आए, लेकिन यह सोचकर वापस कोलकाता जाने की हिम्मत नहीं हुई कि लोग मजाक उड़ाएंगे।

कास्टिंग काउच से कैसे बचे?

रोजलीन खान कहती हैं- लड़कियों को ऐसे ऑफर ठुकरा देने चाहिए। इस तरह की हरकतें छोटे प्रोड्यूसर और डायरेक्टर बहुत करते हैं। उनकी फिल्मों से करियर नहीं बनता है। अगर बिना कॉम्प्रोमाइज के काम नहीं मिल रहा तो पार्ट टाइम दूसरा जॉब कर लेना चाहिए और बेहतर मौके का इंतजार करना चाहिए। हमारी आर्टिस्ट एसोसिएशन को इतना मजबूत होना पड़ेगा कि कॉम्प्रोमाइज की शर्त रखने वाले मेकर्स पर एक्शन लें।

प्रोड्यूसर को डर नहीं लगता, कॉन्फिडेंस के साथ कॉम्प्रोमाइज की शर्त रखते हैं

कुछ लड़कियां कॉम्प्रोमाइज के लिए तैयार होती हैं, इसलिए मेकर्स कॉन्फिडेंट रहते हैं। कॉम्प्रोमाइज की शर्त रखने में उन्हें बिल्कुल भी हिचक नहीं होती है। ऐसे किसी एक आदमी को पकड़कर सामने लाना चाहिए, ताकि बाकी लोगों को सबक मिले।

#MeToo की मुहिम चली, लेकिन ऐसा नहीं हुआ कि किसी को रंगे हाथ पकड़कर उसे पुलिस स्टेशन पहुंचाया गया हो। जब तक ऐसा नहीं होगा तक तक कास्टिंग काउच की घटनाएं रोज होती रहेंगी। बड़े प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स समझते हैं कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कोई लड़की उनके खिलाफ नहीं बोलेगी।

#MeToo के बाद क्या बदलाव आया?

रोजलीन खान कहती हैं- साजिद खान के बारे में सबको पता है। कई लड़कियों ने उन पर कास्टिंग काउच के आरोप लगाएं , लेकिन बिग बॉस में उनको ऐसे पेश किया गया, जैसे उन्होंने कुछ किया ही नहीं है। सलमान खान जैसी शख्सियत उनके बारे में बात कर रहे थे। जो लोग इंडस्ट्री चला रहे हैं, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि अगर उनका कोई दोस्त इस तरह की हरकत कर रहा है तो उसे इंडस्ट्री से बाहर कर दिया जाए। अगर किसी एक इंसान के साथ भी ऐसा हो गया तो दोबारा कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा।

डायरेक्टर शमास नवाब सिद्दीकी का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में आने वाले एक्टर्स का शिक्षित होना बहुत जरूरी है।

इंडस्ट्री के बारे में लोगों की गलत धारणा

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी के भाई और डायरेक्टर शमास नवाब सिद्दीकी ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान बताया कि आप जिस किसी भी क्षेत्र में जा रहे हैं, उसके बारे में ठीक से जानकारी होनी चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की जाती है।

फिल्म इंडस्ट्री के बारे में लोगों ने यह धारणा बना रखी है कि यहां अय्याश किस्म के लोग भरे पड़े हैं। उन्हें अपनी खूबसूरती से रिझाकर काम पा लेंगी। जबकि ऐसा नहीं है। इंडस्ट्री में बहुत पढ़ें-लिखे लोग हैं। बड़े मेकर्स ऐसी कोई हरकत नहीं करते, जिससे उनकी बदनामी हो। कुछ लोग अपना शौक पूरा करने के लिए मुंबई से कहीं बाहर चले जाते हैं, लेकिन इंडस्ट्री में ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगे जिसकी उनकी या उनके परिवार की बदनामी हो।

काम पाने के लिए लड़कियां कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाती हैं

शमास नवाब सिद्दीकी ने अपने करियर के शुरुआती दौर की एक घटना का जिक्र किया, जब वो नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ मलाड के एकता नगर में रहते थे। शमास ने कहा- 2005 में मैं क्राइम पेट्रोल शो में असिस्टेंट डायरेक्टर था। मेरी जान-पहचान का एक लड़का बहुत ही खूबसूरत लड़की के साथ आया और बोला कि इसे आठ दिन के अंदर रोल चाहिए। चाहे कुछ भी करना पड़े। लड़की भी कुछ भी करने को तैयार थी, क्योंकि उसे घर में दिखाना था।

कास्टिंग काउच के दोषी की क्या सोच होती है?

कास्टिंग काउच के दोषियों की सोच क्या होती है। विक्टिम इनके जाल में कैसे फंसते हैं? इस बात को समझने के लिए हमने साइकेट्रिस्ट डॉ. सैयदा रुखशेदा से बात की। उन्होंने बताया- ऐसे लोग चाहे किसी फील्ड के हों, उनकी मानसिकता अपने से नीचे लोगों का नाजायज फायदा उठाकर खुद को बड़ा समझते की होती है।

फिल्म इंडस्ट्री में कॉम्पिटिशन बहुत ज्यादा है। इसलिए विक्टिम इनके जाल में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं। कास्टिंग काउच के दोषियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उनके घर में भी मां, बहन और बेटी हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई रो रहा, गिड़गिड़ा रहा है, इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है। वे दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाने में खुद को बड़ा समझते हैं।

विक्टिम को प्रोफेशनल काउंसिल की जरूरत पड़ती है

बदनामी की डर से लड़के आवाज नहीं उठाते हैं

सैयदा कहती हैं- लड़के भी कास्टिंग काउच का बहुत शिकार हुए हैं, लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आते हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि उन पर गे का ठप्पा लग जाएगा। डर रहता है कि उनसे शादी कौन करेगा? वे ट्रॉमा का ज्यादा शिकार हो जाते हैं, इससे बाहर निकलने में उन्हें बहुत मुश्किल हो जाती है।

लॉयर काशिफ अली खान कहते हैं कि कुछ मामलों में FIR के बाद भी गिरफ्तारी नहीं होती है।

लीगल एक्शन क्या हो सकता है?

