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CJI बोले- महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल नहीं मानते: अगर मैं पहली बार आया तो चीफ सेक्रेटरी, DGP-पुलिस कमिश्नर को मौजूद रहना चाहिए


मुंबई3 मिनट पहले

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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने 14 मई को भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली।

भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा कि ‘मैं इस बात से निराश हूं कि महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका ये तीनों लोकतंत्र के पिलर हैं। इन सभी को एक-दूसरे को सम्मान करना चाहिए।’

CJI ने कहा अगर भारत के चीफ जस्टिस पहली बार महाराष्ट्र आ रहे हैं तो ये उम्मीद की जाती है कि यहां के चीफ सेक्रेटरी, DGP और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को मौजूद रहना चाहिए। ऐसा न करना सोचने पर मजबूर करता है।

CJI गवई रविवार को मुंबई पहुंचे थे। यहां महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल ने उनका सम्मान समारोह रखा था। लेकिन उनको रिसीव करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर नहीं पहुंचे। प्रोटोकॉल का पालन न करने पर CJI गवई ने अपनी स्पीच में निराशा जाहिर की।

CJI गवई ने मराठी में सभा को संबोधित करते हुए उन्हें मिले प्यार और स्नेह के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। इसके पहले वे मुंबई में चैत्यभूमि डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर स्मारक भी गए।

भाषण के बीच भावुक हुए CJI गवई

स्पीच के दौरान CJI गवई अपने लिए लोगों का सम्मान और प्यार देखकर भावुक हो गए। उन्होंने कहा- मैं सभी का बहुत आभारी हूं। मुझे जो प्यार और सम्मान मिला है, उससे मैं अभिभूत हूं। 40 साल से मुझे यह प्यार मिल रहा है। आज का समारोह अविस्मरणीय है। मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं ढूंढ पा रहा हूं। 14 मई को जब मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, तो महाराष्ट्र ने मुझ पर बहुत प्यार बरसाया। पूरे राज्य से लोगों ने समारोह देखने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन सीमाओं के कारण मैं सभी को शामिल नहीं कर सका।

बार काउंसिल के इवेंट में कहा था- जज जमीनी हकीकत नजरअंदाज नहीं कर सकते

CJI बीआर गवई ने शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के सम्मान समारोह में मौजूद थे। तब उन्होंने कहा था कि जज जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। आज की न्यायपालिका मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को नजरअंदाज करते हुए कानूनी मामलों को सख्त काले और सफेद शब्दों में देखने का जोखिम नहीं उठा सकती।

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया था कि न्यायपालिका में लोगों से दूरी रखना असरदार नहीं है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लोगों से जुड़ने से बचना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर…

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