कास्टिंग काउच से जुड़े कानूनी मुद्दे पर हमने लॉयर काशिफ अली खान देशमुख से बात की। काशिफ कहते हैं- कास्टिंग काउच पूरी तरह से इलीगल है। पीड़ित लड़की के पास यह अधिकार है कि धारा 377 के तहत रेप का केस फाइल कर सकती है।

धारा 377 के तरह केस उस आदमी पर दर्ज होता है, जो झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता है। यह लड़की की मर्जी के बिना उस पर दबाव डालकर किया जाता है। इसमें 420 चीटिंग का भी केस आता है। यह धारा भी उसी इंसान पर उसी सिचुएशन में लग सकती है, अगर उसने पैसे की डिमांड करके वादा पूरा नहीं किया है।

कुछ लड़कियां भी ब्लैकमेल करती हैं

काशिफ कहते हैं- कई मामलों में देखा गया है कि लड़कियां प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के कमरे में आकर धमकी देती हैं कि अगर काम नहीं दिया तो यहीं से कपड़े फाड़कर निकल जाऊंगी। ऐसी स्थिति में वो कुछ नहीं कर सकते हैं। हालांकि अब तो सीसीटीवी का जमाना आ गया है, लेकिन कई बार ऐसा हुआ है कि लड़कियां पैसे या काम पाने के लिए रेप केस फाइल कर देती हैं।

अगर कोई लड़की किसी पर रेप का झूठा आरोप लगाती है तो सामने वाले को ही प्रूव करना पड़ता है कि उसने कुछ नहीं किया। इसके लिए वक्त लग सकता है। कोर्ट में ट्रायल चलेगा, जिसमें 3-4 साल भी लग सकते हैं। जजमेंट आने के बाद ही लड़की के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है।

लड़कों के लिए अब कानून में सुविधा नहीं

कास्टिंग काउच का शिकार लड़के पहले IPC की धारा 376 के तहत केस दर्ज करा सकते थे, लेकिन अब कानून में बदलाव के चलते इस अधिकार से वंचित हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस धारा को समलैंगिकता के संबंध में असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत क्रूरता के लिए दंडित किया जा सकता है।

FIR के बावजूद शरद कपूर की गिरफ्तारी नहीं

एक्टर शरद कपूर ने काम दिलाने के बहाने एक लड़की को अपने घर बुलाया था। उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने इस पूरे मामले में खार पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई है, लेकिन इसके बाद भी शरद कपूर की गिरफ्तारी नहीं हुई। काशिफ कहते हैं- शरद कपूर के खिलाफ मेरे पास सबूत है। उसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग है, जिसमें वह लड़की से अश्लील बातें कर रहा है। पुलिस इंस्पेक्टर बोलते हैं कि ऐसे केस में अरेस्ट होता है क्या?

धड़क कामगार यूनियन के अध्यक्ष अभिजीत राणे कहते हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के मामलों पर गंभीरता से ध्यान दिया है।

कास्टिंग काउच मामले में एसोसिएशन की भूमिका

कास्टिंग काउच के विक्टिम्स फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी एसोसिएशन से कैसे मदद ले सकते हैं। इस बारे में हमने धड़क कामगार यूनियन के संस्थापक और अध्यक्ष अभिजीत राणे से बात की। राणे ने बताया- सबसे पहले हम अपनी संस्था के माध्यम से लड़कियों को शिक्षित करने की कोशिश करते हैं कि वे ऐसा कोई काम न करें, जो सिस्टम के खिलाफ है।

50 फिल्ममेकर्स पर रेप के आरोप

फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसे लोग हैं जो लड़कियों के दिमाग में यह बात डाल देते हैं कि बिना कॉम्प्रोमाइज के काम नहीं मिलेगा। मजबूरीवश लड़कियां खुद कॉम्प्रोमाइज के लिए तैयार हो जाती हैं, लेकिन यह गलत है। पिछले साल हमारे यूनियन की 50 लड़कियां रेप का शिकार हुई हैं। मुंबई के अलग-अलग पुलिस स्टेशन में प्रोड्यूसर के खिलाफ रेप केस दर्ज है। बहुत बड़े-बड़े प्रभावशाली प्रोड्यूसर इसमें इन्वॉल्व हैं।

सीएम फडणवीस का बड़ा कदम

अभिजीत राणे ने बताया- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के मामलों पर गंभीरता से ध्यान दिया है। उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर और डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों की जांच तुरंत की जाए। जो भी अपराध साबित हो, उसे जीरो-टॉलरेंस के साथ निपटाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसे सजा दी जाएगी। यह कदम बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।

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